उधार के रिश्ते

रूबी 5 साल की थी तभी से उसके सर से बाप का साया हट गया था उसके बाद रूबी की मां अपने मायके में ही रहती थी।  रूबी को यह पता नहीं था कि उसके पापा आखिर कहां चले गए, वह हमेशा अपने नानी से और अपनी मां से इस बारे में पूछती थी लेकिन उसकी मां और नानी हमेशा रूबी को टाल देती थी।

कुछ दिन बाद रूबी की मां की शादी प्रताप नामक व्यक्ति से हो गया। रूबी अपनी मां के साथ अपने नए पापा के घर चली गई थी। रूबी देखने में बहुत खूबसूरत थी और फिर रूबी की मां ने प्रताप से इसी शर्त पर शादी भी की थी कि रूबी को वह अपनी बेटी की तरह प्यार करेगा। 

रूबी इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी उसे प्यार करता। लेकिन रूबी की दादी यानी कि उसके सौतेले पापा प्रताप की मां, रूबी को बिल्कुल भी प्यार नहीं करती थी।  रूबी की दादी तो इस शादी के खिलाफ थी क्योंकि वह यह कभी नहीं पसंद करती थी कि उसका बेटा एक शादीशुदा औरत से शादी करें


और वह भी उससे जिसकी एक बेटी भी हो। लेकिन बेटे की जिद के आगे उसे झुकना ही पड़ा क्योंकि रूबी की मां और प्रताप एक ही बैंक में क्लर्क की नौकरी करते थे और दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे और फिर बात शादी तक पहुंच गई थी।

प्रताप रूबी को बहुत प्यार करता था लेकिन रूबी, प्रताप को अपने पापा की जगह नहीं देना चाहती थी वह अभी भी प्रताप को प्रताप अंकल ही कहती थी जबकि प्रताप चाहता था कि वह उसको पापा कहे,  प्रताप यह तय कर लिया था

कि वह रूबी को इतना प्यार देगा कि उसे वह अपने पापा के रूप में स्वीकार करने में थोड़ी सी भी हिचकिचाहट नहीं होगा वह इंतजार करेगा लेकिन रूबी पर दबाव नहीं डालेगा पापा कहने के लिए। वह सोचता  था कि रूबी उसे खुद अपने पिता के रूप में स्वीकार करें।

रूबी को इस बात की परेशानी थी कि आखिर वह प्रताप को अपने पापा की जगह कैसे दे सकती है। एक दिन तो रूबी ने अपनी मां से जिद करने लगी कि वह उसके पापा के पास ले चले उसे खुद के पापा चाहिए उसके अपने पापा।

रूबी की मां रूबी के पापा के बारे में बता कर उसके दिल में नफरत नहीं भरना चाहती थी इसलिए उसने बताया कि जब वह छोटी थी तो उसके पापा का एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी और वह अब इस दुनिया में नहीं है इसलिए वह उनसे कभी नहीं मिल सकती है। रूबी यह सुन कर खूब रोई।

उसके पापा अब इस दुनिया में नहीं है। धीरे-धीरे समय गुजरता गया रूबी और प्रताप एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे हालांकि अभी भी रूबी प्रताप को पापा तो नहीं कहती थी लेकिन एक दूसरे के इतने अच्छे दोस्त हो गए थे

कि वह रूबी अपनी हर बात प्रताप से शेयर करती थी। 2 साल बाद रूबी की मां को रूबी के नए पापा प्रताप से एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम राजू था धीरे-धीरे समय गुजरने लगा।  रूबी राजू के साथ खेलने लगी और राजू से इतना प्यार करती थी कि जो भी देखता वह यही कहता कि भाई-बहन का प्यार हो तो ऐसा हो वरना ना हो। रूबी और प्रताप  में इतनी गहरी दोस्ती हो गई थी कि रूबी को तो कभी-कभी लगता था कि प्रताप को वह पापा कह दे लेकिन उसको अंदर से हिम्मत नहीं होती थी कि वह पापा कह सके। 


जब भी वह पापा कहने के लिए अपना मुंह खोलती उसे अपने पापा याद आ जाते और वह चुप हो जाती और यही सोचती कि वह अपने पापा की जगह किसी और दूसरे मर्द को नहीं दे सकती है, चाहे वह कोई उसे कितना ही प्यार क्यों ना करें इधर प्रताप रूबी को भी अपनी बेटी से कहीं कम नहीं मानता था

जितना प्यार वह अपने बेटे राजू से करता था उससे कहीं ज्यादा प्यार रूबी  से करता था।  हमेशा रूबी की नई वाली दादी रूबी की मां को ताने देती रहती थी कि तुम्हें अपनी बेटी की हमेशा चिंता रहती है मेरे पोते की तो तुम्हें बिल्कुल ही चिंता नहीं होती है ऐसा लगता है कि रूबी ही सिर्फ तुम्हारी बेटी है 

राजू तो तुम्हारा बेटा है ही नहीं। रूबी की मां हंसकर कहती राजू की चिंता करने के लिए रूबी है माँ जी, मुझे पता है जब तक राजू के साथ रूबी है मुझे उसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए मैं राजू की चिंता नहीं करती लेकिन रूबी की चिंता करने के लिए भी तो कोई होना चाहिए, 

इसलिए मैं अपनी बेटी की ध्यान रखती हूं। कभी-कभी तो प्रताप को भी लगता था कि रूबी ने उसे कभी अपना पिता माना ही नहीं लेकिन प्रताप ने भी रूबी से अपना कभी भी हक नहीं मांगा पर वह चाहता था कि रूबी उसे दिल से अपनी पिता माने धीरे-धीरे समय का पहिया चलता रहा और ऐसे करके 15 साल गुजर गए रूबी अब कॉलेज में पहुंच गई थी।रूबी  की मां और रूबी के नए पापा प्रताप की शादी की सालगिरह था, सारे रिश्तेदार पार्टी इंजॉय करने में लगे हुए थे लेकिन रूबी का मन इस पार्टी में नहीं लग रहा था 

वह अपनी मां से बात करना चाहती इसलिए वह अपने मां के कमरे में गई लेकिन वहां गई तो उसकी मां कमरे में नहीं थी कमरे का अंदर जो आलमारी था उसका दरवाजा खुला हुआ था उस अलमारी में एक छोटा सा बक्सा रखा था। 

बक्सा को देखकर रूबी को ऐसा लगा यह बक्सा तो अपने नानी के घर में जो उसके पापा और मम्मी के साथ फोटो टंगा हुआ था उस फोटो में भी  देखी थी। रूबी ने बिना देर किए हुए बक्से को खोल लिया। बक्सा खोला तो उसके अंदर बहुत सारा ख़त था।

रूबी के पापा उसकी मां को शादी से पहले ख़त लिखा करते थे और सारे खत उसकी मां ने संभाल कर बक्से में रखा हुआ था रूबी ने एक-एक करके सारा खत पढ़ रही थी और आखिरी खत जब वह पढ़ने लगी तो पढ़कर उसके अंदर खलबली मच गई 


और वह रोने लगी उसे पता चला उसकी मां ने और नानी ने बताया था कि उसकी पापा की मौत हो गई है, यह सब तो झूठ बात है उसके पापा तो जिंदा है उस खत में यह लिखा हुआ था कि उसके पापा ने रूबी के मां को छोड़ दिया था और किसी दूसरी औरत से शादी कर विदेश चले गए थे और वहीं बस गए थे।

रूबी को अब पापा के नाम से घृणा होने लगी थी। जिस पापा के लिए वह अपने नए पापा को इग्नोर कर रही थी आज अपने असली पापा से नफरत हो गई थी और यही सोच रही थी कि आखिर मेरे मां की क्या गलती थी’ इतनी प्यारी सी औरत को कोई व्यक्ति कैसे ठुकरा सकता है आखिर मेरी मां में क्या कमी थी

जो मेरे पापा ने मेरी मां को ठुकरा कर किसी दूसरी औरत से शादी रचा लिया। शादी के सालगिरह का केक काटने का समय हो गया था और रूबी की मां रूबी को ढूंढते ढूंढते कमरे में आ गई और बोली, “तुम यहां बैठी हुई है और उधर केक काटने का  समय हो गया है तुम्हारा कब से इंतजार कर रहे हैं चलो।

रूबी ने बोला, “माँ, तुम यह बताओ तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला मेरे पापा जिंदा नहीं हैं। रूबी की माँ ने समझ लिया था कि रूबी ने  चिट्ठी पढ़ लिया है और वह झूठ नहीं बोलना चाहती थी। ” मैंने तुमसे इसलिए झूठ बोला था ताकि तुम्हारे मन में पुरुष के नाम से नफरत ना हो और उस वजह से अपने नए पापा


को भी स्वीकार ना कर पाओ। रूबी बोली मां तुम जाओ पापा के साथ पार्टी इंजॉय करो, मैं नहीं जाऊंगी। रूबी की मां बोली, “अगर तुम नहीं जाओगी तो तुम्हारे नए पापा केक नहीं काटेंगे। उसी समय प्रताप भी कमरे के अंदर आ गया था और अंदर आया तो वह बक्सा बिस्तर पर ही देख लिया था   

सारे ख़त बिखरे हुए थे क्योंकि रूबी के नए पापा प्रताप को सबकुछ मालूम था।  वह समझ गया था कि रूबी को यह बात पता चल गया था उसके पापा ने उसके मम्मी को छोड़ दिया था ना कि वह किसी एक्सीडेंट में मारे गए थे।

प्रताप कुछ नहीं बोला और सीधे जाकर रूबी को अपने गले लगा लिया। रूबी भी प्रताप से चिपक गई और उसने एक ही शब्द बोला, “पापा मैंने आज तक आपको इग्नोर किया आपने मुझे पापा से भी बढ़कर प्यार किया लेकिन मैं उस इंसान की वजह से आपको कभी पापा नहीं कह पाई और उसने मेरी मम्मी को

इतना ज्यादा ठेस पहुंचाया आज से आप ही मेरे पापा हो।” प्रताप रूबी की मां और रूबी तीनों एक दूसरे से लिपट गए थे प्रताप ने कहा, “रूबी मैं तुम्हारे पापा जैसा नहीं तुम्हारे पापा ही हूँ तुम्हें हर वह सुख देना चाहता हूं जो एक बाप अपनी बेटी को देता है।

काफी देर तक कमरे में बिल्कुल सन्नाटा छाया रहा ऐसा लग रहा था उस कमरे में कोई हो ही नहीं   लेकिन रूबी के सिसकने की आवाज कमरे में से धीरे-धीरे आ रहा था और रूबी के आंखों से आंसू गालों से बहते हुए टपक रहा था। रूबी ने अपने पापा और मां के हाथों को पकड़ा और बोली चलिए केक काटने का समय हो गया है।

प्रताप और रूबी की मम्मी रूबी के हाथ पकड़े चल दिए, प्रताप समझ रहा था रूबी  पूरी तरह से टूट चुकी है लेकिन वह अपनी बेटी को बिखरने नहीं देना चाहता था। बेटी,  मैं तुम्हारे सपने को बिखरने नहीं दूंगा। रूबी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई और बोली पापा आज मैं गर्व से कह सकती हूं

आप  मेरे पापा हो। इस दर्द को मैं इतने सालों से महसूस कर रही थी और वह दर्द अब खत्म हो चुका है मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं। पापा आप मुझे माफ कर दो  मैं आपके प्यार को आज तक समझ नहीं पाई, लेकिन आप पापा न होते हुए भी पापा होने के हर फर्ज को निभाया और उम्मीद है आगे भी निभाएंगे।

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