रिटायरमेंट – सुनीता माथुर

प्रियांशी बैंक मैनेजर थी आज बहुत खुश थी उसका रिटायरमेंट था बैंक के सभी लोगों ने रिटायरमेंट की पार्टी की तैयारी कर रखी थी प्रियांशी के पति विकास भी बहुत खुश थे क्योंकि—- वह भी पहले बैंक में ही डायरेक्टर थे और 2 साल पहले ही—— रिटायर्ड हो गए थे! सोचा था प्रियांशी के रिटायर्ड होने के बाद दोनों खूब अच्छे से घूमेंगे। 

शाम को 4:00 बजे बैंक में पार्टी थी प्रियांशी के साथ उसके पति विकास को भी बैंक वालों ने आदर सहित बुलाया था बैंक के सभी लोगों ने उनका बहुत स्वागत किया—- क्योंकि विकास भी पहले बैंक में ही डायरेक्टर थे!—-

प्रियांशी और विकास के दोनों बेटे बहु है और पोता पोती भी पार्टी में आए थे विकास का बड़ा बेटा विराट, बड़ी बहू पत्रलेखा, छोटा बेटा विनायक, छोटी बहू मीनल, बड़े बेटे का 8 साल का बेटा विशाल एवं छोटी बहू की बेटी 5 साल की अनुष्का थी! बैंक वालों ने पूरे परिवार का पार्टी में अच्छे से स्वागत किया पार्टी शुरू हो गई सभी ने प्रियांशी के काम की बहुत तारीफ की! 

पार्टी खत्म होने के बाद विकास और प्रियांशी अपने बच्चों के साथ घर आ गये और खूब रौनक घर में हुई दूसरे दिन बैंक वालों को भी—— एक होटल में पार्टी दी गई और रिश्तेदारों को भी बुलाया गया— चार-पांच दिन तो उत्सव की तरह निकल गए सभी लोग बहुत खुश थे पर 5 दिन बाद——— जब दोनों बेटे- बहु, पोता- पोती जाने लगे तो प्रियांशी और विकास को—–

बहुत अकेलापन लगने लगा पर दोनों बेटों ने कहा आप हमारे पास आ जाना और वहीं रहना!——– प्रियांशी ने कहा हां हम जरूर आएंगे अपने बच्चों के पास—- बस घर फिर से सूना हो गया! अब तो प्रियांशी और विकास के पास कोई काम नहीं था लगा रिटायरमेंट के बाद अब क्या करेंगे? कभी-कभी दोनों घूमने चले जाते  तीर्थ पर चले जाते पर जैसा नौकरी में मन लगता था वैसा मन नहीं लगा! 

दोनों बेटे ही बाहर थे विकास और प्रियांशी जब बड़े बेटे के पास गए तो उन्हैं दो-तीन दिन तो अच्छा लगा फिर उन्होंने देखा—– कि दोनों बच्चे नौकरी में बिजी हैं, उनका बेटा भी स्कूल चला जाता—- स्कूल से आकर फिर ट्यूशन चला जाता! शाम को—– अपने दोस्तों के साथ खेलता थोड़ी देर अपने दादी बाबा के पास खेलता! वहां पर भी विकास और प्रियांशी का ज्यादा मन नहीं लगा।

 उसके बाद  छोटे बेटे के पास गए वहां पर भी सभी लोग बिजी दिखाई दिए लौट फिर के फिर से घर आ गए आखिर बच्चों ने बहुत रोका लेकिन उनका मन नहीं लगा।

समय निकलता जा रहा था एक दिन—– विकास पार्क में घूमने गए और वहां पर उनको अपना पुराना दोस्त अमर मिला वह भी पहले बैंक मैनेजर से ही रिटायर्ड हुआ था! पर बहुत खुश दिखाई दे रहा था!——- विकास ने कहा तुम इतने खुश कैसे हो? तुम्हारे बच्चे बेटी और बेटे दोनों विदेश में हैं?

अमर विकास से बोला मैं और मेरी पत्नी सुष्मिता दोनों ही इतने व्यस्त रहते हैं कि——- टाइम ही नहीं मिलता कि हम “रिटायर्ड” हो गए!

 मेरी पत्नी भी गवर्नमेंट ऑफिसर से रिटायर्ड है हम दोनों ने एक नियम बनाया कि पहले जैसे ही टाइम पर अपन काम करेंगे और सबसे मिलेंगे जुलेंगे, समाज सेवा करेंगे, और जो अपने को कला आती है——- उसका विकास करेंगे! अपनी सेहत का ध्यान रखेंगे, बच्चों को तो पढ़ा- लिखा के बड़ा कर दिया! और उनकी घर- गृहस्थी भी बस गई! अब आगे की जिंदगी अपन अपने लिए जिएंगे! बच्चे अपनी जिम्मेदारी निभाऐंगे अब बच्चों की बारी है—- वह अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाएं इसलिए अपन तो फ्री हैं!

 अमर ने विकास को बताया हमने एक ग्रुप भी बनाया है हम सब पार्क में मिलते हैं——- खुली हवा और खुले वातावरण में योगा करते हैं! जिसको गाना आता है गाना सुनते हैं! घर जाकर अपना लेखन कार्य भी करते हैं! तुम चाहो तो——- हमारे ग्रुप को ज्वाइन कर लो और अपनी पत्नी प्रियांशी को भी अपने साथ लाया करो! 

विराट जब घर गया तो उसको यह बात बहुत अच्छी लगी और उसने अपनी पत्नी प्रियांशी को बताया प्रियांशी भी अमर की पत्नी सुष्मिता को जानती थी उसने कहा यह तो बहुत अच्छा है——- मुझे भी कहानी लिखने का शौक है मेडिटेशन, योगा करने का, नृत्य करने का,— चलो इससे अपना भी नियम बनेगा और इतने सारे लोगों का साथ मिलेगा और विराट तो—– गाना भी बहुत अच्छा गाता था इससे गाने की भी प्रेक्टिस होगी—- बस फिर क्या था——- दोनों ने अमर और सुष्मिता का ग्रुप खुशी से ज्वाइन कर लिया—- विराट और सुष्मिता बड़े खुश रहने लगे! इधर दोनों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहने लगा! जब दोनों बेटों ने कहा पापा मम्मी आप कुछ समय के लिए——- हमारे पास आ जाओ तो उन्होंने कहा—– हम तो बहुत व्यस्त रहते हैं! अरे—— आप काहे में व्यस्त रहने लगे अब हम अपने आप में व्यस्त रहते हैं! अभी तक तो हम बच्चों को पालने- पोसने और पढ़ाने- लिखाने में व्यस्त रहे अब तुम दोनों की शादी हो गई बच्चे भी हो गए अब हम अपने ऊपर ध्यान देंगे यह सुनकर बच्चों को अच्छा लगा। 

जब भी समय मिलता बच्चे बहु- बेटे अपने बच्चों को लेकर अपने पापा मम्मी के पास आ जाते—— घर का वातावरण बड़ा खुशहाल दिखाई देता!——-  प्रियांशी और विकास अपना सब काम समय पर करते—- सुबह योगा करते, पार्क में घूमने जाते,  उसके बाद घर आकर अपने परिवार के साथ नाश्ता करते और जूस, चाय जो भी पीना होता वह पीते समय पर खाना खाते! दोनों बहू बेटे उनके बच्चे भी उनके संग—– खूब इंजॉय करते और पार्क में उनके साथ घूमने भी जाते! घर के सभी सदस्य समय पर सब काम करते, उनके पोता पोती भी अपने दादी बाबा से अच्छे संस्कार सीखने लगे अब तो दोनों बहू बेटों का मन होता था कि चलो—— छुट्टियों में अपने मम्मी पापा के पास ही बिताएंगे——–देखते देखते ऐसे—— घर का खुशनुमा वातावरण हो गया! और “रिटायरमेंट” के बाद भी समय इतना अच्छा निकलने लगा! 

तो दोस्तों यदि हम चाहें तो समय का सदुपयोग कर सकते हैं रिटायर्ड होकर निराश होकर बैठना सही नहीं!—- पूरी जिंदगी जब अपन बच्चों को बड़ा करने में निकाल देते हैं और अपनी जिंदगी भी अच्छे से जीते हैं तो उसके बाद बच्चों को भी अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है! अपन अपने ऊपर ध्यान देकर, अपनी कला के द्वारा, अपनी जिंदगी को भी स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं, ताकि इससे और लोगों को भी शिक्षा मिले कोई भी अपने आप को वेकार न समझे।                        

                             सुनीता माथुर 

                           स्वरचित रचना 

                           पुणे महाराष्ट्र

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