जीवन साथी – कमलेश राणा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : जीवन साथी,,मतलब उम्र भर साथ निभाने वाला,,सबसे लम्बा वक़्त पति-पत्नी ही साथ गुजारते हैं,,

कल्याण सिंह जी की उम्र 80 वर्ष और उनकी पत्नी कमला की उम्र 75 वर्ष है,,,दोनों गाँव में रहते हैं,,बच्चे अपने-अपने परिवार के साथ शहर में बस गए हैं,,बेटे सिर्फ़ बैसाख में फसल का हिसाब करने आते हैं और बेच कर सारा पैसा ले जाते हैं,,

माँ गुहार लगाती रह जाती है कि हमें अपने साथ ले चलो,,पर दोनों अनसुनी करके चले जाते हैं,,एक बार गये भी तो बड़े ने कह दिया,, मेरा घर तो छोटा है,,बच्चों को पढ़ने के लिए एकांत जरूरी है,,

छोटे के यहाँ गये,,तो बहू सारे दिन इतनी खरी खोटी सुनाती कि वापस अपने घर आना ही उचित समझा,,

टेंशन की वजह से कमला का बीपी हाई रहने लगा,,एक दिन लघुशंका के लिए गयीं तो बाथरूम में ही गिर गई,,रीढ़ की हड्डी टूट गई,,महीनों बिस्तर पर ही रहीं,,कोई देखने तक नहीं आया,,

बहुओं से क्या शिकायत करें,,वो तो पराये  घर से आईं हैं,,पर बेटे तो अपने हैं,,कहाँ कसर रह गई,,पालन-पोषण में,,यही सोचकर रोती रहतीं,,

कल्याण सिंह जी ही खाना बनाते,,फिर सहारा देकर बिठाते और अपने हाथ से खाना खिलाते,,झाडू,बर्तन से लेकर कपड़े धोने तक का काम खुद ही करते क्योंकि गाँव में घरेलू काम करने के लिए कोई बाई नहीं मिलती,,

कई बार खिसिया भी जाते,,जिन्होने कभी एक गिलास पानी भी अपने हाथ से ले कर नहीं पिया था,,आज उम्र के इस दौर में जब उन्हें खुद सेवा की जरूरत थी,,वो काम भी करने पड़ रहे थे,,जिनके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था,,

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कमला जी के बाल बहुत लम्बे,घने और इस उम्र में भी काले थे,,जो भी उनकी “नागिन सी भुईं लोटी “लम्बी चोटी देखता,,तारीफ किये बिना नहीं रहता,,वो हमेशा स्टूल  पर बैठ कर ही बाल धो पातीं थीं,,पर अब उनकी साज सम्हार कौन करे,,

एक दिन उनके पति बालों को सुलझाते हुए इतना परेशान हो गये कि उन्होंने कैंची उठाकर पूरी चोटी ही काट दी,,हाय री किस्मत!यह दिन दिखाने से पहले ही भगवान उठा लेता,,तो क्या बिगड़ जाता,,उनके दुख का पार नहीं था,,

खैर कई महीने बाद वह ठीक हुईं,,शरीर से ज्यादा मन टूट गया था,,बहुत कमजोर हो गई थी,,एक दिन फिर फिसल गईं,,इस बार दायें हाथ की हड्डी टूट गई,, 

कल्याण सिंह जी के मत्थे फिर रसोई मढ़ गई,,रोज सुबह पूछते हैं ,,क्या खाएगी कमला,,अब उन्होंने इसे अपनी नियति मान  लिया था,,,कि सुख-दुःख में वो ही साथ देंगे एक-दूसरे का,,अब झल्लाहट खत्म हो गई थी,,

दोनों सही अर्थों में अब जीवन साथी थे,,उम्र के इस पड़ाव पर साथी की कितनी जरूरत है,,अब समझ में आ रहा था,,कमला जी भाग्यशाली हैं जो उन्हें ऐसा पति मिला,,,

सही कहा है किसी ने,,

             जिंदगी का सफर, है ये कैसा सफर 

              कोई समझा नहीं,कोई जाना नहीं 

              है ये कैसी डगर,चलते हैं सब मगर

              कोई समझा नहीं,कोई जाना नहीं।

 

कमलेश राणा 

ग्वालियर

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