मन का रिश्ता – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज सुबह सुबह खबर मिली, आप नहीं रही। “यह कैसे हो सकता है?” मेरे मन को बहुत धक्का लगा ।आप तो मेरी बड़ी दीदी थी।मेरी सबकुछ ।पता नहीं कब से आपसे मन का रिश्ता जुड़ गया था ।आपसे सच कहा जाए तो कोई रिश्ता नहीं था । फिर भी एक मन का रिश्ता होता है … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

गलतफहमी – प्राची अग्रवाल  श्रुति को शुरू से ही लगता कि उसके माता-पिता उसे कम और भाई को ज्यादा प्यार करते हैं। बचपन से ही उसके मन में गांठ बैठ गई थी। हर बात पर विरोध प्रकट करती। श्रुति होशियार थी हर बात में। उसका भाई शुरू से ही थोड़ा बीमार सा रहता इसलिए उसकी … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

” विरोध” – पूजा शर्मा अब मैं तुम्हारी मा के साथ एक पल भी नहीं रह सकती सुमित, तुम्हारी मम्मी की हर बात में टोका टाकी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, विदुषी अपने पति से चिल्ला कर बोली, आखिर तुम हर वक्त मां की बातों का विरोध क्यों करती रहती हो अगर ऑफिस से देर … Read more

झूठी हैं दीवारें – मंजु सिंह : Moral Stories in Hindi

आज चैन की सांस ली थी अनीता ने । कब से इसी बात को लेकर चिंतित थी कि रचना का एडमिशन किसी अच्छे कॉलेज में होगा या नहीं ।आजकल दाखिले के लिए इतने अंक लाना सब के बस की बात कहाँ रह गयी है !  किस्मत अच्छी थी रचना की कि उसका दाखिला दिल्ली के … Read more

अनारकली – अंजना वर्मा : Moral Stories in Hindi

“ऐ! चुप रह। जब देखो तब मुस्कुराती रहती है, ठी-ठी-ठी-ठी हँसती रहती है। न कोई सोच, न कोई चिंता। थोड़ी भी शरम है?” दीपा की भाभी ने कहा। “किस बात की शरम भाभी? क्या किया है मैंने? कौन-सा ग़लत काम किया है जो शरमाऊँ?” दीपा बोली। “क्या किया है? मुझसे पूछती है? अपने से पूछ।” … Read more

सुख -दुःख – उपासना सियाग : Moral Stories in Hindi

     हर्तिषा धीरे -धीरे चलती हुई अपने सुख -दुःख करने की जगह आ बैठी। उसका मानना है कि घर में एक जगह ऐसी भी होनी चाहिए जहाँ इंसान अपना सुख -दुःख करके अपने आप से बतिया सके। इस बात पर उसके पति हँसे थे कि लो भला !कोई अपने आप से भी बतियाता है क्या !तो … Read more

वादा – सोमा सुर : Moral Stories in Hindi

अवनि के पापा का तबादला इस छोटे से शहर में हुआ था। कक्षा ५ में पढ़ने वाली बैंक मैनेजर की बेटी अवनि अब तक बड़े शहरों में ही रही थी। छोटे से शहर के एकमात्र कांवेंट स्कूल में उसका दाखिला हो गया था। नये स्कूल में सारे बच्चों के अपने दोस्त थे, अवनि से कोई … Read more

मेरे बुढ़ापे का सहारा – निधि घर्ती भंडारी : Moral Stories in Hindi

रमा जी, भारती जी और नीलम जी तीनों अच्छी पड़ोसन तो थी ही साथ ही अच्छी सहेलियां भी| तीनों के बच्चे एक ही स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ते थे |वैसे तो घर में काम ही इतना होता कि मिलना-जुलना नही हो पाता था, हां बस मंगलवार और शुक्रवार को लगने वाले पीठ बाजार … Read more

#पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों..?? – मीनाक्षी सिंह’ : Moral Stories in Hindi

ए री छुटकी.. यहां कैसे,,तू  बाहर गेट पर खड़ी है… दुपट्टा नहीं ले सकती .. जा अंदर जा.. साँझ  हो गई … ऐसे ही  चली आती है गेट पर.. बड़े भईया छुटकी से बोले… अगले दिन छुटकी अपनी मां से बाल बनवा रही थी … यह कैसे बैठी है… ठीक से कपड़े करके नहीं बैठ … Read more

खोए हुए रिश्तों की तलाश – विमल भारतीय ‘शुक्ल’ : Moral Stories in Hindi

एक सर्द सुबह थी। कोहरे से लिपटी हुई सड़कें, ठंड में सिकुड़ती ज़िंदगी और हवा में अजीब सी खामोशी। उसने अपनी गाड़ी घर के सामने रोकी। पिछली सीट पर एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे। उनका चेहरा थका हुआ और उदास था। आँखों में एक गहरी चोट थी, जो समय और हालात ने दी थी। यह … Read more

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