प्यार का जाल – नंदिनी

बड़े नाजों से पली दो बहनें नीरू ,खुशबू  कभी भी नीरज शुभांगी ने कोई कमी नहीं रहने दी, हर  ख्वाहिश को पूरा किया । बढ़ती उम्र के साथ मौज मस्ती ,घूमना , दोस्ती यारी स्वाभाविक है ।  ऐसे में बड़ी नीरू की दोस्ती मोहित से हुई , पहला साल कॉलेज का अलग ही उत्साह उमंग … Read more

माफ़ी – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

रामदिन काका ने प्रभा के कमरे के बाहर दरवाजे पर खड़े होकर आवाज लगाई। “बहुरिया आपके बाबूजी आए हैं मिलना चाहते हैं। उन्हें बुला लूँ अंदर !” काका को ही पूरे घर के देख -रेख की जिम्मेदारी दी गई थी। प्रभा जब से ब्याह कर इस घर में आई थी तब से ही देखा था … Read more

कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता ठाकुर साहब – मीनाक्षी सिंह

निकम्मा घर में ही पड़ा रहता हैँ ,शादी भी हो गयी ,अब भी कोई ज़िम्मेदारी का एहसास नहीं ! मैं क्या तेरा पूरा जीवन खर्च उठाऊँगा ! नालायक कहीं का ,बहू के ज़रूरी सामानों के लिए भी पैसा मुझसे ही मांगता हैँ ! बिल्कुल शर्म हया नहीं हैँ इसकी आँखों में ! देखों अभी भी … Read more

आत्मग्लानि – पूनम अरोड़ा

संजय नर्सिंग  होम के संचालक और (हैड ऑफ द डिपार्टमेन्ट ऑफ सर्जरी) डाक्टर संजय ने मैनेजमेंट टीम को  सख्त हिदायत दे रखी थी कि चाहे कोई  कितना भी सीरियस केस आए , कोई  कितना भी अनुनय करे बिना फीस जमा कराए किसी का इलाज शुरू मत करना।  कई लोग ऐसे ही अपनी गरीबी का रोना … Read more

खौफ़ – मधु झा

शालिनी आफ़िस से आकर सीधे बेडरूम में जाकर लेट गयी और झुमरी मासी से काॅफी लाने को कहा। काॅफी का नाम सुनते ही झुमरी समझ गयी कि आज फ़िर से शालिनी बहुत स्ट्रेस में है,, वरना बाक़ी दिन वो आफ़िस से आने पर फ्रेश होकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर चाय पीती है,, उसके … Read more

 एक बेटी ऐसी भी – मधु झा

रामेश्वर जी और उनकी पत्नी मनोरमा जी पैकिंग करने में व्यस्त हैं,,।  “क्या कहीं घूमने जा रहे या फ़िर अपनी बेटी के यहाँ जा रहे,,?” “अजी नहीं,,ये दूसरे घर में शिफ़्ट हो रहे।  अरे वाह,  क्या इन्होंने दूसरा मकान भी ले लिया है,,? एक बड़े से मकान में तो पहले से ही रह रहे थे … Read more

जीवनदान – Short Hindi Inspirational Story

मेरी कामवाली कांता अपने साथ किसी दूसरी कामवाली विमला को लेकर आई थी क्योंकि वो पूरे एक महीने के लिए गांव जा रही थी अपनी छोटी बेटी की शादी करने। अपनी जगह जिस कामवाली को वो लगाकर जा रही थी उसको कांता ने सारा काम समझा दिया था। विमला कल से आने का बोलकर चली … Read more

आवाज उठानी जरूरी है – संगीता अग्रवाल

” जाहिल औरत ये क्या किया तूने गँवार है गँवार ही रहियो तू !” शारदा जी पूजा कर रही थी कि उन्हे बेटे कार्तिक के ये शब्द सुनाई दिये जो वो अपनी पत्नी सांची को बोल रहा था। ” माफ़ कीजियेगा वो मुन्ने का हाथ लग गया इसलिए पानी गिर गया थोड़ा !” सहमी आवाज़ … Read more

आसमां में सुराख – डॉ. पारुल अग्रवाल

पूरे नौ महीने के इंतज़ार के बाद दिव्या ने एक प्यारी सी बच्ची सिया को जन्म दिया। दिव्या और उसके पति नीलेश बहुत खुश थे पर एक वर्ष की होने के बाद भी बच्ची के क्रियाकलाप अपनी उम्र के बच्चों जैसे नहीं थे। वो अपना नाम सुनकर अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं करती थी। अपनी … Read more

भंडारे का आधुनिकीकरण – शुभ्रा बैनर्जी

आज मोहल्ले की महिलाएं सुबह से ही किसी गंभीर विषय पर यंत्रणा में लगी हुईं थीं।थोड़ा पास जाने पर पता चला कि,कल शनिवार को हनुमानजी के मंदिर में हमारे ही मोहल्ले के मनीष जी ने भंडारे का आयोजन किया है।महिलाओं में उत्साह अस्वाभाविक नहीं था।एक दिन दोपहर के खाना बनाने से मुक्ति जो मिलेगी।शीतल जी … Read more

error: Content is protected !!