कुछ तो लोग कहेगे – रीतू गुप्ता

आज ऐसे लग रहा था घर की दीवारे भी रो रही हो ।  हर किसी की आँख में आंसू थे , आखिर भगवान ऐसे कैसे इतना  निर्दयी हो सकते है, जो अंकुश को असमय मौत दे दी।  मीता अंकुश की पत्नी २ छोटे छोटे बच्चो  और बुढ़ी सास के साथ कैसे वक़्त गुजरेगी?  कैसे घर … Read more

बेटी को बेटी ही रहने दो – शिव कुमारी शुक्ला

ड्राइंग रूम में गहमागहमी का वातावरण था। लड़केवाले स्वाति को देखने आए थे। लड़का स्वयं अपने मम्मी-पापा के साथ आया था। स्वाति के मम्मी-पापा ने बड़ी ही  गर्म जोशी से उनका स्वागत किया । आइए मिश्रा जी आपका ही इंतजार कर रहे थे कहते हुए शुक्ला जी ने हाथ मिलाया और आने में कोई दिक्कत … Read more

अपना किया लौट कर ज़रूर आता है ……. – सिन्नी पाण्डेय

ये कहानी है सोना की जो एक ब्राम्हण परिवार की इकलौती बहू है और शादी को 8 साल हो चुके हैं,एक बेटे की मां है पर आज भी वो एक नवविवाहिता की भांति हर दिन अपने को साबित करने और अपना अस्तित्व तलाशने में जुट जाती है। आइये आपका परिचय कराते हैं सोना के पतिदेव … Read more

कर्मों का चक्र चलता रहता हैं। – विनीता सिंह

दिल्लीः के प्रगति  के पास आर -के हमसे गाड़ियों को बहुत बड़ा शोरूम था इस शोरूम के मालिक राम कपूर की थे बहुत ईमानदार और बहुत मेहनती और अपने साथ काम करने वालों की बहुत ज्यादा इज्जत करते थे और सब लोग उनकी बहुत सम्मान करते हैं पहले वह भी अपने गांव से आए और … Read more

विश्वासघात – मंजू ओमर

आज अनूप अपने बड़े भाई का कालर पकड़कर घर से बाहर निकाल रहा था ,चले जाओ यहां से कुछ नहीं है तुम्हारा यहां। आसपास खड़ी अनूप की दोनों बड़ी बहनें अनूप को समझा रही थी क्या कर रहे हो अनूप बड़ा भाई है तुम्हारा। देखो अनूप ज़र, ज़मीन, पैसा में किसी का हक नहीं मारना … Read more

अपना नुक्सान करना – विमला गुगलानी

 घंटी बजते ही मनीषा मैडम ने पर्स और रजिस्टर उठाया और क्लास रूम से बाहर निकल गई। दसवीं क्लास का साईंस का पीरियड खत्म होते ही आधी छुट्टी की घंटी भी बज जाती है। तीस मिंट की छुट्टी में अध्यापक, बच्चे सब खाना वगैरह खाते है, कुछ बच्चे खेलते हैं तो कुछ उस समय अपना … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे – सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

चल हटटटठ..! जा यहांँ से… !! कितनी बार बोल चुका हूँ, लेकिन, कान पर जूंँ नहीं रेंग रही है, कैसी औरत है यह…? चौकीदार चिल्लाते हुए बोला। दीपशिखा ऑफिस के सामने खड़ी चौकीदार से बार-बार अंदर जाने की गुहार लगा रही थी। चौकीदार उसे अंदर नहीं जाने दे रहा था। इस बार चौकीदार ने सख्त … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे – दीपा माथुर

उमेश ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा— “नीना, यार सॉरी… अब ये गलती नहीं होगी। चलो, खाना खा लेते हैं। सच में, पेट में तो चूहे कूद रहे हैं।” उनके स्वर में चुहल और मुस्कान दोनों थे। नीना ने आँखें तरेरीं। माथे की उभरी रेखाओं और कड़ी नज़र से गुस्से का आभास साफ़ झलक रहा था। … Read more

आपके हाथ का बना खाना डस्टबिन के लायक हैं !! – स्वाती जैंन

पुरा मुड़ खराब हो गया सुबह सुबह , मम्मी यह कैसा आलू पराठा बनाया हैं तुमने ?? ना नमक का स्वाद ना मसालों का स्वाद , इससे अच्छा होता कि मैं आलू पराठा बाहर ही खा लेता , मैंने कल शाम को कितना प्यार से तुमसे कहा था कि कल नाश्ते में करारेदार आलू पराठा … Read more

सबक सिखा कर रहूंगी – ऋचा उनियाल

“रमा तू आज फिर लेट हो गई? तेरा ये अब रोज़ का नाटक हो गया है, पहले तो ऐसा नहीं करती थी!! ऊपर से तेरी आए दिन की छुट्टी से मैं तंग आ गई हूं। देख साफ साफ कह रही हूं रमा, अगर ऐसा ही चलता रहा ,तो मुझे नहीं करवाना तुझसे कोई काम वाम … Read more

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