बेटी – खुशी

सावित्री एक भरे पूरे परिवार का हिस्सा थी पति राघव तीन बेटे विवेक, विनय और मौलिक तीनों बेटों पर सावित्री को बड़ा गर्व था ।वो सबसे यही कहती मेरे बेटे तो राम लक्ष्मण है तीनों  एक दूसरे के पूरक है। मैं कौशल्या बच्चे फर्माबदार है ये सोच राघव और सावित्री खुश रहते। सावित्री गाहे बगाहे … Read more

मैं भी तो एक बेटी हूं – सुदर्शन सचदेवा

शाम के पाँच बज रहे थे। बारिश की हल्की-हल्की बूँदें छत पर पड़ते हुए एक अजीब-सी बेचैनी पैदा कर रही थीं। डोरबेल बजी, और गीता ने दरवाज़ा खोला। सामने एक लड़की खड़ी थी—भीगी हुई, डर से कांपती, और आँखों में अजीब-सा दर्द। “आंटी… क्या मैं अंदर आ सकती हूँ? मैं… मैं और कहीं नहीं जा … Read more

दूसरा मौका – खुशी

रागिनी और सुबोध दोनो कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे।जिधर रागिनी अपने माता पिता की इकलौती संतान थी वहीं सुबोध तीन भाई माता पिता चाचा चाची ऐसा परिवार था।फाइनेंशियली तो दोनों ही सॉलिड थे।पर जहां रागिनी अपने बाप के कारोबार की अकेली वारिस थी पर सुबोध का खानदानी बिज़नेस था जिसमें सब भागीदार थे।सुबोध के … Read more

मैं आपकी बेटी जैसी हूं, मां जी । – आराधना श्रीवास्तव

अरे! सिया बहू भिंडी की सब्जी कैसी बनाई थोड़ा भी कुरकुरी नहीं  बनी पता नहीं क्या सीख कर अपने मायके से आई हो।  सिया जल्दी-जल्दी रसोई समेट रही थी बिजली की तरह दौड़-दौड़ कर कार्य कर रही थी सुबह 5:00 के अलार्म के साथ दिनचर्या शुरू हो जाती है सासू मां शोभा जी को शुगर … Read more

अपमान क्या? – लतिका पल्लवी 

टेलीविजन देखते देखते अचानक गुरुवारी अचानक चिल्लाते हुए बोली तुम क्या जानो अपमान क्या होता है? यह सुनकर उसकी चाची नें कहा अरे!बिटिया क्यों और किस पर चिल्ला रही हो?यहाँ तो कोई नहीं है! कुछ नहीं चाची वो नेता जो टी वीं मे बैठी है उसी की बात को सुनकर गुस्सा आ गया था। गुरुवारी … Read more

नया जीवन – सेल्वीन गोहेल

 “जिंदगी को क्या एक और मौका देना चाहिए? अगर मौका दिया और पहले की तरह पीड़ा, दर्द और कैद यादि सहना पड़ा तो, अभी तो उस नर्क छूटी हूं।” नम्रता खुद से बातें करती करती उंडे ख्यालों में खो जाती हैं।   जीवन में दो-दो नाकामयाब शादी के बाद नम्रता पुरी तरह टूट चुकी थी। … Read more

एक और मौका – नीलम गुप्ता

बड़े भैया के जन्म के बाद लगातार तीन लड़कियों का जन्म हुआ तो दादी ने दूसरे पोते के लिए हरिद्वार जाकर  गंगा मैया से प्रार्थना की। दादी की प्रार्थना स्वीकार हुई और गंगा मैया ने उन्हें पोता प्रदान किया जो बाद में मेरे हिस्से में आए अर्थात उनसे मेरा विवाह हुआ 2 साल बाद मेरे … Read more

आंखें भर आना – सुदर्शन सचदेवा 

निहारिका एक UX डिजाइनर थी—हमेशा व्यस्त, हमेशा भागती हुई, हमेशा “ओके, आई’म फाइन” कहते हुए। पर उसके फोन की स्क्रीन पर एक ऐप था जिसे उसने कभी नहीं खोला था—“MemoryVault”। यह ऐप आवाज़, संदेश और छोटी यादों को सुरक्षित रखता था। यह ऐप उसके पिता ने उसकी आखिरी जन्मदिन पर इंस्टॉल किया था। तभी एक … Read more

और.. जुनून की हद पार हो गयी ! – पूजाअरोड़ा

“मम्मी जी! आप जल्द से जल्द टिकट बुक करवा कर हमारे पास मुंबई आ जाइए। आपकी बेटी की तबीयत बिल्कुल भी ठीक नहीं है।” जमाई उदय ने सास सरिता को फोन पर कहा। उदय की बात सुनकर सरिता हैरान हो गई। “हर रोज तो मेरी वृंदा से बात होती है और उसने एक बार भी … Read more

 मालिकाना – लतिका श्रीवास्तव

वसु मेरा खाना यहीं धूप में दे जाना दोबारा यही कहने पर भी जब भीतर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तब सुमित्रा जी भीतर रसोई में पहुंच गईं वहां भी वसु नहीं दिखी। बहू जी तो नरेन भैया के साथ दुकान गई हैं कमला ने दाल में बघार लगाते हुए कहा तो सुमित्रा जी अचंभित … Read more

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