Moral stories in hindi:सुहानी आजकल बहुत खुश रहने लगी है, बेपरवाह सी लड़की अब सलीके और थोड़ा सज संवर कर भी रहने लगी, अभी-अभी नहा कर निकली सुहानी ने अपने गीले बालों को झटककर तौलिए से सुखाना शुरू ही किया था की मैसेंजर पर आया एक मैसेज देख उसकी धड़कने तेज हो गई और जल्दी से मैसेज पढ़ना शुरू किया…
” प्रिय सुहानी,, तुम्हारे कल के मैसेज के बाद मुझे भी बहुत बेचैनी महसूस होने लगी है और आज ये सब बातें लिखने पर मजबूर हो गया हूं, मेरी लिखी कहानियां तुम्हें बहुत पसंद है और तुम मेरी नियमित पाठिका भी हो, जो मेरे लिए बहुत गर्व की बात है, पर जब से तुमने मुझे बताया कि तुम मुझ से प्यार करने लगी हो,
मुझे बहुत ही असहज महसूस हो रहा है, तुम और मैं, हम दोनों ही शादीशुदा है और मैं तो उम्र में भी तुमसे काफी बड़ा हूं फिर तुम कैसे मेरे प्रेम में पड़ सकती हों? तुम्हारे लिए मेरे दिल में खास जगह है पर प्रेम बिलकुल भी नहीं है, इसलिए अपने घर परिवार पर ध्यान दो और ये विचार अपने मन से त्याग दो… आशा करता हूं तुम मेरी बात को समझोगी और आगे से कभी मैसेज मत करना
मंच पर हमारा रिश्ता हमेशा लेखक और पाठिका वाला ही रहेगा, हमेशा खुश रहो”।।।।
मैसेज पढ़ कर सुहानी का दिल भर आया,पहले प्यार की अनुभूति से सरोबार सुहानी का दिल ये बात मानने से इन्कार कर रहा था।
फेसबुक पर एक प्रसिद्ध कहानियों के मंच से जुड़ी हुई सुहानी जाने कब और कैसे वहा के एक वरिष्ठ और बहुत ही शानदार लेखक “प्रयाग शुक्ला” की कहानियां पढ़ते पढ़ते उन्हें दिल दे बैठी और मैसेंजर पर औपचारिक बातों के बाद अपने प्यार का इजहार भी कर दिया और प्रयाग पर लगातार दवाब बनाने लगी की वो भी अपने प्यार का इजहार उससे करे, परंतु बेहद सज्जन प्रयाग ने सुहानी को साफ साफ मना कर दिया और आज मैसेंजर पर कड़े शब्दों से सुहानी को समझा भी दिया की वो अपनी ये नादानी छोड़ दे।
सुहानी ने मन ही मन एक निर्णय लिया और प्रयाग से बस एक बार मिलने के लिए आग्रह करने लगी, बदले में फिर कभी मैसेज और ना मिलने का वादा भी किया, एक ही शहर में रहने के कारण प्रयाग ने सुहानी से मिलने की स्वीकृति दे दी और दो दिन बाद तय स्थान और समय पर सुहानी पहली बार प्रयाग से मिलने पहुंची…
प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ, शहर से दूर एक छोटा सा रिजॉर्ट था, जहा दोनों पहली बार आमने सामने मिले.. बहुत सौम्य और गंभीर से प्रयाग को देख सुहानी के दिल में प्रेम के साथ श्रद्धा भी जाग गई थी, प्रयाग ने भी जब देखा एक बहुत ही प्यारी और धीर गंभीर सी महिला है तो उसे भी सुखद अहसास होने लगा, दोनो ने कॉफी का ऑर्डर दिया और एकांत में खाली पड़ी मेज कुर्सी पर जा कर बैठ गए,
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद प्रयाग ने जैसे ही कुछ कहना चाहा उससे पहले ही सुहानी बोली…”जानती हूं मैं की आप मुझे प्रेम नही करते और कोई भी सभ्य, सामाजिक, शादीशुदा पुरुष के लिए इस तरह एक पराई और शादीशुदा स्त्री का प्रेम निमंत्रण बिल्कुल भी मर्यादित नही है, हमारे समाज में ये रिश्ते ना तो मान्य है और नहीं ही स्वीकार करने योग्य, मैं अपने पति बच्चों के साथ बहुत खुश हूं
पर पता नही आपसे कैसे प्रेम कर बैठी, मेरे प्रेम में ना कोई मांग है, ना कोई चाहत और ना ही कोई शारीरिक आकर्षण, मुझे तो आपके लेखन, विचारो और कहानियों की वजह से आप से प्रेम हो गया वो भी बहुत गहरा, लाख कोशिश की थी की सिर्फ अपने तक सीमित रखा जाएं पर जब बताएं बिना नही रहा गया और आपके इंकार के बाद अब एक निर्णय लिया है, इसीलिए आपसे मिलना चाहती थी”…
प्रयाग एकटक सुहानी को देख रहा था…
एक पल को दोनों की नजरे मिली और सुहानी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा..” मेरे इस प्यार और एहसास को कोई नहीं समझ पाएगा आखिर ये अनैतिक और अमर्यादित जो ठहरा”… मुझे तो अब तुम्हारे प्रेम का मोहताज होकर भी नहीं जीना है…
इसलिए आज मैं आपसे पहली और आखिरी बार ये कहना चाहती हूं की मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूं और मेरे दिल के एक कोने में, पहले प्यार के रूप में हमेशा आप ही रहेंगे,
जीवन में ये एहसास पहली बार हुआ है तो अपना प्रेम आपको समर्पित करती हूं साथ ही आज के बाद कभी भी, कही भी आप से कोई नाता भी नहीं रखूंगी।
सुहानी ने प्रयाग के पैर छुए और पीछे देखे बिना प्रेम में अनोखे समर्पण की खूबसूरत याद को जीवन भर के लिए दिल में कैद कर चली गई, वही अपने लिए ऐसा निश्छल और पवित्र प्रेम देख प्रयाग की आंखे भी भीग गई।
स्वरचित मौलिक रचना
कविता भड़ाना
#समर्पण