मर्द को भी दर्द होता है – अमित रत्ता

मनोज की आंखों में सूजन थी रंग लाल हो चुका था ऐसा लग रहा था मानो की वो  रो कर हटा हो और चेहरा उतरा हुआ था । मैंने उससे पूछा मनोज क्या हुआ सब ठीक तो है न? कोई परेशानी है तो बताओ? मनोज के गले से आवाज नही निकल पा रही थी उसने धीरे से कहा नही सब ठीक है   तबियत थोड़ी खराब है और बाहर की तरफ निकल गया मगर उसकी नजरें बता रही थीं कि बो कुछ तो छुपा रहा है।

मनोज को हमारी कंपनी में आए हुए सात महीने हुए थे। हमारे रहने की ब्यबस्था कम्पनी द्वारा की गई थी मेरा मनोज का और दो और वर्कर का एक ही रूम था मनोज बहुत ही भोला भाला मगर मेहनतकश इंसान था। मैंने उसको कभी कोई नशा करते या अपने लिए  कुछ खरीदते नही देखा था।

 हमारी शिफ्ट सुबह आठ से शाम चार बजे तक होती थी। डयूटी के बाद सब लोग या तो कमरे में जाकर आराम करते या घूमने फिरने निकल जाते मगर मनोज का रूटीन अलग था। मनोज सुबह पांच बजे उठता और जाकर आसपास अखबार डालकर आता।

 फिर आकर खाना बनाकर डयूटी जाता। खाने के नाम पर उसके पास ज्यादातर नमक हरी मिर्च और आधा प्याज ही होता जिसको दो रोटियों में लपेटकर ले जाता या कभी चावल बनाता तो एक छोटा डिब्बा दही। हमने काफी कोशिश की की वो  हमारे साथ खा लिया करे मगर वो  एक खुदगर्ज इंसान था हमेशा ये कहकर मना कर देता कि मुझे डॉक्टर ने तेल में बनी सब्जी खाने से मना किया है। 

शाम को चार बजे के बाद उसने एक रिक्शा किराए पे ले रखा था जिसे वो दस बजे तक चलाता था। छुट्टी के दिन वो एक होटल में जाकर बर्तन साफ करता तो कुछ पैसे और शाम का खाना फ्री मिल जाता। इस तरह महीने मे वो अच्छी  खासी कमाई कर लेता मगर अपने ऊपर एक रुपया भी फिजूल खर्च न करता सिवाय खाने के। 

मगर आज उसको पहली बार टूटा हुआ सा देख रहा था शाम को दस बजे वो  आया रिक्शा चलाकर तो आते ही हाथ मुह धोकर सोने लगा तो मैं उसके पास गया और उससे बात करने लगा मैने जब ज्यादा जोर डाला तो वो अपने अंदर के आंसुओं के समंदर को रोक नही पाया और फुट फूटकर रोने लगा। 

उसने बताया कि कल पीसीओ से उसने अपनी बीबी को फोन किया था उसने कहा है कि अगर तीन दिन में घर नही आए तो वो तलाक दे देगी उसका मानना है कि मेरे पास उसके लिए टाइम नही है मैं सिर्फ अपनी मां और बहन के बारे में सोचता हूँ बीबी के बारे में नही।

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वो कह रहा था हमारी हालात ठीक नही थी फिर भी चार साल पहले मेरी बीबी ने जिद्द करके बेटे को निजी स्कूल में दाखिल करवा दिया जिसकी फीस ही मेरे महीने की सैलरी में निकल जाती है। घर का खर्च रिक्शा चलाकर भेजता हु उसके बाद घर मे बूढ़ी मां है जवान बहन है जो पुराने मकान में रहती हैं ।

 जो अखबार और होटल के बर्तन धोकर बचता है वो  उनको भेज देता हूँ। अगर मैं छुट्टी चला जाऊंगा तो सब खत्म हो जाएगा कैसे करूंगा सारे खर्च इसी बात की चिंता है और अगर नही गया तो मेरा घर टूट जाएगा और अभी तो सैलेरी आने को भी दस बारह दिन बाकी हैं। 

मैंने उसे कहा कि फ़िकर मत करो कल शाम को जब डयूटी से आएंगे तो तुम मेरे फ़ोन से बात करना मैं भी बात करूंगा और कह दूंगा की मैं तुम्हारा मैनेजर हु अभी काम बहुत है दस पन्द्रह दिन बाद छुट्टी मिलेगी । अगली शाम को आकर मैंने उसे फोन दिया तो सबसे पहले उसने बीबी को कॉल किया मैं वहीं था। 

 बीबी उससे ऐसे बात कर रही थी जैसे कि वो उसका पति नही नौकर हो वो तू तडांग में बोल रही थी कि अब या तो साफ साफ बतादो की कोई और वहां पर रखी है जिसके साथ ऐश कर रहे हो और मैं यहां नौकरानी बनकर तुम्हारा घर संभाल रही हूं। 

खुद तो बहां मौज कर रहे हो और मुझे छोड़ दिया यहां बच्चे संभालने के लिए मुझे पता है हर महीने कितने पैसे भेज रहे हो छुपा छुपाकर अपनी मां को सब पता है पड़ोस वाली चाची ने बताया कि हर महीने डाकिया आता है मनीऑर्डर लेकर उनके लिए पैसे हैं हमारे लिए नही मैं कब से बोल रही हु की एक वाशिंग मशीन लेने को कूलर पुराना हो गया है। 

 सबके घर मे एलईडी है और मेरे पास ये पुराना डिब्बा शादी के बाद एक गहना तक बनाकर नही दिया। इस तरह एक ही सांस में कितनी ही बातें सुना दी थीं । फिर मनोज ने मुझसे बात कराई तो मैंने जैसे कैसे भाभी को संमझाया की मैं दस पन्द्रह दिन बाद कैसे भी उसे छुट्टी देकर भेज दूंगा। 

बड़ी मुश्किल से वो राजी हुईं। अब मनोज ने अपनी मां के पड़ोस की आंटी को फोन मिलाकर मां से बात करवाने को कहा। फोन मां ने लिया हाल चाल पूछा और बोली आज कैसे याद आ गई मां की आज बीबी ने कैसे इजाजत दे दी जबसे शादी हुई है बीबी का गुलाम बनकर रह गया है बेटा मेरी फ़िकर मत कर अपनी बीबी बच्चों को देख कहीं बीबी को पता चल गया तो तुझे छोड़ेगी नही। 

अब मनोज की आंखे भर आईं क्योंकि बीबी के बाद मां से भी ताने ही मिले थे। तभी मनोज की बहन ने फोन लिया भाई का हाल चाल पूछा और पूछने लगी कि भैया कब आओगे । मनोज ने बताया कि दस पन्द्रह दिन में आऊंगा तभी उसकी बहन ने कहा ठीक है।

भैया जब आओ तो मेरे लिए एक अच्छा सा सूट सैंडल और एक छोटा सा मोबाइल ले आना हमे फोन सुनने के लिए पड़ोस में जाना पड़ता है अच्छा नही लगता। मनोज ने ठीक है कहकर हाल चाल पुछा और फ़ोन रख दिया। बस अब बो सिर नीचे करके बैठ गया था।

                अमित रत्ता

       अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

#पुरुष

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