कर्मों का चक्र तो चलता ही रहता है। – मधु वशिष्ठ
——————– बहुत समय बाद भावना को एक सेमिनार के सिलसिले में दिल्ली आना पड़ा। पूरी रात मां के साथ पुरानी यादें ताजा करते रहे। क्योंकि सेमिनार स्थल उनके पुराने घर के पास था तो भावना ने सोचा कि वह ताई जी और ताऊ जी से मिलकर ही सेमिनार स्थल पर जाएगी। उनका बचपन उसे पुराने … Read more