कर्मों का चक्र तो चलता ही रहता है। – मधु वशिष्ठ

——————–           बहुत समय बाद भावना को एक सेमिनार के सिलसिले में दिल्ली आना पड़ा। पूरी रात मां के साथ पुरानी यादें ताजा करते रहे। क्योंकि सेमिनार स्थल उनके पुराने घर के पास था तो भावना ने सोचा  कि वह ताई जी और ताऊ जी से मिलकर ही सेमिनार स्थल पर जाएगी।   उनका बचपन उसे पुराने … Read more

कर्मों का चक्र – खुशी

गोपाल अपने माता पिता का एक बेटा था।परिवार में उसकी दो बहने रति और मणि थे।पिता श्यामलाल सीधे साधे व्यक्ति जितना उन्हें कहां जाता वो उतना ही काम करते ।उनकी बीमारी की वजह से उन्होंने जल्दी ही काम छोड़ दिया था। उस समय गोपाल पढ़ रहा था।गोपाल का शिक्षण उसके मामा के यहां हुआ था … Read more

बदलाव – उमा महाजन

‘यह क्या छुटकी बहू ! तुम नए जमाने की होते हुए भी मेरी ज्यादा लाड़ली हो, तो इसका अर्थ यह नहीं कि हमारे पुराने सनातन रीति-रिवाजों में भी दखलंदाजी करने लगोगी । क्या तुमने कभी किसी के विवाह के निमंत्रण कार्ड पर नाना-नानी लिखा नाम देखा-सुना है ? अरे, हमारे जमाने में तो नाना-नानी अपने … Read more

नज़र का चश्मा – शुभ्रा बैनर्जी

“अरे वाह!बहन जी,आपने तो कमाल कर दिया।अपने इकलौते बेटे के लिए ऐसी बहू चुनकर लाईं हैं,कि बुढ़ापा तर जाएगा आपका।दिखती तो बड़ी भोली हैं आप,पर बहू के मामले में आपने बाजी मार ली।अरे ,हमने भी ऐसी ही बहू के सपने देखे थे,पर क्या करें?सब किस्मत की बात है।”  सुमित्रा जी को अपनी बेटी की सास … Read more

ग्रहण – विभा गुप्ता

      ” धरा! तू ये क्या अनर्थ करने जा रही थी..इतनी समझदार होकर भी..।” कहते हुए अशोक ने अपनी बहन के हाथ से रस्सी छीन कर फेंक दी तो धरा उसके गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगी,” भईया..मुझे मर जाने देते..इतना अपमान अब मुझसे सहा नहीं जाता..मेरी वजह से आपको, माँ को लोगों की बातें सुननी … Read more

बहू ने  ना बोलना सीख लिया – शिव कुमारी शुक्ला

भाभी अभी तक मेरी ड्रेस आपने प्रेस नहीं की सुबह से कहा था आपसे पता नहीं क्या कर रहीं हैं। अभी कर देती हूं वो समय नहीं मिला नाश्ते खाने की तैयारी में लग गई वह भी तो समय पर देना है। तो क्या आप जल्दी नहीं उठ सकतीं थीं जो काम समय पर हो। … Read more

दुनिया में कुछ भी फ्री नहीं – अर्चना सिंह

नोएडा जैसे चकाचौंध शहर में हॉस्टल में एडमिशन लेने के लिए जैसे ही कीर्ति पहुँची उसकी आँखें शहर की जगमगाहट देखकर चुंधिया गईं । अभी तो ट्रेन से आयी ही थी। पूरा सफर उसे तय करना बाकी ही था । अपने आप में वो बुदबुदा रही थी…”हाय ! बिल्कुल जन्नत है ये जगह, पापा ने … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे। – मधु वशिष्ठ

परिस्थिति जन्य सुख और दुख तो सबके जीवन में ही घटित होते हैं लेकिन यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि किस परिस्थिति में उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी ।इस संदर्भ को मैं प्रमाणित नहीं कर पाती, अगर मैं सौभाग्य से मालती जी से ना मिली होती तो।    मेरे इस नए घर से कुछ ही … Read more

कर्मो का चक्र तो चलता ही रहता है। – लक्ष्मी त्यागी

शहर के भीड़ -भाड़ वाले इलाके में, एक नुक्क़ड पर ”राधेश्याम ” चाय वाले की दुकान थी। देखने में, वह साधारण सी दुकान थी। दुकान के शीर्ष पर एक पुराने बोर्ड पर ,लिखा हुआ था-” राधे श्याम चायवाला ” कहने को वह चाय वाला ही था लेकिन सुबह से शाम तक, उसको एक पल के … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे – कुमुद मोहन

“मम्मी!आप शीना की बातों पर उदास मत हुआ करें,उसका तो काम ही है कहना ,उसे तो अपनी जुबान पर कंट्रोल ही नहीं है”!विकास ने मां उषा को समझाया! उषा के पति मनोज के गुजर जाने के बाद उनका बेटा विकास उन्हें अपने साथ लंदन ले आया था। बहू शीना को अपने और विकास के बीच … Read more

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