अपनों की पहचान – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

देखो मां.. आपके मना करने के बाद भी यह नीरज आज फिर ठाकुर साहब की हवेली में गया था। तुम भी हमेशा भाई के पीछे पड़ी रहती हो।क्यों नीरज ..अब तुम्हीं बताओ क्या राधा सच कह रही है? हां मां.. उनके बाग में बहुत सारे अमरूद के पेड़ हैं। इस समय तो जैसे उन पर … Read more

काकी – नीरज श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“अरे अब हमारा पिंड क्यों नहीं छोड़ती। ना जाने ये बुढ़िया कब मरेगी? यमराज भी न जाने कहाँ जाकर बैठ गये हैं? रोज़ किसी ना किसी को तो लेकर जाते हैं। अगर इस बुढ़िया को ही लेकर चले जाते तो उनका क्या बिगड़ जाता? इसके रोज-रोज के नखरे से तो मैं तंग आ चुका हूँ। … Read more

बच्चे भी सब समझते है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

विभा अपने कमरे में बेचैन होकर इधर-उधर घूम रही थी। जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा था, उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। कभी सोचती — आज शाम ही नहीं होता, कभी सोचती — रमेश ऑफिस से कहीं टूर पर चले जाते तो अच्छा रहता। उसकी सोच पर कोई लगाम ही नहीं था। कुछ-कुछ सोच रही … Read more

कब बदलेगा नज़रिया

आकांक्षा महत्वाकांक्षी थी, मेहनती थी और अपने करियर को लेकर हमेशा गंभीर रहती थी। MBA करने के बाद उसे एक कंपनी में नौकरी मिली, और इसके लिए उसे दूसरे शहर जाना पड़ा। वहाँ उसने एक पी जी लिया, जहाँ वह एक लड़की के साथ कमरा शेयर करती थी। सहेली भी नई थी, किसी और कंपनी … Read more

अपना अस्तित्व – संगीता अग्रवाल

“कमला आज रागिनी की पसंद का खाना बनाना तुम!” राज अपनी घरेलू सहायिका से बोला। ” पर साहब मेमसाहब की पसंद क्या है ? आप बता दीजिये मुझे मुझे तो अभी चार दिन ही हुए आये मैं कैसे जानूँ !” कमला बोली। ” रागिनी को बैंगन आलू और पापड़ की सब्जी बहुत पसंद है तुम … Read more

पापा , मेरे लिए लोन ले लो – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

पापा , मुझे फाल्गुनी पाठक वाली नवरात्री में खेलने जाना हैं , प्लीस पास लेने के लिए हजार रुपए दे दो सिम्मी अपने पापा चंदुलाल जी से प्यार से बोली !! सिम्मी की मां सीमा जी बोली – इस लड़की ने तो परेशान कर दिया हैं , कभी शापिंग , कभी घूमना , कभी फाइव … Read more

शिकायत

सुषमा अपने पति राकेश और बेटे के साथ सुबह नाश्ता कर रही थी। पराठे का एक टुकड़ा खाते ही उसने बुरा सा मुंह बनाकर अपने बेटे रोहित से कहा— “कितने बेस्वाद परांठे बनाए हैं तेरी पत्नी राधा ने! न इनमें नमक है, न मिर्च। मुझसे तो ऐसे परांठे बिल्कुल भी नहीं खाए जाते। पता नहीं … Read more

आप अपने बेटों के साथ क्यों नहीं रहते – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“आप अपने बेटों के साथ क्यों नहीं रहते ” रमन के इस सवाल ने कैलाश जी को झकझोर दिया था। “मैं एक पिता हूं ना की कोई चीज जिसे घर का एक कोना तो दे दिया जाता है लेकिन दिलों में स्थान नहीं। जहां हर पल मेरे सम्मान को ठेस लगती है। कभी हमारे पहनावे … Read more

बीवी का गुलाम – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“बहू क्या कान भरे हैं तुमने मेरे बेटे के जो आज उसने मुझसे सवाल जबाव करने की हिम्मत की है ” कुसुम जी बौखलाई हुई मीता के पास आईं।जिस बेटे ने मेरे सामने निगाह उठा कर भी बात नहीं किया आज वो तुम्हारी वकालत करने को खड़ा हो गया है। कुसुम जी के इगो पर … Read more

पल में रंग बदलते लोग – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

बस कीजिए मांजी बहुत हुआ गर्भवती नैन्सी सासूमां भावना जी की रोज रोज की किचकिच से तंग आ चुकी थी । पोता ही चाहिए पोता ही चाहिए बस जब देखो तब एक ही रट लगाए रहती आज जैसे ही उन्होंने पोते की रट लगाई पोता ये पोता वो वंश चलेगा तो पोते से ही। नैन्सी … Read more

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