सुबह से चारू का मन बैचेन था’
पता नहीं आज कार्तिक ने उसे फोन क्यूँ नहीं किया “
रात में बात तो हुई थी!
ऐसा कुछ तो लगा नहीं,
चारू का प्रेम ऐसे कगार पर था की उसे हरक्षण डर लगता की कही कार्तिक उससे दूर न हो जाऐ “
दूर होने का सोचकर ही उसे लगता उसकी सांसे अटक गयी!
उसे महसूस होता, की कार्तिक उसके ही, शरीर का अंश है!
मोबाइल की आवाज से उसका, ध्यान टूटा “
स्क्रीन पर कार्तिक का नम्बर देखकर उसकी जान में जान आयी!
कार्तिक “””क्या कर रही हो,
शायद कार्तिक अभी सोकर उठा था!
चारू”””आप ठीक हो,
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कार्तिक”” हा, आज आंख ही नही खुली ” रात लेट सोया था!
चारू “”” क्यूँ “
कार्तिक, ,, बस वही रोज का काम धंधे की बाते ,
क्यूँ क्या हुआ !
चारू “” कुछ नहीं बस ऐसे ही पूछ लिया “
चारू का मन हो रहा था की वो बोल दे की, तुम्हेँ नही देखती तो परेशान हो जाती हूँ, पागल हो जाती हूँ “
पर बोल न सकी “
कार्तिक “” चलो ठीक है, मै भी उठता हूँ, अपना ख्याल रखना ” जिम भी जाना है, आज बहुत सारा, काम है!
वैसे तुम्हारा चेहरा देखता हूँ तो, दिन अच्छा गुजरता, है,
मुस्कुराया कार्तिक ”
चारू के मन में आया, की पूछ ले ” वीना का , पर पूछ न सकी, कही कार्तिक बुरा न मान जाऐ, आखिर वीना उसकी पत्नी थी!
उसके बच्चों की माँ, फिर मै कौन, उसके दिल ने सवाल किया “
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कार्तिक,, क्या सोचने लगी “
चारू,,,, कुछ नहीं “
कार्तिक “” तुम खामोश होती हो, तो जान निकल जाती है,
जान हो मेरी”
शायद चारू यही सुनना चाहती थी! उसके चेहरे पर मुस्कान खिल गयी “
कार्तिक ” अच्छा बाय” कुछ देर से कॉल करता हूँ!
चारू “” ठीक है “
फोन कट “
बस ऐसी ही बातें, दोनों के बीच होती रहती ” किसी से न कुछ चाहिए था, कुछ रिश्ते ऊपर वाला शायद इसलिए बनाता है, जिसमे त्याग अपने पन के अलावा कुछ नही होता “
पर समाज उन रिश्तो का मापदंड ही बदल देता है “
वैसे चारू अतुल की अर्धांगिनी, जाने कितने वर्ष हंसी खुशी से गुजरे दोनों के एक साथ, पर अचानक चारू के जीवन में, कार्तिक का आना, शायद कही किसी जन्म के दबे हुए प्रेम का आगाज था!
खास रिश्ते से बंधी बेल, कब प्रेम मे बदली दोनों जान न पाये “
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बस एक दूसरे से बात करना, अपना सुख दुःख बांटना, अच्छा लगता था!
कहते है न कर्म हम करते हैं, फल विधाता देता है!
बस एक दूसरे की खबर रखना ” एक दूसरे को खुश रखना दोनों की दिनचर्या में जुड गया!
कही कोई वादा नही, न कोई कसमें, बस उस प्रेम मे, सारे फर्ज पूरे करना उद्देश्य बन गया!
कार्तिक काफी दिनों से खुद में बदलाव महसूस कर रहा था!
वो वीना के प्रति समर्पित था!
और चारू अतुल के प्रति ” फिर अचानक से इतने सालो के बाद अचानक, चारू के प्रति कार्तिक का आकर्षण, वो खुद भी समझ न पाया न चारू “
बस एक दूसरे के प्रति खिचाव शायद, भाग्य में ऐसा भी कुछ लिखा था!
इस बात को सबसे पहले वीना ने नोट किया, और कार्तिक के दिमाग में ये बात सेट होती गयी, की क्या सच, चारू से उसका लगाव प्रेम है, या मात्र आकर्षण, ऐसे कैसे प्रेम हो सकता है!
कार्तिक खुद के अंतर्द्वंद में फस गया!
आखिर एक दिन उसने मजाक में पूछ लिया,
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कार्तिक “”” चारू तुम मुझसे प्रेम करती हो “
चारू “” ये कैसा घटिया मजाक है, आज के बाद फोन मत करना ” तैश मे बोली चारू “
कार्तिक “”” सारी,,, दर असल वीना बोल रही थी!
चारू ” और आप पूछने आ गये!
कार्तिक “”” शायद वो हमारे रिश्ते पर शक करती है “
चारू, तो ठीक है न अब आज से हम बात नही करेगें “
फोन कट गया ” फिर हप्ते गुजरते गये! एक दिन “
वीना “””” क्या बात है आजकल आप दोनों के झगड़े हो गये!
कार्तिक “”” किसके “
वीना “”” चारू मैडम और आपके “”
कार्तिक ,,,क्यूँ
वीना “””” बातचीत बंद,, उन्हें कोई और पंसद आ गया क्या “”
वीना जोर से चीखा, कार्तिक “
ऐसा क्या बोल दिया मैने, कुटिलता से हंसी वीना “
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अखिर रखैल है, तुम्हारी “”
वीना बहुत हो गया ” इतना भी बिना वजह किसी को जलील मत करो, यदि चारू गलत है तो दुनिया में मेरे लिए दुनिया की हर औरत गलत है!
और तुम भी “
वीना, ,,, मेरी बराबरी उससे कर रहे हो “
कार्तिक ” नही उसके पैरों की धूल भी नहीं हो तुम “
वीना “,,, कार्तिक वीना चीखी”
कार्तिक, वीना मैने तुमसे प्रेम विवाह करके जीवन की पहली गलती की है” मुझे पता है, चारू मेरे जीवन से जुड़ी, पूर्वजन्म की सोल , वो भी जानती है!
पर तुम क्या हो आज तक नही जान पाया, क्या कमी आने दी तुम्है मैने “
और कान खोल कर सुन लो, अब और तुम्है जो समझना हो समझो, हमारा रिश्ता अब कभी नहीं टूटेगा ” चाहे जितना जोर लगा लो “
वीना “””ठीक है फिर जाओ उसी के पास”
कार्तिक, “”” मुझे जो भी अच्छा लगेगा करुंगा “
वीना पैर पटकती हुई बाहर चली गयी!
और कार्तिक सोचता रहा की चारू को यदि वीना की सोच की भनक लग गयी, तो उसे दु:ख होगा “
इसलिए इस प्रेम का पटाक्षेप होना अनिवार्य है!
नही तो कच्ची डोर चारू को कब रखैल की श्रेणी में खडा कर देगी कोई सोच नही सकता ” मै उससे दूरी बना लूंगा ” तभी उसे सबित कर पाऊंगा ” धीरे धीरे, कार्तिक का मन हल्का होने लगा, और, ऐ सच्चे सोलमेट प्रेम की जीत थी!
समाप्त
रीमा महेंद्र ठाकुर लेखिका “
राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश