आरती की थाली – दर्शना जैन

रक्षाबंधन आने के लगभग पंद्रह दिन पहले से सरिता की तैयारियाँ शुरू हो जाती थी। घर के काम से फुर्सत मिलते ही वह खरीददारी करने बाजार के लिये निकल पड़ती।     हर बार रक्षाबंधन पर चेहरे पर खुशी होती लेकिन इस बार चेहरा उदास था व आँखें रोये जा रही थी। कोरोना ने उसके भाई भाभी … Read more

बरसात – निभा राजीव “निर्वी”

रात के 9: 30 बज रहे थे।झमाझम बारिश हो रही थी। सुरेंद्र को साइकिल चलाने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी, फिर भी वह पैडल मारे जा रहा था और उसके पीछे उसकी पत्नी राधा बैठी थी। सुरेंद्र को मस्ती सूझी और वह गाना गाने लगा “- आज रपट जाएं तो हमें ना उठइयो…..” वह … Read more

‘गुडिया मुझे माफ़ कर देना !” –   शिखा कौशिक

सुधा और दीपक दो दिन की यात्रा के पश्चात्  घर पहुंचें.शाम के पांच  बजने आये थे .फरवरी का  माह था अत: हवाओं में शीतलता बची  हुई थी .दीपक ने घर के किवाड़  खुलवाने को अपने बेटे को आवाज लगाई -”बिट्टू ……बिट्टू ….” तीन-चार  आवाज पर भी जब किवाड़ नहीं खुले तो सुधा ने भी आवाज … Read more

तरक्की की कीमत.. – रंजू भाटिया : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बचपन के दिन कैसे फुदक के उड़ जाते हैं ,स्कूल की शिक्षा खत्म हुई और आँखो में बड़े बड़े सपने खिलने लगते हैं जैसे ही उमंगें जवान होती है कुछ करने का जोश और आगे ऊँचे बढ़ने का सपना आंखो में सजने लगता है !ठीक ऐसा ही शिवानी की आँखो … Read more

वक्त का क्या भरोसा – रश्मि प्रकाश

मनीष गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार के साथ शिमला घूमने गया था।  शिमला से जब वापस दिल्ली लौट रहे थे अचानक उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई।  इस दुर्घटना में मनीष की मौके पर ही मौत हो गई।  लेकिन उसकी पत्नी राधा और दोनों बच्चों को  मामूली चोटें आई थी। राधा ने  इस मुश्किल घड़ी … Read more

शब्दों के तीर, प्रभु के ह्रदय को गये चीर, – सुषमा यादव

एक बिल्कुल सत्य कहानी लेकर मैं आप की सेवा में फिर से हाजिर नाजिर हुई हूं,, आप की प्यारी प्रतिक्रया का हमेशा की तरह बेसब्री से इंतज़ार रहेगा, धन्यवाद कभी भी क्रोध में विवेक खोकर किसी को भी अपशब्द अपमान रूपी तीर से घायल मत करिए,, बोलने वाला, सुनने वाला भी कुछ दिन में भूल … Read more

अधूरी ख़्वाहिश – कामेश्वरी करी

जानकी पाँच बजे ही उठ गई ।बाहर आकर घर के सामने रंगोली डालने लगी ।उनके घर का रिवाज है कि रोज सबेरे घर के मुख्य दरवाज़े के सामने काम करने वाली बाई पानी छिड़क कर जाते ही रंगोली बनाना है ।यह रंगोली रोज जानकी ही बनाती है । संक्रांति के त्योहार के समय वह पूरे … Read more

स्वयं की तलाश – डा. मधु आंधीवाल

पंखुरी खिड़की में खड़ी थी । आज घनघोर बारिश हो रही  थी ।  उसके साथ ही उसके मन में भी  अंधेरी घटायें घिरी थी । सोच रही ऐसी ही तो बारिश की शाम थी । वह बस का इन्तजार कर रही थी । आज प्रेक्टीकल क्लास देर से छूटी । वह अकेली रह गयी उसकी … Read more

बरसात की वो रात – पुष्पा पाण्डेय

मंदिर में रात बीताने को मजबूर मास्टर  दम्पति को  नींद नहीं आ रही थी। तूफानी बरसात, कड़कते बादल और चमकती दामिनी ने उन्हें गाँव जाने से रोक दिया था। एक मित्र की पत्नी का देहान्त हो गया था। उसी के दुख में शामिल होने गये थे। आना तो कल सुबह चाहते थे, लेकिन किसी ने … Read more

रिटायर्ड आदमी की आत्मकथा – सत्य प्रकाश श्रीवास्तव

आप सोच रहे होंगे, “इस आदमी को बेहद खुशनसीब होना चाहिए। साठ साल तक सरकारी माल काटने के बाद अब नाती- पोतों के साथ जीवन का आनंद लेते दिखना चाहिए था। बेटे-बहुओं की हथेली पर इस आदमी के नखरे कुलांचे भरते दिखने थे। पर, यहां ये आदमी इस उम्र में..! ये तो दया का पात्र … Read more

error: Content is protected !!