पच्चीस वर्षीय मिनी पिछले अठारह वर्षों से अपनी मां नेहा और अपने भाई अमन के साथ बैंगलोर में रह रही है । उसके पिता ने उसकी मां को एक कैनेडियन लड़की के प्रेम में पड़ कर तलाक दे दिया था ,,, तब से उसकी मां नेहा दोनो बच्चो को लेकर अपने देश भारत वापस आ गई थी ,,, नेहा ने अपने सभी गम भुला कर अपना बाकी जीवन अपने दोनो बच्चो के नाम कर दिया था ।
मिनी अपने बिजनेस पार्टनर यश के साथ शादी करने से पहले कुछ दिन लिव इन रिलेशन में रहना चाहती है ,,, क्योंकि वह अपनी मां के साथ हुए अन्याय से बहुत आहत थी ,,, इस वजह से वह यश से शादी करने का फैसला भी नहीं ले पा रही थी ।
ऑफिस के काम में मिनी का बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था । बहुत सोच विचार कर उसने अपनी मां नेहा को उसके ऑफिस में फोन मिला दिया ,,,,काफी देर तक घंटी बजने के बाद नेहा ने फ़ोन उठाया,,,,,।
नेहा -” हेलो “
मिनी दबे से स्वर में- “हेलो मम्मा,,,,, मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है,,,, क्या आप आज ऑफ़िस से जल्दी घर आ सकती हैंं ,,,?
” हाँ हाँ ! क्यों नही मिनी ,,,,शाम 5 बजे तक मै पक्का घर पर पहुंच जाऊंगी,,,,नेहा ने शान्त स्वर मे मिनी से कहा ,,,।
फोन डिस्कनेक्ट करके मिनी का हृदय तेज गति से धड़कने लगा,,, । पता नहीं मम्मा का क्या रिएक्शन होगा ,,,? क्या वो इस बात को एक्सेप्ट करेंगी ,,,,, क्या उनके संस्कार उन्हें इस बात के लिये सहमति देंगे,,,, मिनी के मन में ऐसे कई प्रश्न उमड़ने लगे ।
खैर बात भी बहुत गम्भीर थी,, इसलिए नेहा का मन भी बेचैन था ,,, वह भी अपना काम निपटा कर जल्दी ही घर के लिए रवाना हो गई ,,, ।
निश्चित समय से पूर्व नेहा को घर में देख कर मिनी ठिठक गई,,,, अरे माँ आप ! बड़ी जल्दी आ गई आज ,,। चलो आप फ्रेश हो जाओ,,, मै आपके लिए गर्मा गर्म चाय बनाती हूँ,,,, कह कर मिनी चाय बनाने रसोई घर की तरफ चल दी ,,,।
नेहा भी हाथ मुँह धो कर बैठक में आकर आरामगाह कुर्सी पर बैठ गई ,,जल्दी ही मिनी मां के लिए चाय के साथ उनके मनपसंद बिस्किट ले आई ,,,,नेहा चाय का कप हाथ में लिए एकटक मिनी को देखने लगी थी ।
मिनी के माथे पर पसीने की बूंदे साफ दिख रही थी ।
,,,मम्मा मै,,,, कहते कहते मिनी कुछ देर रुक गई ।
कहो मिनी मै तुम्हारी हर बात सुनने के लिए तैयार हूँ ,,,, नेहा के इन शब्दो से मिनी को थोड़ी हिम्मत और राहत मिल गई थी ।
वो मम्मा ,,,मै यश के साथ ,,,,,लिव इन रिलेशनशिप ,,,,में रह कर कुछ समय बिताना चाहती हूँ ,,,,कह कह मिनी ने अपनी नजरे झुका लीं ,,।
नेहा पहले से ही जानती थी मिनी इसी बारे में ही बात करना चाह रही थी ,,, वह पिछले कई दिनों से इस बात पर फैसला लेना चाह रही थी,, कुछ देर चुप रहने के बाद नेहा बोली ,,,”जो बात कहने भर मात्र से तुम्हारी नजरें झुक रही हो ,,,क्या तुम्हे लगता है ,उसकी आज्ञा हमारे संस्कार दे पायेंगे ? क्या तुम्हें लगता है की विवाह जैसे पवित्र बंधन मे बन्धने के लिये हमें पाश्चात्य संस्कृति के इस लिव इन जैसे किसी ढकोसले की जरूरत है,,,?
जवाब दो मिनी ,,,।
मिनी आज चुप ना रहने वाली थी,,, वह बेबाक अपनी राय नेहा के सामने रखना चाहती थी , उसने तपाक से अपनी मां का जवाब दिया ” मम्मा सोचिये ,,,आज आप जो एकाकी जीवन जीने पर मजबूर हैं ,,,, अगर आपको भी उस समय लिव इन का ऑप्शन मिला होता तो क्या आप शादी से पहले ही पापा का असली चेहरा ना देख पाती ?? क्या आपका जीवन आज इतना नीरस होता ??? क्या आप अपने जीवन के इस पड़ाव पर अकेले जीने को मजबूर होती,,, जहाँ आपकी उम्र की आपकी सहेलियां अपने पतियों के साथ अपना शादीशुदा जीवन सकून से गुजार रही हैं ,,, वही आप हमारे इस समाज की संकीर्ण मानसिकता के चलते किसी पुरुष दोस्त के साथ खुले आम बात भी नही कर सकती ।
बोलिए माँ,,,,मेरी और अमन की जिन्दगी पिता के साये के बिना व्यतीत हुई है ,,,हम हमेशा उनके प्यार को तरसते रहे हैं,,,, क्या आप चाहती हैं कि मुझे भी आपके जैसा नीरस जीवन जीना पडे,,,। अगर मेरी शादी भी आपके पति जैसे किसी धोखेबाज इन्सान से हो गई तो मुझे भी आपकी तरह एकाकी जीवन जीना पड़ेगा ,,,, मेरा भी जीवन आपके जीवन सा नरक बन जायेगा ,,, इससे तो अच्छा है कि मै यश के साथ कुछ दिन रह कर उसके स्वभाव , आदतों और उसकी कमियों के बारे मे सब जान जाऊं । अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा देने से अच्छा है कि मैं उस इंसान को अच्छे से परख लूं जिसके साथ में अपना पूरा जीवन बिताना चाहती हूं, मुझे लगता हैं कि अब समाज को भी बदलने की जरूरत है । “
मिनी ने सब कुछ अपनी मां से कहकर चुप्पी साध ली ,,, एकाएक चारों तरफ सन्नाटा सा पसर गया,,,।
नेहा ने मिनी को समझाने के लिए जैसे ही उसकी तरफ कदम बढ़ाया तभी मिनी एक कदम पीछे की ओर हटी और बोली ,,,” सॉरी मम्मा ,,, मै आपकी तरह अपनी खुशियों की बली चढ़ाने को बिल्कुल तैयार नही हूँ ।
,, नेहा के सामने उसके जीवन की सारी घटनाए ज्यों की त्यों एक बुरे स्वप्न के तरह चलने लगी थी ,, वह इस लिव इन खिलाफ थी ,,, पर अपनी जिन्दगी के गुजरे बुरे दौर की मिनी की जिन्दगी मे वह पुनरावृति नही चाहती थी । और न ही अपने संस्कारो और समाज के खिलाफ जाकर अपनी बेटी की इस नाजायज़ मांग को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी ।
मिनी ने जब से होश संभाला था तबसे मां को अकेले ही जीवन में संघर्ष करते पाया था इसलिए उसने अपनी शादी के लिये यश के साथ लिव इन मे रहने की अजीब सी शर्त नेहा के सामने रखी थी ,,,।
मिनी की इस बेवजह की मांग ने नेहा की रात की नींद उड़ा कर रख दी थी । रात का खाना खाए बिना ही नेहा अपने कमरे में आ गई ,,,, बिस्तर पर करवट बदलते- बदलते आंखों ही आंखों में सारी रात कट गई ,,, ना नेहा और ना मिनी दोनो ही मां बेटी की आँखों से नींद नदारद थी ।
अगले दिन सुबह नेहा जल्दी उठ गई आज उसने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और सुबह ग्यारह बजे मिनी और यश को चाय पर बुला लिया था , वह उन दोनों के इस लिव इन के फैसले पर अपना पक्ष रखना चाहती थी ।
घड़ी मे ग्यारह बजते , इससे पहले यश मिनी के घर पहुंच चुका था नेहा और मिनी भी तैयार होकर बैठक में आ चुके थे ।
थोड़ा चाय पानी के बाद नेहा ने अपने विचार मिनी के सामने रखे ,,”देखो मिनी विवाह की प्रथा तो हमारे समाज में बहुत पुरानी ही है,,, तुम जो यह पाश्चात्य लिव इन रिलेशनशिप का पक्ष लेकर मेरे सामने उपस्थित हुई हो,,, मैं इसके कतई इसके पक्ष में नहीं हूं । यह जरूरी तो नहीं है कि तुम्हारी मां का विवाह असफल रहा तो तुम्हारा भी विवाह सफल नहीं होगा । भारत में आज सभी शादियां इसी प्रकार होती हैं ,,, क्या उन सब शादियों का यही अंजाम होता है ” ???
मिनी और यश दोनो ही शान्त हो कर मां की बात सुन रहे थे । नेहा की बात अभी खत्म नहीं हुई थी ,,,, नेहा की आँखें भर आई ,,, आंसुओं का सैलाब मन में समेट कर वह बोली ,” यश बेटा ना तो मेरी सोच दकियानूसी है और ना ही मेरे विचार रूढ़िवादी है मैं तो सिर्फ संस्कारों की बात कर रही हूं जो देखने सुनने में ही बुरा लग रहा है,,, उसकी इजाजत मै कैसे दे पाऊंगी ,,,?”
और रही बात विवाह सफल होने की ,,, असली बात तो तुम दोनो के संस्कारों और आपसी तालमेल की है । अगर पति पत्नी चाहे तो अपनी समझदारी से अपनी गृहस्थी को अच्छे से बसा सकते हैं । एक दूसरे का सम्मान , और एक दूसरे पर विश्वास किसी भी रिश्ते की नीवं है,,, यदि नीवं मजबूत है तो कोई भी रिश्ता कभी टूटने के कगार पर पहुंच ही नही सकता ।
यश बहुत समझदार था ,, वह पहले से ही मिनी की माँ के बारे मे जानता था । वह नेहा से बोला ,” आंटी जी आपका हर फैसला मुझे मंजूर है ,,, जैसा आप कहेंगी मैं बिना तर्क – वितर्क आपकी हर बात मान लूंगा,,। आखिर आप भी तो हमारे भले के लिए ही सोचेंगी ना । ”
यश पलट कर मिनी की ओर मुड़ा और उसका हाथ अपने हाथों मे लेकर उसे विश्वास दिलाया की ,,, वह कभी उसका भरोसा टूटने नही देगा , उसके मान सम्मान का भी पूरा खयाल रखेगा और उसके हर सुख दुख में उसके साथ खड़ा रहेगा ।
जाने क्यों मिनी अभी भी असमंजस की स्थिति में थी । यश ने मिनी को समझाते हुए कहा ,” मिनी मुझे और मेरे परिवार को शादी की कोई जल्दी नहीं है ,,, जब तुम्हें और आंटी जी को मुझ पर पूरा विश्वास होगा हम तभी इस रिश्ते के लिए आगे बढेंगे ,, ।”
यश ने अपनी बातों से सहज ही मिनी का संशय दूर कर दिया था ,,,,,। और इधर नेहा भी मिनी के दिमाग से लिव इन का फितूर उतारे में कामयाब हो गई थी । मिनी और यश दोनो को अपनी बात से सहमत पाकर नेहा के चेहरे पर लंबे समय बाद एक मुस्कान देखने को मिली थी ,,।
स्वरचित मौलिक
पूजा मनोज अग्रवाल
दिल्ली