संयम जरूरी है – विमला गुगलानी

सुबह के सात बजे होगें, शनिवार की सुबह, नीरजा चाय बनाने के लिए रसोई में गई ही थी कि मोबाईल बज उठा, देखा तो मिनी का फोन था, मिनी यानि की नीरजा और लोकेश की लाडली बेटी। इतनी सुबह फोन और वो भी शनिवार को, मिनी तो छुट्टी वाले दिन दस बजे से पहले बिस्तर … Read more

सही निर्णय – विभा गुप्ता

     ” दयाशंकर बाबू…दो महीने बाद आप रिटायर हो रहें हैं लेकिन हम चाहते हैं कि आप एक्सटेंशन लेकर कुछ साल और हमारे साथ काम करिए..।नयी पीढ़ी को और मुझे भी आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।” दफ़्तर के बड़े साहब अनिकेत वर्मा जी ने दयाशंकर बाबू से आग्रह किया तो वो तपाक-से बोले,” नहीं साहब..बहुत … Read more

माता की चौकी – श्वेता अग्रवाल

नेहा घर के दरवाज़े पर खड़ी रमन का इंतजार कर रही थी। जैसे ही रमन ऑफिस से घर आया, वह दौड़ती हुई उसके पास गई और मुस्कुराते हुए बोली “सुनो रमन, इस बार नवरात्रि पर गुरुजी हमारे ही घर रुकेंगे। नौ दिन की माता की चौकी यहीं लगेगी!” यह सुनते ही रमन उत्साह से बोला, … Read more

जीने की राह – बीना शर्मा

 कई दिनों से शकुंतला देवी को नींद में बुरे बुरे सपने दिखाई दे रहे थे। जिन्हें देखकर वे बेहद बेचैन हो गई थी। उन्हें सपने में बार-बार अपनी बेटी आत्महत्या करती दिखाई दे रही थी।  जब भी वे कनिका से फोन करके उससे उसकी कुशलता के बारे में पूछती तो कनिका हंसकर यही जवाब देती-‘मम्मी … Read more

मरुथल के काले गुलाब – रवीन्द्र कान्त त्यागी

बीसवीं शताब्दि साँझ के धुंधलके से होती हुई रात की गहरी स्याही में सिमटकर लुप्त हो गई थी और इक्कीसवीं सदी अपनी सुरमई किरणों से वसुधा को मानो एक नया सवेरा देने का लुभावना चुनावी वादा सा कर रही थी। इंजीनियर बनकर शानदार जिंदगी गुजारने का सपना तीन साल डिग्रियाँ बगल में दबाये शहर शहर … Read more

रिटायरमेंट – जिंदगी की दूसरी पारी – संगीता अग्रवाल

” सुधा तैयार हो जाओ हमें फोटो खिंचवाने चलना है !” ऑफिस से आते ही जयेश जी पत्नी से बोले । ” पर फोटो क्यो खिंचवानी है मेरी ?” सुधा आश्चर्य से बोली।  ” अरे भाग्यवान रिटायरमेंट का फॉर्म भरना है उसमे हम दोनो की फोटो लगेगी !” जयेश जी बोले। ” ओह्ह हां आपकी … Read more

रिटायरमेंट – ज्योति आहुजा

हरिदास जी की ज़िंदगी साधारण थी, एक मिडिल क्लास आदमी की तरह। सुबह ऑफिस, शाम घर, बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च। उन्होंने अपने सपनों को हमेशा टाल दिया—कभी गाना-बजाना, कभी घूमना-फिरना उनके शौक हुआ करते थे। लेकिन उनका सबसे बड़ा सपना था गॉल्फ खेलना। कॉलेज के दिनों में उनके दो-चार अमीर सहपाठी गोल्फ़ … Read more

क्या करे पूर्वी ? – विमला गुगलनी

रोहित अभी थोड़ी देर पहले ही घर आया था। फ़्रेश होकर दो कप चाय बनाई और ट्रे में कुछ बिस्कुट और नमकीन रख कर पत्नी रोमा के पास आकर मेज़ पर चाय रखी। तकिये का सहारा देकर पहले रोमा को अच्छे से बिठाया और फिर चाय का कप उसके हाथ में पकड़ाया। रोमा ने चुपचाप … Read more

जस्सी और प्रीति – विमला गुगलनी

ट्रिगं- ट्रिगं की तीन बार आवाज़ सुनकर भी जब जस्सी बाहर नहीं आई तो प्रीती का मन हुआ कि वो आज अकेली ही स्कूल के लिए चल दे। जस्सी के कारण रोज ही देर हो जाती है, और फिर साईकल कितनी तेज़ चलानी पड़ती है। कल तो खेतों की मुँडेर पर साईकल चलाते समय दोनों … Read more

रिटायरमेँट के अकेलापन में आस का दीपक – डॉ बीना कुण्डलिया 

आज कालेज का पहला दिन था। मालती ने जैसे ही महाविद्यालय में प्रवेश किया, वो डरी डरी सहमी सहमी न जाने क्यों ? उसको ऐसा लग रहा सभी लड़के, लड़कियां जैसे उसको ही देख रहे हैं। वैसे भी स्वभाव गत मालती शर्मीली झेंपू क़िस्म की लड़की थी । बी एस सी फर्स्ट ईयर की क्लासेज … Read more

error: Content is protected !!