मन की बातें मन में ही नहीं रखिए – के कामेश्वरी 

रात के नौ बजे थे किरण सुबह से ऑफिस और घर का काम करके थक गई थी वैसे भी उसका सातवाँमहीना चल रहा था । इसलिए अब सोना चाह रही थी तभी फ़ोन की घंटी बजी उसने फ़ोन उठाकर हेलोकहा दूसरी तरफ़ से प्रशांति आंटी थी । हेलो आंटी !! इतनी रात गए आपने फ़ोन किया सब ठीक है न। आंटी माँ की सबसे अच्छी सहेली थी दोनों ने साथ में पढ़ाई की थी । शादी के बाद भी दोनों ने अपनीदोस्ती को बरकरार रखा था । दोनों दिन में एक बार किसी भी समय हेलो हाय तो ज़रूर बोल ही लेतीहैं । आज इन्होंने मुझे फ़ोन क्यों किया ? माँ से बात नहीं हुई है क्या ? क्योंकि आंटी विजयवाडा मेंरहती थी और हम लोग हैदराबाद में रहते थे । पापा का बिज़नेस है यहाँ और मेरा ससुराल भी यहींहैदराबाद में है । इसलिए मैंने माँ लोगों के घर के पास ही घर ख़रीदा और यहीं रहने लगी । फ़ोन परप्रशांति आंटी की आवाज़ आई किरण सुनाई दे रहा है न ? किरण ने कहा —हाँ हाँ आंटी सुन रही हूँबोलिए न क्या बात है । 

आज माँ से आपकी बात नहीं हुई है क्या? आंटी ने कहा — तुम्हारी माँ की तबियत तो ठीक है न। 

हाँ !!आंटी ठीक है पर आप अभी ऐसे क्यों पूछ रही हैं फिर भी मैं एक बार पिताजी को कॉल करके फिरआपको बताती हूँ । उनके फ़ोन रखते ही मैंने कविता जो मेरी छोटी बहन है उसको फ़ोन किया औरपूछा कि माँ की तबियत कैसी है ? 

उसने कहा – उन्हें क्या हुआ है ठीक ही हैं सो रही हैं शायद । 

फिर पाँच मिनट में ही कविता का फ़ोन आया दीदी मैंने सोचा था कि माँ सो रही है । मैं पापा से पूछनेगई तो देखा पापा बदहवास हालत में बैठे हुए थे मैंने कहा कि पापा क्या हुआ है तो उन्होंने कहा किकविता बेटा अभी जब मैं कमरे में सोने के लिए आया था तो देखा तो तुम्हारी माँ उठ नहीं रही है शायदबेहोश गई है चलो जल्दी से इन्हें अस्पताल ले चलते हैं । दीदी मैं भी घबरा गई थी अभी ही हम उन्हेंअस्पताल लेकर आए हैं । डॉक्टर उनकी जाँच कर रहे हैं । 

उसकी बात सुनते ही मैं भी अपने पति विवेक के साथ अस्पताल पहुँच गई । उसने कहा कि दीदीआपको कैसे मालूम चला कि माँ की तबियत ठीक नहीं है । 

मैंने कहा कि मैं ऑफिस आकर खाना बनाने और खाने के बाद सोने के लिए जा रही थी कि प्रशांतिआँटी का फ़ोन आया था माँ के बारे में आँटी पूछ रही थी । मैंने कहा कि आँटी मुझे तो मालूम ही नहीं हैमैं अभी ऑफिस से आई हूँ पापा से पूछ कर बताऊँगी कहकर कह दिया था। इसीलिए मैंने तुम्हें फ़ोनकिया था । 




कविता ने कहा कि— दीदी डॉक्टर आए हैं?

उसी समय डॉक्टर शर्मा आए और उन्होंने पापा से कहा कि आपकी पत्नी को अब्जर्वेशन  में रखा गयाहै कल तक सारे टेस्ट कर देंगे और आपको बता देंगे । अभी वे आइ सी यू में है । इसलिए आप लोगघर जा सकते हैं ।यहाँ बैठकर कोई फ़ायदा नहीं है । कुछ ज़रूरत होगी तो हम कॉल कर देंगे फ़ोनअपने पास ही रखिएगा । 

पापा मैं और बहन घर वापस आ गए ।मैं विवेक के साथ आते समय रास्ते में ही प्रशांति आंटी को फ़ोनकरके बताया कि माँ को अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।आंटी ने अस्पताल का नाम पूछा मैंने उन्हेंबताया फिर मैं घर आकर सो गई । 

दूसरे ही दिन हम सब नहा धोकर अस्पताल पहुँचे तो देखा ऑलरेडी आंटी आ गई थीं । वे माँ के रूम मेंगई और चमेली के फूल उनके बेड के पास रखा साथ ही अपने फ़ोन पर मोहम्मद रफ़ी के गाने धीमे स्वरमें चलाने लगी । वहाँ तभी किरण भी अंदर आ जाती है और कहती है आंटी आइ सी यू में शायद यहसब मना है ।डॉक्टर या नर्स देख लेंगे तो ख़्वाहमख़्वाह डाँटेंगे । 

प्रशांति आंटी ने कहा है कि नहीं किरण डॉक्टर शर्मा मेरे भाई हैं उन्होंने मुझे बताया कि पेशेंट की पसंदके काम करो शायद उन्हें अच्छा लगेगा और कुछ फ़ायदा होगा । इसलिए मैं ऐसा कर रही हूँ । मैं ठीकहै कहते हुए बाहर आई । जब आंटी बाहर आईं तो उन्होंने पूछा आप लोगों को पता है कि आपकी माँको क्या पसंद है ? रियालिटी तो यह है कि हम बहनों को क्या हमारे पापा को भी नहीं मालूम था कि माँको क्या पसंद है । इसलिए हम सबने अपना सिर झुका दिया था । 

मैंने कहा आंटी आप मुझे यह बताइए कि आपने मुझसे यह क्यों पूछा कि माँ की तबियत कैसी है ? आपको मालूम था कि कुछ हुआ है । 

पापा ने कहा क्या हुआ होगा !!!किरण …तुम भी ….सुहाना को घर में किसी भी चीज़ की कमी नहीं है ।सब कुछ तो है घर में ।अच्छे बच्चे सास ससुर पैसे और क्या चाहिए ? बस थोड़ा सा थक गई होगीठीक हो जाएगी । प्रशांति ने सोचा कि सुहाना सच ही कहती रही है । इस घर में उसकी फ़िक्र किसीको भी नहीं है ।मैं इन्हें उसके दिल की बातों को बताऊँ तो भी शायद ये लोग नहीं समझ पाएँगे इन्हेंसमझाना याने भैंस के आगे बीन बजाए जैसा ही होगा तभी किरण ने कहा —आंटी प्लीज़ बताइए नआप को माँ की तबियत के बारे में शक था या फिर आप को कुछ मालूम है ? उन्होंने आपको अपने बारेमें कुछ बताया है क्या ? 

प्रशांति ने कहा – आप सब लोग सुनिए …उसे आप लोग समझते हो या नहीं उसके बारे में आप लोगोंको क्या मालूम है मुझे नहीं पता पर आज मैं आप सबको उसके बारे में कुछ बताना चाहती हूँ । मेरीबातों से आप सब बुरा मत मानिए । 

आप लोगों को एहसास भी नहीं होगा कि वह कितनी उदास थी । और आलोक जी पैसे , घर लोगों कोख़ुशी नहीं देते हैं । आप ख़ुद सोचिए वह सुबह से लेकर रात तक किसकी क्या पसंद है यह ध्यान मेंरखकर उनकी फ़रमाइशों को पूरा करती है । कभी भी आप लोगों ने उसे बताया था क्या कि आपकीक्या पसंद है? नहीं ना फिर वह आपके पसंद को कैसे जानती है कभी सोचा है?




हमारे चाहने वालों की पसंद या नापसंद को बिना बताए जान लेना ही असली प्यार होता है । किरणतुम्हें आलू के पराठे पसंद है दही के साथ, है न और कविता तुम्हें आलू के पराँठे बिलकुल नहीं पसंद हैंसही है ना । तुम्हें तो पूरी और आलू की सूखी सब्ज़ी पसंद है मैं सही कह रही हूँ न । 

आलोक जी आपको तो रोटियों से परहेज़ है आपको चावल पसंद है और आपके माता-पिता को बिनामसाले , बिना मिर्च का खाना चाहिए और गिनाऊँ आप लोगों की पसंद नापसंद को !!!!!

उसे क्या पसंद है आप लोगों में से किसी को मालूम है नहीं न !!कभी भी आप लोगों ने उस पर या उसकीहरकतों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है नहीं ना!!!

यह सब तो ठीक है आंटी पर माँ किस बात से दुखी हैं । उसे क्या तकलीफ़ है  बताइए न मैं जाननाचाहती हूँ । किरण तुम परसों रात भर नहीं सोई तुम्हें प्रेगनेंसी के दौरान कुछ न हो जाए इसलिए वह रातभर तुम्हारे घर आकर तुम्हारे लिए जागती रही क्योंकि तुमने उसे बुलाया था कि माँ रात को मेरे पासरहिए मुझे घबराहट हो रही है और सुबह आते ही उसे घर के काम भी करने थे ।कविता अपने दोस्तों केसाथ टूर पर जाना चाहती थी ।सुहाना उसे भेजना नहीं चाहती थी पर आपके पापा ने परमिशन दे दियाथा । इसलिए वह कुछ कह नहीं सक रही थी पर  इन सब बातों को सोचने के उसका कारण बी पी बढ़गया था । 

मैंने उससे कहा भी  था कि डॉक्टर के पास चली जा क्योंकि बी पी बढ़ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगा परकहती है रहने दे सो जाऊँगी तो ठीक हो जाऊँगी । वैसे भी इस घर में मेरी फ़िक्र किसे है ।दूसरे दिनजब फ़ोन किया था कि कल अस्पताल गई थी कि नहीं तो कहती है नहीं गई । मुझे ग़ुस्सा आया था तोउसने कहा कि इसलिए नहीं गई क्योंकि अधिक थकान के कारण कल मैं सो गई थी थकावट केकारण मेरी नींद नहीं खुली और मैं माँ बाबूजी को शाम का नाश्ता भी नहीं दे पाई और उन्होंने भी मुझसेतो कुछ नहीं कहा पर आलोक के आते ही माँ ने चुग़ली लगाई कि आज शाम से कुछ नहीं खाया है तेरीबहू तो सो रही थी महारानी की तरह इसलिए मुझे कमजोरी आ गई है तो चल डॉक्टर के पास मुझे लेजा । 




आलोक को ग़ुस्सा आया कि उसके माता-पिता का मैं ठीक से ख़याल नहीं रख रही हूँ कमरे में आकरचिल्लाने लगे कि तुमसे नहीं होता है तो कह दो मैं अपने माता-पिता का ख़्याल ख़ुद रख लूँगा पर इसतरह से इस उम्र में उन्हें तकलीफ़ मत दो । मैंने उनसे कहा भी कि मैं भी साथ चलूँगी हल्की सी झपकीआ गई थी पर मेरी बात सुने बिना ही ग़ुस्से से बाहर जाते हुए कहा तुम सोती रहो आराम करो मैं अपनेमाता-पिता के साथ चला जाऊँगा । एकबार भी न पति ने सोचा था और न ही सास ससुर ने कि हमेशाध्यान रखने वाली बहू आज क्यों सो रही है उसे कुछ तकलीफ़ तो नहीं है परंतु नहीं किसी के भी मन मेंयह बात नहीं आई ।और उसने अपने बी पी की दिल में रख लिया था । जब से मैंने यह सुना मुझे डर थाकि उसकी बी पी बढ़ न गया हो । इसलिए मैंने तुमसे पूछा था कि माँ की तबियत कैसी है और कुछनहीं । आलोक को लगा इतने सालों से हम साथ हैं वह एक मशीन की तरह काम कर रही है और एकबार भी मैंने उसके बारे में नहीं सोचा सच ही तो कहा प्रशांति ने कि हम जिन्हें चाहते हैं उनकी पसंदनापसंद पता चल ही जाता है मैंने तो कभी उस पर ध्यान ही नहीं दिया था मुझे लगता था कि पैसे औरबड़े घर से आराम मिल जाता है । 

हे ईश्वर !!सुहाना को जल्दी से ठीक कर दो अब मैं उसका ख़याल अच्छे से रखूँगा । वहीं लड़कियों नेभी सोचा माँ एक बार घर आ जाए बस हम उन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने देंगे । डॉक्टर ने आकरआलोक को बताया कि अब आपकी पत्नी ठीक है हमने कमरे में शिफ़्ट कर दिया है आप मिल सकते हैं। आलोक भागकर कमरे में गए देखा सुहाना उनकी तरफ़ देख कर मुस्कुरा रही थी । आलोक ने कहासुहाना मुझे माफ़ कर देना मैंने तुम्हारा ख़याल न रख कर बहुत बड़ी गलती की है । अब ऐसी गलतीनहीं दोहराऊँगा । मैं बदल गया हूँ मुझे अहसास हो गया है कि ज़िंदगी कभी धूप कभी छाँव के समान होती है।तुम अपने घर आओगी तो तुम बदलाव महसूस करोगी । सुहाना के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी ।बच्चों ने भी माँ से माफी माँगी थी । 

दोस्तों माँ कभी भी अपनी पसंद नहीं बताती है । जैसे वह हमारी पसंद नापसंद को ध्यान में रखती हैवैसे ही हमें भी उसके बारे में सोचना चाहिए । क्योंकि एकबार समय हाथ से निकल गया तो वापस नहींआता है । बाद में वही बात हो जाती है “अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत “  मेरेख़याल से कभी-कभी हमें भी अपने दिल की बात बच्चों और पति तक पहुँचाना चाहिए वे हमारे अपनेहैं मन की बात मन में ही रखने से अच्छा समय रहते बयान कर देना चाहिए । आप भी खुश रहिए दूसरोंको भी खुश रहने दीजिए । 

कभी धूप कभी छाँव 

के कामेश्वरी 

 

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