आपके हाथ का बना खाना डस्टबिन के लायक हैं !! – स्वाती जैंन

पुरा मुड़ खराब हो गया सुबह सुबह , मम्मी यह कैसा आलू पराठा बनाया हैं तुमने ?? ना नमक का स्वाद ना मसालों का स्वाद , इससे अच्छा होता कि मैं आलू पराठा बाहर ही खा लेता , मैंने कल शाम को कितना प्यार से तुमसे कहा था कि कल नाश्ते में करारेदार आलू पराठा … Read more

सबक सिखा कर रहूंगी – ऋचा उनियाल

“रमा तू आज फिर लेट हो गई? तेरा ये अब रोज़ का नाटक हो गया है, पहले तो ऐसा नहीं करती थी!! ऊपर से तेरी आए दिन की छुट्टी से मैं तंग आ गई हूं। देख साफ साफ कह रही हूं रमा, अगर ऐसा ही चलता रहा ,तो मुझे नहीं करवाना तुझसे कोई काम वाम … Read more

तृप्ति – ऋचा उनियाल

माथे का पसीना अपने दुपट्टे से पोंछती हुई ,नियति किचन से निकल कर आई और लिविंग रूम में रखे सोफे पर, धम्म से बैठ गई।थकान से पूरा शरीर दर्द कर रहा था उसका। सितंबर का महीना था और पितृपक्ष चल रहे थे। आज उसके ससुर जी का श्राद्ध था। बस थोड़ी देर पहले ही पण्डित … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 17 अंतिम भाग – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु जब बाहर आई तो उसकी आंखें लाल थीं जैसे वह बहुत रोई हो मधु का मुरझाया चेहरा देखकर दुलारी अम्मा ने कहा “आज फिर तुम अपनी पुरानी बात याद करन लगी हो अब पिछली बात का याद करके का फ़ायदा होगा बिटिया सब भुल जाओ हमै देख लो कलेजे में कितनी पीर लिए बैठे … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 16 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

   मधु लगभग एक घंटे बाद बाथरूम से निकली आज तक मधु को कभी बाथरूम में इतनी देर नहीं लगी थी क्योंकि मधु के पास इतना समय ही नहीं होता था कि,वह अपने रख रखाव पर ध्यान दें मधु ने आज शैम्पू करके अच्छे से स्नान किया कमरे में आकर उसने शीशे में खुद को देखा … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 15 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु निशा के कमरे के बाहर खड़ी थी एक बार उसके मन में आया छुप कर किसी की बात सुनना अच्छी बात नहीं मुझे यहां से जाना चाहिए तभी उसे सुरेश की गर्व से भरी हुई आवाज सुनाई दी ” मैंने तुमसे कहा था ना निशू की मधु को बेवकूफ बनना बहुत आसान है अब … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 14 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  ममता जी के जाने के बाद सुरेश ने मधु से कुछ कहना चाहा पर मधु ने इशारे से उसे चुप करा दिया और आंखों से समझाया की इस विषय पर बाद में बात करेंगे मधु तारा चाची के साथ ममता जी के कमरे में चली गई निशा और सुरेश अकेले डाइनिंग टेबल पर बैठे रह … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 13 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

   मधु के देखते ही देखते सुरेश मधु के कमरे से निकल कर निशा के कमरे में चला गया सुरेश के जाते ही मधु ने उठकर कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर औंधे मुंह गिर कर फूटफूट कर रोने लगी अब तक जो दर्द उसने अपने सीने में छुपा रखा था वह आंसूओं के … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 12 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

   मधु तारा चाची की बातों को सुनकर अन्दर तक सहम गई पर उसने खुद को सांत्वना दी रात का खाना किसी ने नहीं खाया दूसरे दिन रविवार था सुबह मधु जल्दी ही उठ गई उसने स्नान कर भगवान के मंदिर में जाकर आरती की उसके बाद सभी को प्रसाद दिया।   सुरेश को प्रसाद देते हुए … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 11 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु की बात सुनकर हाल में सन्नाटा छा गया ममता और तारा चाची को छोड़कर सभी के चेहरे पर खुशी दिखाई देने लगी सुरेश और निशा ने जल्दी से अपने चेहरे के भावों को छुपा लिया निशा उदासी का नाटक करते हुए बोली ” दीदी यह आप क्या कह रही हैं मैं अपने स्वार्थ के … Read more

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