शादी के बाद हर लड़की का अरमान होता है की वो ससुराल में अपने मायके की तरह रहे….पुरा ना सही पर थोड़ा सा ही।पर ऐसा कुछ नहीं होता है…. अरमान अरमान ही रह गए।
आज कल बहु ज्यादा बोल दे तो बहुत बदतमीज है।कम बोले तो गुगी है। कुछ ना बोलो तो सबसे संस्कार वाली बहू है।उनकी अपने ही घर में अपनी ना कोई पहचान? ना कोई अधिकार.???…वो अपने ही घर में इंसान नही एक फर्नीचर के समाना होती है ।़जिसे ना कोई दर्द महसूस होती ना कोई थकान। सुबह से लेकर रात तक सब की फरमाइशें पूरी करने में लगी रहती है। जहां थोड़ी सी कमी हुई तो समझो समात आ गई।
ऐसी स्थिति यमानी की थी….जो अपने घर की सबसे खूबसूरत फर्नीचर है। जिसने ना बोलना सीखा नही और हां बोलना छोड़ना नही। उसकी परवाह घर में किसी को नही… सबको बस अपनी पड़ी रहती थी। उसे तो बीमार होने तक भी हक नहीं है।
यमानी बीमार क्या हुई की …अचानक से सबको उसकी कमी महसूस होन लगी और हो भी क्यों ना आज फ्री की नौकरानी बीमार है….. सबको सबकी पसंद का नाश्ता और खाना कौन देगा???सब को पलंग तोड़ने की आदत है ….पर आज काम करने वाली ही पलंग पर लेटी हुई है।
वरुण ” यमानी क्या हुआ मेरा और सब घरवालों का नाश्ता कहा है।
“वरुण आज मेरी तबियत थोड़ी बिगड़ी हुई है।आप शालु (यमानी की ननद)को बोल दिजिए ना आज वो सबके लिए नाश्ता तैयार कर देगी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
साझा घर – हरीश कण्डवाल मनखी
अपनी बहू यमानी की बातों को सुनकर सासु मां बहुत गुस्सा करती है और कहती हैं…जरा सा बुखार क्या हुआ कि महारानी के नखरे शुरू हो गए। मां जी सच में मेरी तबियत बहुत खराब है।पर सास तो सास हां वो कहा से किसी की सुनेंगी। अपनी सास के तानों को सुनकर यमानी को उस वक्त बहुत गुस्सा आता है । और अपनी सास से कहती हैं ….आज पहली बार ना कहने पर आप लोगो कितनी तकलीफ़ हुई…. उससे कहीं ज्यादा मुझे तकलीफ होती है ।जब आप सब मिलकर मुझे हर बात पर ताने देते हो। ऐसे भी इस घर मेरी क्या पहचान है??? मुझे तो आप लोग इंसान तो समझते ही नहीं…मै ना इस घर की सबसे खूबसूरत फर्नीचर हु…बस अंतर इतना है बाकी सब बेजान है और मेरे में जान है।जिसकी कद्र किसी को नहीं है।
वरुण”यमानी क्या है ये सब तुम मां से ऐसे बात नही कर सकती.हो।..वो इस घर की मालकिन है…।.तब यमानी वरुण से कहती हैं “मैं कौन हूं।इस घर में मेरी पहचान क्या है???मैं भी इस घर की बहू हु.. वरुण ना .. कोई बेजुबान फर्नीचर….। वरुण.ना तुमने मेरी कद्र की ना तुम्हारे घरवालों ने…।जब तक हां बोलतीं…रही तब तक सही थी..।
यमानी अपनी सास से कहती हैं “मां जी आज से आपके घर की सबसे खूबसूरत फर्नीचर ने भी ना बोलना सीख लिया।अब से हर बातों पर “हां” नहीं “ना” भी बोलना जरूरी है। कभी कभी चुप्पी तोड़ना भी जरूरी है।
यमानी के इस बदले हुए रुप को देखकर वरुण और उसके घरवाले सब चौंक जाते हैं।
बात तो सही है…..जब “हां “बोलो सही है।” ना “बोलने पर इतने सवाल क्यों??????
#बहूआपकी अपनी
सीमा सिंह