रिश्तों का विश्वासघात – ज्योति आहुजा 

 बात कुछ वर्ष पुरानी है ।कुरुक्षेत्र का मेन बाज़ार  हर  रोज़ की तरह चहल–पहल से भरा था। दुकानों की रोशनी में गहनों की चमक आँखों को चौंधिया रही थी।  शारदा ज्वेलर्स की दुकान पर भी भीड़ थी। काउंटर के पीछे महेन्द्र जी और उनकी पत्नी शारदा जी बैठे थे। तभी अचानक एक जानी–पहचानी आवाज़ आई—“नमस्ते … Read more

वाह री दुनिया ! – अर्चना सिंह

गोपाल जी उस दिन बाजार से सब्जी लेकर लौट रहे थे कि सिर बहुत भारी सा लगने लगा । उन्होंने सोचा एक बार डॉक्टर से बी.पी जाँच करा लेता हूँ । जब डॉक्टर के पास जाँच कराने गए तो बी.पी सामान्य था और डॉक्टर ने बताया हार्ट के डॉक्टर को दिखा लीजिए, उसकी वजह से … Read more

ज़रूरत – करुणा मलिक

आदेश जी ने एक आर्मी ऑफ़िसर के पद से रिटायर होने के पहले अपनी पत्नी चित्रा के साथ अपने पैतृक गाँव में ही तीन बेडरूम का छोटा सा घर बनवा लिया था । आज रिटायरमेंट के बाद अपने उसी घर का गृहप्रवेश और रिटायरमेंट पार्टी साथ-साथ ही यह सोचकर रखी थी कि दो- दो बार … Read more

अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते? – लक्ष्मी त्यागी

रामपाल यादव जी, प्रतिदिन पार्क में टहलने के लिए जाते हैं वहीं पर उनके कुछ हमउम्र मित्र भी मिल गए जो कुछ सेवानिवृत हो चुके हैं या कुछ होने वाले हैं, सभी लोगों का एक समूह बन गया है और सब एक दूसरे से परिचित हो गए हैं ,हंसी -मजाक करने के साथ -साथ कॉलोनी … Read more

लाख टके का हीरा – विभा गुप्ता 

   ” अब तो सभी आ गए हैं किशोरी अंकल..आप पापा का वसीयत खोलकर पढ़िए और…।”       ” नहीं..अभी कन्हैया को आने दीजिये..।” बेटे राघव की बात पूरी होने से पहले ही जानकी जी ने वकील किशोरी लाल को हिदायत दे दी जिसे सुनकर उनके बच्चों के माथे पर बल पड़ गये।दो मिनट बाद ही कन्हैया आ … Read more

आप बहू को खाने को नहीं देतीं

मैं सच बता रही हूं, कल रात रोहित भैया स्नेहा भाभी के लिए एक बड़ा पैकेट लेकर आए। लगता है उन्हें घर का खाना अच्छा नहीं लगता। मुझे पूरा यकीन है, कुछ खाने-पीने का ही सामान था। अब आज पड़ोस के लोग देखने वाले तो यही कहेंगे— “आप बहू को खाने को नहीं देतीं, इसलिए … Read more

अगर भगवान भी आ जायें,तो भी तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा……. – सिन्नी पाण्डेय

दिशा संयुक्त परिवार में पल बढ़ रही थी तो उसका हर रिश्ते के प्रति बड़ा जुड़ाव था I पर अधिकतर जैसा सब घरों में होता है कि बच्चों का ज्यादा लाड़ दुलार अपने दादा दादी से ही होता है, तो यही हाल दिशा का भी था I वो अपने दादा दादी की  बड़ी लाडली थी … Read more

अपनो की पहचान – उमा वर्मा

अम्मा जी को गुज़रे पाँच साल बीत गए, लेकिन हमेशा उनकी याद आती है। आज भी सौरभ को ऑफिस भेजकर, चाय लेकर बरामदे में कुर्सी डालकर बैठी तो बीते हुए क्षण आँखों के सामने घूमने लगे। बहुत अच्छी थीं अम्मा जी। शादी के बाद पहली बार ससुराल गई तो मन में एक डर समाया हुआ … Read more

अपनों की पहचान – नीलम शर्मा 

सुरीली एक मस्त और हरफनमौला लड़की थी। उसे लगता था कि बस जो कुछ वह सोचती और करती है वही सही है। ऐसा नहीं था कि वह बददिमाग या बदतमीज थी। उसकी बहुत बड़ी कमी थी अपने आप को हर बात में सही ठहराना। अगर उसकी मम्मी मीना उसके किसी व्यवहार को गलत बताकर उसे … Read more

हृदय परिवर्तन – डाॅ उर्मिला सिन्हा

   देखते-देखते पांच वर्ष बीत गए। राहुल से रैना ने घरवालों के खिलाफ प्रेम विवाह किया था। एक बिटिया भी दो वर्ष की हो गई।इस बार  पड़ोस में नई फेमिली आई है भरा-पूरा परिवार है…तीज की तैयारी में पूरा परिवार व्यस्त है। आंटी ने बताया,”बहू अपने मायके गई है हरियाली तीज में और बिटिया यहां आई … Read more

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