रिश्तों की रीचार्जिंग -श्वेता अग्रवाल

रिशभ और सिमी की शादी को 10 साल हो चुके थे। दोनों अपने-अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि अब वो पुराने दिनों की मस्ती, रोमांस और बातचीत कहीं गायब हो गई थी। रिश्ते बस एक रूटीन बनकर रह गए थे। सुबह ऑफिस की भागदौड़, शाम को थकान और वीकेंड्स पर भी बस थोड़ा … Read more

( ना ) जायज़ रिश्ते 

गुड़गांव की आई.टी. सेक्टर की बड़ी कंपनी में शालीन और शैलजा काम करते थे. दिल्ली और एनसीआर में ही नहीं, सभी बड़े शहरों में और अब तो कस्बों और गांवों में भी अनेक प्रेम कहानियां रोज ही बनती और बिगड़ती रहती हैं. मैट्रो ट्रेन में, कैंटीन में, बस स्टॉप पर और ऑफिस में रोज ऐसी … Read more

रिटारमेंट – परमा दत्त झा

आज बुशरा परेशान थी कारण उसके श्वसुर अमजद खान साहब आज सेवानिवृत्त होने वाले हैं।बुशरा के घर में बस चार जन हैं -वह उसका पति शाकिर और श्वसुर तथा उसकी बेटी अमायरा जो चार पांच साल की होगी। सुनते हो,पापा रिटायर होने वाले हैं -वह अपने पति से बोली। हां भाई, इसमें नयी बात क्या … Read more

उड़ान – बालेश्वर गुप्ता

         देख रज्जो, तू मेरी बहन जैसी है, इसलिये समझा रही हूं,शालू को संभाल, नही तो पछताएगी।     क्यो क्या हुआ,सरोज?मेरी शालू ने ऐसा क्या कर दिया,जो मुझे पछताना पड़ेगा।वो तो यहां अब गांव में कितना रहती है, शाम ढले आती है, दिन भर तो वह शहर में ही रहवै है।       गांव में नही रहती यही तो … Read more

रिटायरमेंट ‘डिप्रेशन’ नहीं है – उमा महाजन

     कल रात देर रात तक अपना आर्टिकल लिखते हुए मिसीज सक्सेना काफी देर से सो पाई थीं। अब उन पर नौकरी के कारण सुबह जल्दी उठने के लिए घड़ी की सुइयों का बंधन तो है नहीं।सो, जैसे ही रोज की तरह घड़ी का अलार्म बजा, उन्होंने हाथ बढ़ाकर अलार्म बंद कर दिया कि थोड़ी देर … Read more

कर्मों का चक्र – विक्रम की कहानी – डॉ. स्नेहा नीलेश निंबालकर

विक्रम एक बड़े शहर में बिज़नेस करता था। शुरूआत में वह मेहनत से काम करता था, लेकिन जैसे-जैसे पैसा और ताक़त उसके हाथ आई, उसकी नीयत बदलने लगी। वह ठेके लेने के लिए रिश्वत देता, नकली कागज़ बनवाता और घटिया माल बेचकर लाखों रुपए कमाता। धीरे-धीरे उसने और भी बुरे काम शुरू कर दिए—लोगों से … Read more

आपे से बाहर होना – हेमलता गुप्ता

जवान बेटी पर हाथ उठाते शर्म नहीं आ रही हो क्या गया है तुम्हें किस बात पर इतना गुस्सा आ रहा है मुझे भी तो बताओ.. मानसी के कहने पर रमेश जी ने अपना आपा और खो दिया और वह चिढ़कर बोले… यह सब तुम्हारी शह की वजह से हो रहा है तुमने इतनी छूट … Read more

दीदी , आपने अपना रिटायरमेंट अपने हाथों से बिगाड़ दिया !! – स्वाती जैंन

अरे बहू , क्या खीं – खीं करके दाँत दिखाके हंसे जा रही हो , इतना भी नहीं जानती कि अभी शादी करके महिना भर ही हुआ हैं तुमको ?? अपने ससुराल वालों के साथ बात करते समय लज्जा – शर्म होनी चाहिए यह भी नहीं सिखाया क्या तुम्हारी मां ने तुमको ?? सरोज जी … Read more

आपे से बाहर होना – लक्ष्मी त्यागी

सलोनी मध्यवर्गीय परिवार से थी , उसने अपने माता-पिता को बचपन से ही संघर्ष करते देखा था। वह भी उनका हाथ बटा देना चाहती थी। किसी तरह उसने स्नातक की परीक्षा दी और नौकरी करने लगी। ऐसा नहीं कि सलोनी शांत स्वभाव की थी बल्कि उसने अपने जीवन में,अपने आपको,छोटे बहन -भाई को छोटी-छोटी जरूरत … Read more

कर्ज की बेदी – डॉ बीना कुण्डलिया

राधे मोहन जी परेशान से घर में चहलकदमी कर रहे। हफ्ते भर से उनका यही हाल आँखों से नींद गायब एक माह बाद बेटी की शादी तय हुई कपड़े गहने लतते पंडाल होटल सभी मिलाकर काफी खर्चा होने वाला कैसे होगा सब ? पैसा तो कम पड़ जायेगा । कर्ज तो लेना ही पड़ेगा । … Read more

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