मैं बहू के रंग में रंग गई – के कामेश्वरी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : राजन अपनी पत्नी सुलोचना और दो बेटों के साथ चेन्नई में रहते थे । अपनी नौकरी की व्यस्तता के कारण घर की ज़िम्मेदारियों पर ध्यान नहीं दिया करते थे । सुलोचना ने ही शुरू से घर बच्चों और परिवार की घर की ज़िम्मेदारी निभाती रही हाँ इस बात के लिए वे राजन को ताने मारने से नहीं चूकती थी ।

राजन सोचते थे कि महीने में एक हफ़्ता भी घर में नहीं रहता हूँ तो दो चार ताने सुन भी लिया तो कोई बात नहीं है काम तो चल रहा है ।

बच्चे बड़े हो गए थे माँ के क़रीब थे पिता से सिर्फ़ हाय हेलो तक का नाता रह गया था ।

सुलोचना ने ही बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दिया था । बड़ा बेटा सुजित अमेरिका एम एस करने के लिए निकल गया । छोटा बेटा सुप्रीत इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था । उसने भी एम एस करने की सोच लिया था । 

राजन अपनी मीटिंगों में व्यस्त हो गए थे । सुलोचना अपने मायके और दोस्तों में व्यस्त हो गई थी ।

जब भी सुजित फोन करता था माँ से ही बात करता था । राजन घर पर हैं तो एक बार हेलो कह देता था ।

सुलोचना सुजित के लिए रिश्ते देख रही थी ।

लेकिन एक दिन उसने कहा माँ आप मेरे लिए रिश्ते मत देखिए मैं अपनी ही क्लास मेट लिशा से प्यार करता हूँ हम दोनों ने शादी करने का फ़ैसला कर लिया है ।

राजन को जब सुलोचना ने बताया था तो उन्होंने कहा कि शादी उसे करनी है तो मर्ज़ी भी उसी की होगी फिर क्या उन्होंने वहीं शादी कर ली थी । 

लिशा ने सुलोचना को फ़ोन किया और कहा कि आप हमारे पास आकर कुछ दिनों तक यहीं रहिए। 

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सुलोचना बहुत ही बातूनी है। अपने पति राजन को मनाकर कुछ दिनों के लिए अमेरिका पहुँच गई । 

बेटा बहू दोनों ही नौकरी करते थे । बातों बातों में लिशा ने बताया था कि उसे सिर्फ़ नूडल्स बनाना ही आता है और कुछ नहीं आता यह सुनकर सुलोचना ने रसोई सँभाल ली । जब पहले दिन रसोई में पैर रखा तो देखा कि रसोई एक दम साफ सुथरी है यहाँ वहाँ जगह जगह पर शो पीसेस रखे थे ऐसा लग रहा था कि वहाँ कभी खाना नहीं बनता है । सुलोचना जब खाना बनाकर सबको खाने की टेबल पर बुलाती है तो सुजित सबसे पहले भागकर टेबल पर पहुँचता है । 

लिशा और राजन थोड़ी देर से पहुँचते हैं । सुजित खाने पर ऐसे टूट पड़ा जैसे बरसों से उसने खाना ही नहीं खाया हो ।

सुलोचना ने तमिल में कहा मैंने कहा था कि भारत में किसी भी जाति की लड़की से शादी करता था तो कम से कम खाना तो ढंग का मिलता था ।अब भुगत मैं जब तक हूँ खिला दूँगी बाद में तुझे भगवान बचाए ।

लिशा ने कहा कि माँ मैं नूडल्स बनाती हूँ ना तो सुजित नहीं खाता है आप खाओगी ना ।

नई बहू है मना कैसे करती कहा ठीक है । लिशा रोज नूडल्स मेरे लिए भी बनाती है । मैं बेटे के लिए खाना बनाती हूँ । एक दिन जब वह ऑफिस से आते ही नूडल्स बनाने गई तो मैंने कहा मैं बना दूँ वह बड़ी खुश हो गई थी।  जब मैंने इंडियन स्टाइल में नूडल्स बनाकर खिलाया तो उसने कहा नूडल्स भी आपने ही ज़्यादा अच्छा बनाया है । 

मैं दो महीने वहाँ रही थी और ऑलमोस्ट मैंने नूडल्स ही खाया था। सब कहने लगे थे कि मैं बहू के रंग में रंग गई हूँ । कोई बात नहीं है मुझे बहुत ही अच्छा लगता था जब वह इस बात पर खुश हो जाती थी कि मैं उसके हाथ के बने नूडल्स खाती थी। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे घर आँगन में अशांति फैले मेरी बहू की आँखें भर आएँ । मैं और बहू खुश हैं तो हमारे आँगन में ख़ुशियाँ हमेशा बरकरार रहेंगी ऐसा मेरा विश्वास है । 

इंडिया आने के पहले मैंने कुछ रेसिपी लिख कर रसोई के कबोर्ड में रख दिया था।  इस आशा से कि बेटे को मेरे आने के बाद कुछ खाने को मिल जाएगा ।

इंडिया आने के कुछ महीनों बाद बेटे ने वाट्सप पर दोसा पोंगल सांबार के फ़ोटो शेयर किया तो समझ गई थी कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है यह सच है । बिना कुछ कहे ही मैंने अपनी चायनीस बहू को बहुत कुछ सिखा दिया है । 

स्वरचित

के कामेश्वरी 

#घर आंगन  

 

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