ढलती साँझ – डॉ अनुश्री राऊत : Moral Stories in Hindi

कुमार एक छोटे से गाँव में अपने परिवार के साथ रहता था। वह शहर में जाकर बड़ी नौकरी करने का सपना देखता था, लेकिन परिस्थिति और वित्तीय समस्याएँ उसकी राह में रुकावट डाल रही थीं। उसके मन में निराशा और तनाव का वातावरण था, क्योंकि उसने बहुत संघर्ष किया था, लेकिन परिणाम उसके अपेक्षाएँ पूरी … Read more

खुशी की तलाश – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

सुबह के दस बजे थे। नयन अपने लैपटॉप पर सिर झुकाए बैठा हुआ था। कमरे में तनाव का माहौल छाया हुआ था। कनक की आवाज़ ऊँची हो चुकी थी, और उनकी बहस हॉल तक पहुँच गई थी। चारुलता जी अख़बार समेटकर बोलीं, “देखो कैसी बहू आई है, जब से आई है घर में चैन नहीं … Read more

मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया। – पूनम भटनागर। : Moral Stories in Hindi

 विशाखा कहां खोई है, चल बस का समय हो गया है, लेट पहुंचे तो सही से खड़े होने को भी जगह नहीं मिल पाएगी। आंहां, चल अलसाई सी विशाखा उसका उत्तर देने लगी। और कहां खोई होगी, फिर राम के बारे में ही सोच रही होगी, क्यों सही कहा न मैंने, रीमा उसकी शक्ल देखते … Read more

सच्ची खुशी – चांदनी खटवानी : Moral Stories in Hindi

मिसेज वर्मा जब प्राध्यापिका के पद से रिटायर हुई तो बच्चों ने उनकी एक ना सुनी और अपने साथ शहर ले आए! अपने छोटे से शहर की आदत पड़ी हुई थी उनको.. सोचा था रिटायर होने के बाद.. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाऊंगी पर परिवार की खुशी के खातिर.. आग्रह टाल ना सकीं! दिनभर स्कूल के … Read more

जीवन भर के जख्मों पर भगवान ने एक साथ मरहम लगा दिया – शालिनी श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

जब मैं पहली बार दफ्तर में सुधा से मिला, तो वह बहुत साधारण सी साड़ी पहने हुए थी और जैसे जीवन की मुश्किलों से जूझती हुई इस बात का सबूत देना चाहती हो कि वह अपने बलबूते पर एक अच्छा जीवन जी सकती है…. मैं उसी दफ्तर में एकाउंट्स देखने का काम करता था…. मेरी … Read more

सपना मैम – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

उठो बेटा! जल्दी उठो! सुबह के साढ़े चार बज गए हैं। सपना दोनों बच्चों को सुबह-सुबह जगा रही थी…. यह सपना के दिन की शुरुआत का पहला महत्वपूर्ण पड़ाव होता था। सुबह बच्चों को उठाकर पढ़ने बैठाना बहुत ही टेढ़ी खीर होती, क्योंकि बच्चे तो बच्चे ही हैं!! जल्दी उठना ही नहीं चाहते। लेकिन मम्मी … Read more

ढ़लती साँझ – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

सुबह होती है शाम होती है जिंदगी बस यूँही तमाम होती है– जिंदगी का सफर चलता जाता है अनवरत रुकता नही।जैसे भोर हुयी फिर दोपहर हुयी और फिर साँझ गहराने लगी– मन में अपने अपने भाव के अनुरूप समाहित होने लगी।      सुखिया और उसके पति एक गाँव में रहते थे।वही खेतीबाड़ी थी– बहुत जमीन थी … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तो को महत्व देना भूल गई – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

छोटी चल खेलने का टाइम खत्म हो गया शाम हो गई है.. घर चल पापा आते ही होंगे.. तुझे बहुत डांट पड़ेगी नहीं मैं अभी और खेलूंगी.. मुझे खेलने में बहुत मजा आता है ..मानव किरण और शांतनु तीनों भाई बहन बड़े ही लाड-प्यार से रहते थे किरण सबसे छोटी दोनों भाइयों में और सब … Read more

*ढलती सॉंझ से मिला तोहफा* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

     सॉंझ ढल रही थी। सूर्य धीरे-धीरे अस्त हो रहा था। अविनाश की नजर दूर क्षितिज पर टिकी थी ,जहाँ अस्त होते हुए सूर्य की लालिमा फैली हुई थी। वहाँ देखकर ऐसा लग रहा था जैसे जमीन और आसमान दोनों मिल रहे हैं। वह सोच रहा था, यह‌ एक आभास ही सही, जो कुछ देर रहता … Read more

ढलती सांझ – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

सुबह का समय था। रसोई में रिया टिफिन पैक कर रही थी। रवि ऑफिस जाने की जल्दी में तैयार हो रहा था। उसने ऊँची आवाज़ में कहा — “रिया, मेरा टिफिन तैयार हो तो जल्दी दो। मुझे देर हो रही है।” रिया ने टिफिन आगे बढ़ाते हुए धीरे से कहा — “सुनिए, क्या आज भी … Read more

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