भगवान जी,,मेरी मम्मा से बात करा दो,मैं आपको चॉकलेट दूंगा – नीतिका गुप्ता 

सफेद रंग की लाल बॉर्डर वाली साड़ी में नीता दूर से ही सभी को होली खेलते हुए देख रही है। नीता को रंग लगाने से ज्यादा छुड़ाने में होने वाली परेशानी की वजह से होली खेलने से डर लगता है।     मम्मा…. नीता ने जब आवाज की तरफ मुड़ कर देखा तो 5 साल के … Read more

एक फौजी आदमी का देश से अटूट बंधन  – मीनाक्षी सिंह

किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। मेरे पापा जब बी .काँम कर रहे थे तब बस उन्होने बैंक की नौकरी करने का सपना … Read more

पराये हुए अपने – मुकुन्द लाल 

 वृद्धा सुमित्रा ने अपने शरीर की जर्जर  हालत का अनुमान लगाते हुए उसने साकेत से कहा कि अब वह कुछ ही दिनों का मेहमान है इस धरती पर, कब प्राण-पखेरु इस चोला को छोड़कर उड़ जाएंगे कहना मुश्किल है। मुझे रजिस्ट्री आफिस ले चलो, तुमलोगों ने मेरी बहुत सेवा की है, जिसकी बदौलत ही मैं … Read more

किन्नर मां – गीता वाधवानी 

आज शीला किन्नर रात के समय जब वापस घर आ रही थी तो उसने तीन चार कुत्तों को किसी कपड़े पर झपटते हुए देखा और उसे कुछ आवाज भी सुनाई दी।         उसने भागकर कुत्तों को वहां से हटाया और देखा कि एक नवजात बालिका कपड़े में लिपटी हुई कूड़े में पड़ी है। कुत्ते उसे नोचने … Read more

“अनमोल के संग अनमोल बंधन”   – भावना ठाकर ‘भावु’ 

इधर मेरा MBA खत्म होते ही माँ पापा ने मेरे लिए रिश्ता ढूँढना शुरु कर दिया मानों मैं बोझ हूँ, जितना जल्दी हो सके सर से बोझ उतार देना चाहते हो। क्यूँ आख़िर? मेरी मर्ज़ी भी पूछते मैं क्या चाहती हूँ, मेरे सपने क्या है, मेरी पसंद पूछते..! मन में कहीं न कहीं लव मैरिज … Read more

गुरुकृपा !! – पायल माहेश्वरी

“ओम् जय जगदीश हरे …..” आरती की मधुर स्वर लहरियां रोज सुबह की तरह ‘गुरुकृपा’ भवन में गूँज रही थी, घर के सभी सदस्य आरती में सम्मिलित हुए पर रोज की तरह वैशाली अपने सुबह के जिम में व्यायाम करने गयी थी। ” वैशाली कभी मेरी अपेक्षा पूरी नहीं कर सकती हैं वह अपनी आदतें … Read more

बेटी की पुकार  –  मंजू तिवारी

 हे प्रभु सुना है  कि तूने नारी की रचना बड़ी फुर्सत से की है और इसकी रचना करने में आपको बहुत समय लगा सहनशीलता साहस ममता करुणा दया सृजनशील वह सारे गुण आपने उसे दिए जो प्रभु आप में है प्रभु तूने  तो एक नारी रूपी रत्न गढा था रत्न बहुत बहुमूल्य होता है उसे … Read more

मोह का बंधन – तृप्ति शर्मा

एक टेबल से दूसरी टेबल पर बैग और गाड़ी की चाबी हिलाता वंश ऐसे बात कर रहा था जैसे वाकई मे उसकी बिजनेस मीटिंग चल रही हो।      रसोई में खड़ी साक्षी वंश का यह खेल रोज़ देखती थी।अभी पांच साल का था वंश और अपने पापा की पूरी नकल करता था।      ” अपने पापा” यह … Read more

मेरा चॉंद* – *नम्रता सरन “सोना”

हॉस्पिटल की बालकनी में भुवनजी बेसब्री से चक्कर काट रहे थे, बार बार आसमान को ताकते हुए उनकी आंखों की कोर से आंसुओं की बूंदें टपक जाती थी, जिन्हें वो सबसे नज़र बचाकर आस्तीन से पोंछ देते थे। “मि. चोपड़ा, अंदर चलिए, आपकी वाइफ की कंडीशन लगातार बिगड़ रही है” अचानक नर्स ने आकर कहा। … Read more

अटूट है ये बंधन ‘ – विभा गुप्ता 

   मालती ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलने का प्रयास किया, सब कुछ उसे धुंधला दिखाई दे रहा था।दवा का असर था और कुछ कमज़ोर भी थी।स्वयं को अस्पताल के बेड पर लेटे देखकर वह चकित रह गई।वह तो मरना चाहती थी, किसने उसे बचा लिया?   ” दादी, अब आप तैसी(कैसी) हैं?” एक तीन वर्षीय बच्ची की … Read more

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