सुहास तुम सुनीता को समझा दो कि अपनी हद में रहे और अपनी खराब आदतों को मायके में छोड़े , सुबह सात बजे उठना सेहत के लिए फायदेमंद है। अमर भैया अपने छोटे भाई से बोले और ऑफिस के लिए निकल गए।
सुनीता उठो यार नौ बज गए हैं अंश अर्पिता स्कूल चले गए भैया ऑफिस गए और अभी तक सोई हुई हो। हद है शर्म लिहाज घोलकर पानी के साथ पी गई हो तुम्हारी वजह से भैया काफी कुछ सुना गए।अनवरत बोल रहा सुहास क्या करे खुद ही पसंद कर शादी किया है बाॅस की बेटी से , ओखली में सर है और कुटाने का भी डर है ।
सुनीता रईस पिता की बिगड़ैल मगरूर बेटी है । वाशिंग पाऊडर बनानेवाली कंपनी के मालिक हैं सुनीता के पापा अग्रवाल साहब।इन्हीं के कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर है सुहास , ऑफिस में अग्रवाल साहब की बेटी से नैन लड़ गए है। बेडौल शरीर सांवला रंगरूप की स्वामिनी है सुनीता , मोटापा ऐसा बला है कि सुंदर को बदसूरत कहा जाता है कहते हैं दिल लगी दीवार से तो परी क्या चीज है ।
झकझोर के उठाने पर नींद में खलल आई है तो चिढ़ गई सुनीता , उनिंदी आंखो से बोलती है बारह बजे तक सोने का आदत है मुझे। टका सा जवाब सुनकर मुंह लटक गया सुहास का और भाभी इशारा करती कि छोड़ दीजिए, बारह बजे मैं उठा दूंगी ।
ठीक है भाभी मैं ऑफिस निकलता हूँ।
भाभी सुहास चला गया ऑफिस। हाथ में चाय पकड़ाती हुई चाय पी कर नहा लो हमदोनों साथ में खाना खायेंगे । अरे भाभी आप खा लो , अभी तो उठी हूँ अलसाई सी बोली सुनीता ।
कोई बात नहीं तब तक दोपहर का खाना बना लेती हूँ बच्चे भी आते होंगे स्कूल से।
आधे घंटे के उपरांत दोनों खा लेती हैं ।
एक महीने तक सुनीता के उठने का इंतजार करती है भाभी क्योंकि जानती है कि सुनीता दिल की नेक है सही मार्गदर्शन मिले तो सँभल जाएगी । सब काम प्रेम से होता है कलह और आपसी फूट से नहीं?
वही हुआ एक महीने की अथक प्रतीक्षा का सार्थक परिणाम आ गया है , सुनीता को आत्मग्लानि हुई है कि नित दिन बड़ी भाभी मेरे उठने का इंतजार करती है और सुबह से भूखी भाभी मेरे लिए बैठी रहती है? क्षोभ सा प्रतीत हुआ है सुनीता को कि भाभी मेरी गलत आदतों को दरकिनार कर प्यार दे रही हैं।
अब सब कुछ ढर्रे पर है सुनीता सुबह उठ जाती है वाॅक पर निकल जाती सुहास के साथ और किचन में भाभी की सहायता भी करती है । आत्मविभोर सी भी हो गई है कि इतना स्नेह व अपनत्व सास भी नहीं लुटाती जितना जेठानी होकर भाभी ने लुटाया है । भाभी के भलमनसाहत ने विपरीत दिशा में बहती गंगा के रूख को सीधा बहा दिया ।
सुनीता का शरीर फिट एंड फाइन । अग्रवाल साहब भी अचंभित हो गए कि हमारी बेटी तो स्मार्ट हो गई है ।
सब भैया के नसीहत का फल है भाभी के प्रारब्ध किया गया स्नेहपूर्ण व्यवहार का नतीजा।
जब जागो तब सवेरा ।
है न पापा ! प्रफुल्लित हो सुनीता बोली।
नैतिक विचार __^ बहुत ज्ञानी नहीं हूँ मैं पर इतना अवश्य जानती हूं कुछ भी जीतना हो वह प्रेम से ही जीता जा सकता है जंग से नहीं दोस्तों ।