बेटी के आंसू दिल में उतरते हैं और बहू के नजर भी नहीं आते – अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : ये झूठे आंसू मत बहाया करो, और अपने नाटक बंद करो, जब देखो मुझसे ये नहीं होता है, वो नहीं होता है, क्या तेरी मां ने तुझे कुछ सिखाया नहीं है, ये तेरे मगरमच्छी आंसू ससुराल में नहीं चलेंगे, कामिनी जी ने रौब झाड़ते हुए नई नवेली बहू राशि से कहा।

राशि पढ़ी-लिखी समझदार लडकी है, घर के काम करना जानती है पर सास की इच्छा है कि बहू एकदम परफेक्ट हो, उसे सब कुछ करना आयें, और वो किसी कम के लिए कभी मना नहीं करें, जो काम नहीं आता है वो भी कर लं।

दरअसल घर में पूजा थी और काफी लोग आने वाले थे, और कामिनी जी चाहती थी कि भोग के लिए महाप्रसाद राशि बनाए, क्योंकि वो घर की बहू है, पर राशि इतना बड़ा महाप्रसाद बनने न से डर रही थी, क्योंकि उसे  इस बारे में कुछ पता ही नहीं था, और कामिनी जी का मानना था कि बहू को सब पता होना चाहिए, उनके आदेश को सुनकर राशि की आंखें भर आईं।

वो मायके में मम्मी के साथ काम कराती थी, कुछ बनाना हो तो मम्मी पूरी तरह से समझाती थी, पर यहां ससुराल में तो सास बस डांटती रहती है या तेज आवाज में चिल्लाती रहती है, फिर भी यूट्यूब से देखकर राशि ने महाप्रसाद बनाने की कोशिश की, लेकिन हलवा थोड़ा सा कच्चा रह गया, पहली बार इतनी मात्रा में जो बनाया था। कामिनी जी ने देखा तो उन्हें गुस्सा आ गया, राशि पहले ही भरी बैठी थी तो वो रोने लगी।

अतुल अपनी पत्नी को समझाले इस तरह के आंसूओं से मै पिघलने वाली नहीं हूं, हलवा बनाते समय राशि का हाथ भी जल गया था, कामिनी जी को घाव नजर आ गया फिर भी उन्होंने उसे अनदेखा कर दिया, ये सब बातें राशि के दिल को और चोट पहुंचा रही थी।

तभी राशि की ननद सोनिया आई और बोली,”

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 ओहहह!! मम्मी देखो भाभी का हाथ जल गया है, जल्दी से दवाई लगा दूं, सोनिया ने दवाई लगा दी, पर कामिनी जी ने राशि का हाल भी नहीं पूछा

कुछ समय बाद सोनिया की सगाई हो गई, राशि ने पूरे मन से ननद की शादी की तैयारियां की और सारे घर का काम संभाल लिया, हर आने-जाने वाले और रिश्तेदारों की अच्छे से आवाभगत की, जब सभी रिश्तेदार उसकी तारीफ करने लगे तो कामिनी जी ने भी कह दिया,” इसने कौनसा अनोखा काम किया है, ये तो हर बहू करती है, और ये बहूओं का फर्ज होता है, कुछ खास भी इसने नहीं कर दिया, बेकार ही इसे चने के झाड़ पर मत चढाओं”।

अपनी सास के मुंह से ये सुनकर राशि की आंखें भीग आई, वो महीने भर से शादी की तैयारियों में लगी हुई थी,  उसकी सास चाहें उसकी तारीफ नहीं करती,  पर औरो के सामने उसका अपमान तो नहीं  करती, वो कड़वे घूंट पीकर रह गई।

सोनिया शादी करके अपने घर चली गई, एक दिन उसका फोन आया कि, मम्मी, ये मूंग दाल की बड़ियां कैसे बनाते हैं?

अरे!! मूंग दाल की बड़ियां आजकल कौन बनाता है? तू रहने दें, मै बाजार से मंगवाकर भेज दूंगी, उन्होंने कहा।

“नहीं मम्मी, यहां तो हर चीज घर में बनती है, मेरी सास मुझे रोज ताना देती है कि तेरी मम्मी ने तुझे कुछ नहीं सिखाया!! और सोनिया रोने लगी।

सोनिया के आंसूओं ने कामिनी जी का कलेजा चीर दिया, उन्हें बेचैनी होने लगी, उनकी आंखें भी भर आई,  उन्होंने शाम को खाना भी नहीं खाया, अतुल ने पूछा तो बोली,” आज मेरी बेटी वहां रोई है, और मै उसके आंसू भी नहीं पौंछ सकती हूं, एक मां कितनी मजबूर होती है, और वो अपने बेटे अतुल के कंधे पर सिर रखकर सुबकने लगी,” 

कैसा ससुराल मिला है, मेरी सोनिया को, उसकी सास उसे रूलाती रहती है, तानें ही देती रहती है”। 

“हां, मम्मी आप सही कह रही है, हर मां मजबूर होती है, अब देखो ना यहां जब भी राशि रोती है, अपने आंसू बहाती है, उसके आंसू पोंछने को उसकी मम्मी नहीं आ पाती है, और उसे भी कैसा ससुराल मिला है, उसकी सास भी उसे तानें देती रहती है, रूलाती रहती है और बेचारी राशि कुछ नहीं कर पाती है “.

आज आपको अपनी बेटी के आंसूओं का दर्द महसूस हुआ है, आपने कभी अपनी बहू के आंसूओं की भी परवाह की है? मम्मी बहू-बेटी के आंसूओं में इतना फर्क क्यों करती हो? बेटी के आंसू दिल में उतरते हैं और आपको बहू के आंसू सामने रहकर भी नजर नहीं आते हैं?

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आज बेटी की सास उससे कुछ कह देती है तो आपका दिल भर आता है, और आप जो दिन भर राशि को सुनाते रहते हो, उसका क्या???

अपने बेटे अतुल के मुंह से ये सुनकर कामिनी जी सोच में पड़ गई,” अतुल तू सही कह रहा है, मैंने बहू के आंसू और पीड़ा कभी नहीं देखी, बस बेटी की परवाह करती रही। मैंने बहू के आंसू पौंछे होते तो आज मेरी बेटी को भी सुख मिलता, दूसरे की बेटी को आंसू दिये है तो मेरी बेटी को सुख कैसे मिलेगा?

अब आगे से ऐसा नहीं होगा, कामिनी जी की आंखों में पछतावे के आंसू थे और  राशि की आंखों में खुशी के आंसू थे।

धन्यवाद

लेखिका

अर्चना खंडेलवाल

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