एक और मौका – विनीता सिंह

एक बहुत बड़ी आलीशान हवेली । वहां पर श्रीकांत जी और रुक्मणी जी रहते हैं! उनका बेटा कृष्णम जो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका था आज पिता से कह रहा था पिताजी मुझे गिटार में अपना कैरियर बनाना है उधर श्रीकांत जो शहर के बहुत बड़े जज थे वह चाहते थे उनका बेटा सिविल की … Read more

समाज का सच – लतिका पल्लवी 

माँ,माँ,जल्दी आओ भैया दीदी को लेकर आ गए।गाड़ी की आवाज सुनकर श्रेयांसी माँ को पुकारते हुए घर के बाहर भागी।अरे!लड़की सुन तो ज़रा। एकदम आंधी तूफान है यह लड़की,कुछ सुनेगी ही नहीं। जैसी यह है वैसी ही उसकी बहन भी है।वह भी तुरंत गाड़ी से उतर कर चल देगी। बहू जल्द से एक कटोरी मे … Read more

बहुत कुछ होते हुए भी पैसा ही सब कुछ नहीं – विमला गुगलानी

नई बहू नवेली का ससुराल में पहला कदम मानों खुशियों की बरसात। सास दिव्या पहले से ही आरती की थाली सजाए खड़ी थी,फूलों का कालीन ,और न जाने कितने प्रकार की रस्मों के साथ नई बहू का गृह प्रवेश। सब रिश्तेदार ऐसी सुंदर और अमीर घर की  लड़की को दिव्या की बहू बनने पर जहां … Read more

 दूसरा मौका – गीता वाधवानी

 अपनी बहू मुस्कान के बाजार जाने के बाद, सुमित्रा देवी ने अपने बेटे आशीष से कहा-” बेटा, मेरे पास आकर बैठ, मेरी बात सुन। “  आशीष अपनी मां के पास आकर बैठ गया और बोला-” कहो माँ। ”   सुमित्रा देवी-” बेटा, तेरे ऑफिस से आते ही मुस्कान तुझे इतना कुछ सुनाती रहती है, कभी बच्चों … Read more

एक बहन का त्याग बना दूसरी बहन की खुशी !! – स्वाती जैंन

आंटी जी गर्म- गर्म खा लिजिए , वैसे मुंबई के समोसे और गुजरात के समोसे में काफी फर्क होता हैं , खुशबु के ऐसा बोलते ही सभी लोग हंस पड़े ! घर में खुशनुमा माहौल था , आज खुशबु की बड़ी बहन शैली को लड़के वाले देखने आए हुए थे !  खुशबु के पिताजी कमलेश … Read more

अधिकार कैसा? – सीमा गुप्ता

राघव और प्रीति की शादी को लगभग बाईस–तेईस साल हो चुके थे। दोनों ने जीवन की धूप–छाँव साथ देखी। छोटे-से सरकारी क्वार्टर में बिताए कई वर्ष, राघव की सीमित तनख़्वाह और फिर दो बच्चों की परवरिश। संघर्ष बहुत थे, पर दोनों ने कंधे से कंधा मिलाकर घर संभाला। धीरे-धीरे हालात बदले। राघव की पदोन्नति हुई, … Read more

चाभियाँ… और एक और मौका – पूजा अरोड़ा

शरद की हल्की-ठंडी सुबह थी। बरामदे में नीम की पत्तियाँ गिर रही थीं। बड़े ठाकुर घर में हलचल हमेशा की तरह थी…संयुक्त परिवारों में ऐसी हलचल तो सामान्य बात है..! रसोई में चूल्हे की आवाज़, अंदर से बच्चों के उठने का शोर और ऊपर से आती जेठानी चाँदनी भाभी की तेज़,  लेकिन व्यवस्थित आवाज़ “सिया, … Read more

अमीरी – खुशी

मधु तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी थी।पिता एक छोटी सी साड़ी की दुकान पर काम करते थे।मां घर में ब्लाउज सिलती पीको फॉल का काम करती। मधु कॉलेज के दूसरे वर्ष में थी वहां कॉलेज के एनुअल फंक्शन में रतिराम जी आएं थे जिनका कारखाना था समाज के प्रतिष्ठित लोगों में उनकी गिनती थी। … Read more

जीवन धुन – लतिका श्रीवास्तव 

अनय की आँखें नम हो रहीं थीं आज।सुबह सुबह ही उसे एक रजिस्टर्ड पत्र मिला जिसमें उसका प्रोजेक्ट कैंसिल कर दिया गया था।वह प्रोजेक्ट था गरीब बस्ती में संगीत स्कूल खोलने का लेकिन इसकी जगह प्रोजेक्ट अप्रूव हुआ था सलिल का जिसने शहर में जिम खोलने का प्रस्ताव लगाया था। अनय को संगीत से बेहद … Read more

एक और मौका – सुदर्शन सचदेवा

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। शहर की सड़कें लगभग सो चुकी थीं, लेकिन रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म नंबर 3 पर बैठी भावना की आँखें अभी भी जाग रही थीं। उसके सूटकेस पर धूल जमी थी और चेहरे पर थकान… पर असली थकान उसके दिल में थी—हार मान लेने की। आज उसकी ज़िंदगी जैसे … Read more

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