बेड टी – नेहा शर्मा ‘नेह’

गैस पर चाय का पानी खौल रहा था और सुमित्रा अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। रोज़ सुबह उसकी दिनचर्या ऐसे ही शुरू होती। सुमित्रा रसोई में आती, चूल्हे पर पानी चढ़ाती और अपने ख्यालों में तब तक खोई रहती जब तक अंदर से उसके पति सुभाष की गुस्से में चिल्लाने की आवाज़ न … Read more

आत्मघात  – नेहा शर्मा ‘नेह’

अभी श्रावणी ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था कि किस्मत ने उसे बहुत बड़ा धक्का दिया। उस दिन उसका सोलहवां जन्मदिन था जिस उम्र में हर लड़की की उमंगें जवान होना शुरू जाती हैं, सपने पंख लगाकर उड़ने को बेताब होते हैं, चंचल और शोख मन उन सपनों के परों पर अपनी … Read more

बस बहुत हो गया – डा. मधु आंधीवाल

आज सुनीता बहुत खुश थी क्योंकि कल उसके इकलौते बेटे संचित की शादी थी । वह तो भाग भाग कर सबको बता रही थी कि सबको बहू प्राची का स्वागत किस तरह करना है। उसके पति मोहन लाल उसकी प्रसन्नता को महसूस कर रहे थे । वह रात को सब इन्तजाम और मेहमानो के आराम … Read more

ख़ाली जगह – बेला पुनीवाला

 जब भी आधी रात को बिस्तर पे में करवट बदलता हूँ, तब मेरी नज़र सावित्री की जग़ह पे जाके रुक सी जाती है, क्यूंँकि आज वो जगह खाली है।       सुबह जिसके साथ में मंदिर जाया करता था, घर आकर चाय – नास्ता करता था, कल जो रातो को मेरा सिर दबाया करती थी, रात को … Read more

टाइमपास – कंचन शुक्ला

आभा!!  हाँ, यही नाम था उसका। जिसकी तारीफ़ में, मैं कलमें पढ़ा करता था। बारिश के मौसम की तरह शीतल, शांत तो बिल्कुल भी नही। उसी मौसम की तेज़ हवाओं सी चंचल, मदमस्त और अनन्य ऊर्जा से परिपूर्ण। मन के भावों को कभी समेटती कभी बिखेरती। पढ़ीलिखी, समझदार परंतु फिर भी सरल। सौम्यता की खान, … Read more

प्यारे अमित – गरिमा जैन 

  बहुत दिन हुए तुमसे कोई बातचीत नहीं हुई ।पहले तुम्हें जब मन फोन कर लिया करती थी पर अब वो अपनापन नहीं लगता कि जब चाहू तुमसे बात कर लूं इसलिए तुम्हें आज एक पत्र लिखने बैठ गयी। ऐसे तो यह बीते जमाने की बात हो गई पर कहते हैं ना कभी  कभी पुरानी बातें … Read more

विम्मो बूआ … सीमा वर्मा

विम्मो तो हम उन्हें प्यार से बुलाते हैं  उनका पूरा नाम था विमला । जब कभी मैं जाड़े के दिनों मे हौस्टल से घर वापस आती वे अम्मा के कहे अनुसार अंगीठी सुलगा कमरे में रख जाती सारा कमरा धुएं से भर जाता मेरी आंखें कड़वा जाती और मैं चिल्लाती ,  ” जल्दी बाहर कर … Read more

अपशकुन – मिन्नी मिश्रा

 मेरा मन उदास था। घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। पतिदेव को आफिस विदा करते ही एक विचार आया , क्यों नहीं सहेलियों से मिलकर मन को हल्का किया जाय ।झट वार्डरोब खोलकर ड्रेस निहारने लगी | लाल कोर वाली हरी सिल्क साड़ी दिखी। अरे वाह ! यह साड़ी दादाजी ने शादी की पहली साल-गिरह … Read more

अतृप्त – सरिता गर्ग ‘सरि’

नारी -मन की संवेदना की अछूती कहानी           उस रात  उसकी सुगन्धित देह को घर्षण और चोट से रौंदता वो आनंद पाता रहा और वो ठंडी और निष्प्राण चादर -सी ,वक्त की सिलवटों से मुड़ी -तुड़ी बिस्तर पर बिछी रही । इसी तरह वो हर रात रौंदी जाती रही,उस पर बलात्कार होता रहा,फिर भी वो मुस्कुराती … Read more

बर्बाद हुआ घोंसला – नेहा मिश्रा ‘नेहू’

आज लता की शादी के 2 महीने पूरे हो गए। गरीबी के कारण उसके माता-पिता ने उसकी शादी एक ऐसे इंसान से की जिसकी पहली औरत स्वर्गवासी हो गई थी। पर उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता वह तो अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत खुश है। हालांकि उसके पति की पहली बीवी से … Read more

error: Content is protected !!