सीनियर सिटीज़न –  सीमा नेहरू दुबे 

यहाँ सबसे पहले एक बात कही जायेगी कि मन की कोई उम्र नही होती, कम्बखत वो बुड्डा ही नही होता, उसकी उमंगे और तरंगे तो यू ही रहती है पर ये तन है जो सारी उम्र हर खुशी, गम और मुसीबतो को अपने उपर लेता है और बैचारा बुढापे की तरफ चल देता है, खैर हम भी उसी ग्रुप के ही है, पति साठ के उपर हम साठ के पास, उस दिन बेटा दिल्ली गया हुआ था और मौसम का मिज़ाज़ आशिकाना, धीमी धीमी बारिश और मीठी मीठी मध्यम हवा। 

पतिदेव बोले सुनो आज क्यों ना मौसम का मज़ा लिया जाए। मैंने अपनी भोहये चड़ाई और पूछा कहाँ का विचार है। पतिदेव आशिकाना अंदाज़ मे बोले ” सुनो आज तुम भी जींस पहनो मैं भी पहनता हु, हम दोनों आज स्कूटर से मौसम का मजा लेगे, वाह जनाब बड़ा आशिकाना मिजाज हो रहा है ये कह कर मै तुरंत तैयार हो कर हाजिर। धूप का चश्मा और स्पोर्ट शू पहन कर मै स्टाइल मै पतिदेव के पीछे बैठ मौसम का आनंद लेने निकल पड़ी। 

पर गृहस्थ जीवन की परेशानी ये है की इसको हर वक्त काम की ही  चिंता रहती है सो मैने कहा की चल तौ रहे है लगे मे लगे कुछ काम भी कर ले। एक पंथ दो काज हो जायेंगे। इतना कहने पर बोले, जो तुमको हो पसंद वही बात करेगे, मै मुस्करा दी, चलो अमीनाबाद चलते है वहा अच्छा समान मिलता है, बहुत भीड़ वाला मार्केट है, स्कूटर वहा खड़ा कर देना और हम वहा से जो हमको नयी अलमारी बच्चों के लिए देखनी है देख लेगे, 

बाजार पहुँचे, कौन पार्किंग पर जाए वही सड़क के किनारे स्कूटर खड़ा कर दुकान के अंदर चले गए, कोई बड़ों की जिम्मेदारी का अहसास ही नही, भाई क्यों हो , आज तौ हम पूरे ही मस्त मूड मे थे। अलमारी ऑर्डर की और आराम से टहलते हुए दुकान के बाहर आये, अरे ये क्या????? हम दोनों बुरी तरह से चौक पड़े, स्कूटर नदारद था। हम हक्के बक्के रह गए, आज ही रोमांस का मुड और यहाँ तौ कुछ और ही हो गया, नुकसान तौ नुकसान ही होता है मेरा तौ मुह ही लटक गया, पतिदेव तुरंत मुस्तेदि मे आ गये।

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   आस पास पता किया कि क्या किसी ने किसी को स्कूटर ले जाते देखा। तभी एक बंदा जो हमारी ही उम्र दराज था बोला क्यों जनाब आपने क्या स्कूटर बिना ताले के रखा था, पतिदेव ने सर हिलाया, वो एक टेडी मुस्कान ले कर बोला वाह जनाब अगर आप का बच्चा ये करता तौ शायद आप उसको खा जाते पर आप तौ बहुत ही ज़िम्मेदार है। मैं और ये उसका भाषण सुन ही रहे थे और क्या कहते तभी वो बोला ‘ जनाब आपकी गड्डी को पुलिस उठा ले गयी है

, पुलिस चौकी जा कर पता करे। वाह क्या बात यहाँ रोमांस की तौ एसी कम तैसी हो गयी। खैर हम अब चले मिसन स्कूटर उठाने पुलिस चौकी से। वहा जब पहुँचे तौ देखा एक नहीं कई किस्मत के मारे वहाँ थे। पतिदेव क्युकी वकील साब थे तौ पुलिस का डर नही था वरना आम इंसान की तौ सच मे हवाईयां उड़ जाती है। थाना इंचार्ज जैसे ही बाहर आये पतिदेव तुरंत उनके पास गए और उनको बताने लगे कि उनको इतनी स्कूटर पर चलने की आदत नही है पर आज वो मौसम का मजा उठाने मेरे साथ स्कूटर से घूमने निकल पड़े और ये चूक हो गयी।

 वो हमारी बात सुनता  रहा फिर मुस्करा कर बोला सर मै क्या बोलूं ” आप तौ आखिर सीनियर सिटीज़न है, आपको अपनी ज़िम्मेदारी खुद पता होनी चाहिए और ये कह कर एक सिपाही को बोल कर कि आप सीनियर सिटीज़न है आपको परेशान ना किया जाए और इनको इनका स्कूटर दे दो। दो बार सीनियर सिटीज़न का तमगा पहन कर अब तौ हम  ये सोचने लगे क्या सच मे हम बुजुर्ग हो गए।

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