यादों के उफान  – किरण केशरे

माला जी अपने छोटे से खूबसूरत लॅान में धूप में बैठी हुई,ख्यालों में खो सी गई थी,,,, 

बेटे सूरज का कनाडा से वीडियो कॉल आया था कल ही, बहुत सी बातें हुई, वह माला जी को बार बार कनाडा आने के लिए कह रहा था, क्योंकि दिनेश जी के जाने के बाद से वह अकेली ही तो रह गई थी। बेटा शादी के बाद कंपनी के प्रोजेक्ट पर विदेश गया तो फिर वहीं सेटल हो गया, बहु स्नेहा भी बार बार कनाडा आ कर रहने को कहती थी ! सूरज ने अगले हफ्ते ही  उनकी कनाडा की टिकिट बुक करने का कहा था ! बेटी अपने  ससुराल में खुश थी  । 

माला जी,,,, दिनेश जी के साथ अपने इस पुरखों के घर में बिताए अनमोल पलों की यादों में डूब उतरा रही थी ,,,कैसे दोनों ने मिलकर जीवन की शुरुआत इसी घर से ही की थी ! 

बच्चों के बचपन के सुनहरे पल , जीवन में आए उतार चढ़ावों  को कैसे पति के साथ कदम से कदम मिलाकर पार किया! दिनेश जी के द्वारा आंगन में लगाए, गुलमोहर, पारिजात और रातरानी से पुरा घर आँगन महक उठता था , आज वो नही हैं,, पर उनके हाथों से लगाए इन पेड़ पौधों की खुशबु उनके अंतर्मन में उतर कर दिनेश जी के ,अपने आसपास होने का सुखद एहसास कराते हैं ! 

दिनेश जी अक्सर माला जी से कहते थे, “मैं नही रहूँगा तब भी तुम्हारे आसपास खुशबु बन कर रहूँगा। और माला जी उनकी इसी बात पर गुस्सा हो जाती थी हमेशा”

“माला जी की आँखों से यादें आँसूओं  की बूँदों में ढलकर बह निकली थी” ये प्यार भरा एहसास , और इस प्यारे से घरौंदे को छोड़कर वह कैसे जाएंगी’  ?

 विदेश में सब कुछ होगा, लेकिन ये स्वर्णिम यादें और अपनेपन का एहसास तो नही होगी ना ? 

माला जी का ध्यान अचानक भंग हुआ, छोटू कह रहा था , मालकिन सूरज भैया का कॉल आ रहा है  , और माला जी मन में कुछ निश्चय कर घर के अंदर चली गई सूरज का कॉल रिसीव करने!! 

किरण केशरे 

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