शिक्षा ही धन है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     ” कामिनी…ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो…देवर जी तो अब रहे नहीं…तुम अकेली औरत..छोटी-सी बच्ची को लेकर कहाँ- कहाँ भटकोगी…,अपनी ज़िद छोड़ दो और अपने जेठ की बात मानकर आराम से यहाँ रहो..।” देविका अपनी देवरानी को समझाते हुए बोली तो कामिनी ने उन्हें घूरकर देखा…फिर बोली,” जीजी…मैंने अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सही … Read more

आखिरी फैसला – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

मनुष्य की जिन्दगी में कब कौन-सा मोड़ आकर उपस्थित  हो जाएँ और कौन-सा फैसला लेना पड़ जाएँ,कुछ  कहा नहीं जा सकता है।कथानायिका सरोज भी  आज इसी दोराहे पर खड़ी है।सरोज को उसके पिता बहुत प्यार करते थे।सभी भाई-बहनों में बड़ी सरोज पिता की अत्यधिक दुलारी थी।पिता हमेशा उसे रानी कहकर ही बुलाते थे। उसे देखकर  … Read more

भगवान की लाठी में आवाज़ नहीं होती । – करुणा मालिक : Moral Stories in Hindi

अंकलजी , मकान की कोई टेंशन मत लो । कोई शिकायत नहीं होगी । अजी ! अपने मकान से भी बढ़िया रखेंगे । काग़ज़ी कार्यवाही की ज़रूरत ही नहीं, शीला बहन के ज़रिए ले रहा हूँ जी , अपना बेटा ही समझ लो बस ।  ये सारी चिकनी- चुपड़ी बातें देवांश जगमोहनसिंह से कह रहा … Read more

मां बाप की दुआओं में बड़ी शक्ति होती है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

कौन सा महीना चल रहा है बेटा ,जी आंटी छठा महीना चल रहा है। मम्मी से मिलने आई थी हां, ठीक है आती रहा करो बेटा तो मम्मी जल्दी ठीक हो जाएगी दूसरी जिंदगी मिली है बिचारी तुम्हारी मम्मी को । हां आंटी आती रहूंगी।नये मेहमान को इस दुनिया में लाने में बहुत देर कर … Read more

आंगन की दीवार – राशि सिंह : Moral Stories in Hindi

सुबह के सन्नाटे को तोड़ती हुई ईंटों की गिरने की आवाज ने पूरे घर का माहौल बदल दिया। घर के बाहर मजदूर ईंटों का ढेर लगा रहे थे। काका बैठक से बाहर निकल आए और काकी भी छड़ी के सहारे उनके पीछे आ खड़ी हुई। दोनों खामोश खड़े होकर मजदूरों को ईंटें उतारते देखते रहे। … Read more

आखिरी फैसला – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 ” क्या हुआ बेटा, चल ना अंदर ,,  अंजलि के पैर घर की देहरी के बाहर ठिठक गए तो उसकी मां रमा जी ने उसके हाथ को कस के पकड़ लिया और बोली, ” चल बेटा… तूं किसी बात की फ़िक्र मत कर.. तेरी मां तेरे साथ है …. सबके सवालों का जवाब मैं दूंगी… … Read more

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

  ” माँ.., , प्लीज जाने दो ना। मेरी सारी फ्रैंड्स जा रही हैं मूवी देखने । ,,  ” नहीं कोई जरूरत नहीं है…. सारा दिन बच्चों की तरह उछलती- कूदती रहती है…. थोड़ी तो बड़ी हो जा अब ।,,  ” क्यूँ सारा दिन मेरी बच्ची को डांटती रहती हो । अभी अपने मन की नहीं … Read more

घर के संस्कार.… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

शैलजा जी अपनी होने वाली समधन के घर गई थीं… विवाह की तैयारियों के बारे में बैठकर बातें करने… घर दो घंटे की दूरी पर था…आज कुछ काम के सिलसिले में उधर निकलना हुआ… तो फोन पर बातें करने से अच्छा उन्होंने सोचा कि… एक बार घर जाकर ही विवेक की मां और भाभी से … Read more

बांह चढ़ाना – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“अरे अमन! आज लंच नहीं करना है क्या?” “लगता है आज घर से बहुत खा कर आया है!” “हां हां, कुंभकरण की तरह!” “इसलिए कुंभकरण की तरह घोड़े बेचकर सो रहा है!” अपने सहपाठियों की ये टिप्पणियां सुनकर अमन गुस्से में उठा और अपनी बांह चढ़ा ली। “मैं कुंभकरण हूं ना! अब दिखाता हूं तुम्हें … Read more

“रिश्तों की अहमियत” – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सोनिया अपनी मां साधना के साथ गर्मियों की छुट्टियों में अपनी दादी के घर आई थी। 13 वर्षीय सोनिया बहुत चंचल और मासूम थी, लेकिन अपने बचपने और कम उम्र के कारण कभी-कभी चीजों को पूरी तरह समझ नहीं पाती थी। दादी के घर की गर्माहट और अपनापन उसे अच्छा तो लगता था, लेकिन दादी … Read more

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