नया पन्ना —डा. मधु आंधीवाल

मां आज मेरा फाइनल इन्टरव्यू है आज तो कुछ बोलो मां केवल तुम्हारे बोल सुनने को मैं तरस गयी । मां पापा और सब परिवार वालों की सजा मुझे क्यों दी मां ? ये एक विनती उस यौवना की थी जिसका नाम युविका था । वह मौन साधिका अपूर्व सुन्दरी कभी यौवनावस्था में चांद भी … Read more

अनाम – सुधा शर्मा     

 अचानक सामने कुमार और रोहित को देखकर मै चौंक गयी । मैंने प्रश्न वाचक निगाहो  से दोनों की तरफ देखा मुँह से आवाज़ तक नहीं निकली। फिर कुमार की ओर मुखातिब हो कर कहा,’आप? क्या बात है?” इससे पहले कि कुमार कुछ कहते रोहित बोल उठा,”माँ,उनसे मत कहो कुछ मैं उन्हें यहाँ लाया हूँ ।”  … Read more

सुसाइड नोट – डॉ. सुनील शर्मा

न जाने क्यों, अब जीने की इच्छा ही नहीं रही. बूढ़े शरीर में दिमाग़ भी अब सुस्त हो गया है. आंखों की रोशनी और जीभ का स्वाद तो कब का चला गया.पेट में कुछ पचता नहीं. दांत भी एक एक कर साथ छोड़ गए. नहीं नहीं, कुछ बीमारी नहीं. बस थकान रहती है, चलने सा … Read more

भाई – सुधा शर्मा

रात में कोई दरवाजा खटखटा रहा था। देखा छोटा खड़ा था। भडभडाते हुए अन्दर आकर बरस पड़ा,’ये क्या भाई  , मुझे इतना पराया कर दिया? खबर नहीं कर सकते थे? इतनी परेशानी मे हो और मुझे खबर नहीं  ?मुझे दूसरों से पता चला।” फूट फूट कर रोने लगा वह।  मैने उसे गले लगा लिया ।’मै … Read more

सौतेली माँ – पूनम अरोड़ा

आरव जब छैः वर्ष का था तो दुर्भाग्यवश  उसकी माँ  का देहांत  हो गया। वह छोटा था किन्तु  माँ  के विछोह का दर्द  उसमें  उन सबसे कहीं  ज्यादा था जो उसकी माँ  के लिए शोक व्यक्त  करते थे। वे शोक  करने से अधिक उसके लिए अधिक संवेदना  प्रकट करते थे। “अब इस बेचारे  का क्या … Read more

सास “मुर्गी” नहीं बहू “बंदरिया” है – मीनू झा 

क्या नाम है तुम्हारा बेटा..–लगभग रोज पार्क में मिल रही उन आंटी ने उस दिन प्रिया को टोक ही दिया। प्रिया…आप हमारे बिल्कुल सामने वाले घर में आई है ना आंटी…भैया की मम्मी है या भाभी की?? बेटे बहू है मेरे सुकेश और रिया…आठ दिन हो गए आए यहां मुझे। आंटी बेटे के घर में … Read more

हम कितने स्वार्थी हैं – नीरजा कृष्णा 

आज सुबह से ही उनके घर में रौनक है,वरना जब से उनके बेटे रोहित की बहू की कैंसर से मौत हुई है, लोग जैसे हँसना बोलना ही भूल गए हैं। मधु तीन वर्ष के मोहित को छोड़ गई है।  येन केन प्रकारेण वो सब घर और बच्चा सम्हाल रहे थे कि उन्हें मंजरी के विषय … Read more

बेसहारा – रश्मि स्थापक

“अरे! भानू… यह वही हाथ-गाड़ी है न जिसमें जगन को ले जाते थे तुम …।” मोहल्ले की सोसाइटी के अध्यक्ष नरेश ने पूछा। “हाँ साब…अस्सी से ऊपर के हो गए थे चाचा… दिखता बिल्कुल नहीं था उन्हें इसीलिए मैंने खुद ये गाड़ी उनके लिए बनाई थी…  उन्होंनें काम करना कभी नही छोड़ा … मैं उन्हें … Read more

 शारदा – अंकित चहल ‘विशेष’

मम्मी, उठ जाओ ! ‌मम्मी, उठो, कहता और ज़ोर ज़ोर से रोने लगता, ऐसा विलाप और क्रंदन सुनकर, पत्थर दिल ‌वालों की भी आँखें भर आईं। एक 6से 7 साल का लड़का, अपनी ‌मृत माँ के साथ लिपटकर, उसे जीवित करने का असफल प्रयास कर रहा था।      लेकिन ‌जाने वाले कभी वापिस नहीं आते, उस … Read more

पहला थप्पड़  –  स्मिता सिंह चौहान

“आज भी कुछ हुआ है भाभी जी “रिंकी शालिनी की कामवाली उससे पूछती है ,”कुछ नहीं हुआ ,तू अपना काम कर”शालिनी कहते हुए रसोई से बहार चली गयी ।उसकी आँखे लाल और सुजी हुई थी ,जिस मुँह को उसने दुपट्टा से पल्ला रखके ढक रखा  था ,उसमे से उसके गालो पर पड़े निशान उसकी कहानी … Read more

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