अंजाना हक़ – पूनम अरोड़ा

शैक्षिक प्रशिक्षण से सेवा निवृत हो चुके अनिल जी ने  कुछ आमदनी प्राप्त  करने के लिए और कुछ अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए अपने घर के एक पोर्शन को किराए पर उठाने का फैंसला किया । जल्दी  ही उन्हें  एक किराएदार मिल भी गया । एक युवा दम्पति  और उनकी ढाई साल की … Read more

एक अनजान रिश्ता  – डॉ. सुनील शर्मा

संजीव आज अपने माता पिता के साथ दूसरे शहर में विवाह के लिए लड़की देखने जा रहा था. शिक्षा पूरी करने के बाद उसे एक प्रतिष्ठित विद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी मिल गई थी.वेतन भी अच्छा था.माता पिता चाहते थे कि अब विवाह कर घर बसा ले. संजीव को भी यह ठीक ही लगा. अच्छा … Read more

अनोखा रिश्ता – मंगला श्रीवास्तव

क्या रिश्ता था मेरा उससे कुछ नही, वह सड़क पर मिल था मुझे बारिश की एक रात में भीगते हुए। ठंड से कांप रहा था वह ,मुश्किल से एक महीने का होगा शायद अपनी माँ से बिछड़ गया था। वह मेरी गाड़ी के नीचे आते आते बचा था। जब मैंने उसको उतर कर देखा तो … Read more

एक रिश्ता – के कामेश्वरी

सुलोचना ने आवाज़ लगाई- दुर्गा कहाँ है अभी तक कपड़े घड़ी करना हुआ है या नहीं?क्या कर रही है? सो गई है क्या ? दुर्गा ने उनकी बातें सुनकर भी अनसुनी कर दी थी । माँ उसके कमरे में पहुँची और उसे सोते देख कर उस पर चिल्लाने लगी थी । उनकी कर्कश आवाज़ सुनते … Read more

दो चेहरा -नीलम सौरभ

पूरे मोहल्ले की खबरी विमला बाई पोंछा लगाते घर की मालकिन मेनका जी को बताने लगी, “अम्माँ जी! आपने सुना, पड़ोस वाले मिसिर जी का बेटा सक्षम एक लड़की को भगा लाया है! …माँ-बाप दोनों सदमे में हैं, दूसरे जात की लड़की..फिर 15-20 लाख का नुकसान भी हो गया न, तिलक की रकम का!” एक … Read more

एन, जी,ओ, –  माता प्रसाद दुबे

रात के बारह बज रहे थे। गीता कमरे में गुमसुम उदास बैठी बार-बार खिड़की से बाहर की ओर देख रही थी। उसका पति रवि अभी तक घर वापस नहीं आया था। उसे अपनी जिंदगी में सिर्फ घनघोर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था।दो साल पहले ही उसकी और रवि की शादी हुई थी। एक साल … Read more

“बेटी की बद्दुआ ” – कविता भड़ाना

एंबुलेंस के सायरन की आवाज जैसे जैसे करीब आती जा रही थी कनिका का हृदय आशंका और वेदना से फटा जा रहा था, घर – परिवार के सभी लोग इक्कठा हो चुके थे और आंखों ही आंखों में शायद सभी एक दूसरे को जवाब भी दे रहे थे,…  आज सुबह ही तो पापा से अस्पताल … Read more

दिनचर्या  – त्रिलोचना कौर

भारती दोपहर खाने के बाद आराम करने जा ही रही थी कि बेटे अभिराज का फोन आ गया” माँ,एक वर्ष के लिए मेरी पोस्टिंग ऐसी स्थान पर हो गई है। मै वहाँ सौम्या और बच्चों को लेकर नही जा सकता अत: इसी हफ्ते मै इन लोगों को छोड़ने घर आऊंगा”                          भारती खुशी से फूली नही … Read more

हम-तुम – सीमा बी

आज काफी दिनों के बाद नहीं दिनों नहीं महीनों के बाद कहीं दूर जाने का मन हुआ है एक लांग ड्राइव पर…. या फिर 2-4 दिनों के लिए इस शोर शराबे से दूर एकांत में जा कर कुछ पल सुकून के गुजार कर फिर से काम में लगा जाए…. अलसाया सा मन, आँखों से नींद … Read more

अधूरा सपना – नीरजा कृष्णा

“सुनिए जी, हमलोग आजतक कहीं घूमने फिरने नहीं गए। आप ऑफिस में खटते रहते हो और मैं इस घरगृहस्थी में।” रमाजी आज किंचित आवेश में थीं। सुधाकरजी आश्चर्यचकित होकर उन्हें देख रहे थे। आज शीतल शांत पोखरी में जैसे किसी ने पत्थर फेंक दिया था। वो वातावरण को शांत करने के प्रयास में चुहलबाजी करने … Read more

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