बद्दुआओं और आहों से मुक्त कर दो मुझे! – मीनू झा

पता नहीं दूसरों की ज़िंदगी में जहर भरकर कैसे लोग अपना जीवन खुशहाल बना पाते हैं,इस आदमी की सूरत देखकर मेरा खून खौल रहा है,अगर सामने आ गया तो पता नहीं मैं इसका क्या कर डालूंगी।बहुत तकलीफ़ दिया इसने मेरे पूरे परिवार को–शीतल सोशल साइट पर प्रभात की प्रोफाइल देख धीरे धीरे बुदबुदाती हुई अंदर … Read more

अपने बेगाने – आरती झा आद्या

मां मां मेरा मेडिकल का रिजल्ट आ गया.. अनूप उछलता हुआ अपने कमरे से निकला। कुछ मत बोलना बेटा। जा ये खुशखबरी सबसे पहले अपनी यशोदा आंटी को बता आ.. अनूप की मां जया कहती है। खुशखबरी है तुम्हें कैसे पता मां। अभी तक तो मैंने तुम्हें रिजल्ट बताया ही नहीं.. अनूप मां के आंचल … Read more

एक तीर दो निशाने – सीमा वर्णिका 

•••••••••••••••••••• “मेहरा साहब आपने वही सुना जो हमने सुना,” गुप्ता जी बोले । “अरे! वही ‘अग्निवीर भर्ती योजना’ की बात कर रहे हैं,” मेहरा साहब व्यंग्यात्मक मुस्कान लाते हुए बोले । ” अच्छा मौका है एक तीर से दो निशाने ,”गुप्ता जी की शातिर आँखों में चमक आ गई । ” सही कह रहे हो … Read more

मेरे मकान मालिक का अपनापन – मीनाक्षी सिंह

उन दिनों मैं कृष्ण की नगरी मथुरा रहा करती थी ! मकान मालिक जाति से भारद्वाज थे ! और बहुत ही सम्पन्न थे ! पंडितों का घर था ! खूब पूजा पाठ होती थी ! मैं केन्द्रिय विद्यालय में शिक्षिका थी ! मेरा आठवां महीना चल रहा था ! पतिदेव दिल्ली नौकरी करते थे ! … Read more

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माॅ॑ का जाना – प्रियंका सक्सेना

“सुधा, बेटा माॅ॑ को दूसरा अटैक आया है…” सुबह-सुबह फोन का रिसीवर उठाते ही कानों में पापा की आवाज़ पड़ी तो अश्रुधारा अनायास ही कब नेत्रों से बहकर आंचल भिगोने लगी, पता ही नहीं चला। पास में सोए अमर की नींद भी मुंह अंधेरे बजती फोन की घंटी से टूट चुकी थी, लपककर फोन सुधा … Read more

 लगाव – विनय कुमार मिश्रा

एक साहब के घर का शिफ्टिंग हो रहा था। मैं मूवर्स एंड पैकर्स में शिफ्टिंग कराने का काम करता हूँ। कंपनी में ट्रेनिंग के दौरान जाना था कि इन साहब लोगों को कई बार अपने सहेजे सामान के प्रति भावनात्मक लगाव होता है। अच्छे से सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक इनके सामान को … Read more

चंडी – अनुज सारस्वत

****** “देख बेटा खाने पीने का ध्यान रखना वो पीले बैग को अपने पास रखना उसी में खाना पीना 9 घंटे की फ्लाइट है लंदन की।चेक इन अच्छे से कराना।बाकी चार भी है इसमें सो जाना ओढ़कर।” 18 वर्षीय स्वाति को एयरपोर्ट के गेट पर उसकी मम्मी गायत्री अपने अंदर के सैलाब को दबाते हुए … Read more

तेरे मायके से मेरे बच्चें हमेशा दुबले होकर आते हैं – मीनाक्षी सिंह

मानवी – नमस्ते मम्मी जी ( पैर छूते हुए ) विमला जी – नमस्ते ,,खुश रहो ,,आ गयी मायके से !! मेरे बच्चें कहाँ हैं ,,दिख नहीं रहे ! मानवी – वो गाड़ी से सामान उतरवा रहे हैं अपने पापा के साथ ! तभी दौड़ते हुए काजल और यश आ गए ! काजल और यश … Read more

सागर किनारे – विजया डालमिया 

सबको आता नहीं दुनिया को सजा कर जीना। जिंदगी क्या है मोहब्बत की जुबां से सुनिए । मेरी आवाज ही पर्दा है मेरे चेहरे का मैं हूँ खामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिए। तृप्त तन और सुप्त मन दोनों एक जैसे ही होते हैं। तृप्ति का भाव भीतर तक लिए वैशाली आज समुंदर की लहरों … Read more

नया रिश्ता – नीरजा नामदेव

तृप्ति और श्रेय की जोड़ी बहुत ही सुंदर थी। विवाह के बाद दोनों बहुत ही खुश थे। श्रेय की बहुत बड़ी कंपनी थी। वह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था ।तृप्ति को यह सब देख कर बहुत अच्छा लगता था। वह श्रेय की सफलता का राज नहीं जानती थी। शादी के कुछ सालों … Read more

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