जोबन अनमोल – अनुज सारस्वत

“बाली उमरिया कोरी चुनरिया जुल्मी नथनिया हाय-2 रूप नगर में लूट मचाई है सब कुछ बिकले बिकाये लगा ले तू भी मोल बलमा-3 जोबन अनमोल बलमा-3″ टीवी पर गीत चल रहा था रवि और अनीता बैठ कर देख रहे ।लोकडाउन की बजह से सारा दिन खाना और टीवी यही चलता । “बताओ इन तबायफों का … Read more

मेरे पापा – Dr रूपल श्रीवास्तव

मैं अपनी मम्मी प्रीती सक्सेना की लेखनी के माध्यम से,,,, अपने पापा,,, महेश सक्सेना जी के बारे में कुछ बताना चाहूंगी,,, यूं तो हर पिता अपनी बेटी के लिए,, बहुत खास,,, बहुत स्पेशल होते हैं,,, पर मेरे पापा मेरे हीरो हैं,,,   जबसे होश संभाला है,,, उन्हें अपने बारे में ही सोचते पाया है,, मेरे भैया,,,, … Read more

याद – प्रीती सक्सेना

# चित्र आधारित कहानी            असहनीय दर्द में डूबा चेहरा,,, विस्मृत हुई यादों के पिटारे में से एक न भूलने वाली, याद,, याद दिला गई। ।             हम टीकमगढ़ में थे,, आर्ट्स कॉलेज सिविल लाइंस से बहुत ज्यादा दूर था,,, हमें पूरा बाजार पार करके कॉलेज जाना पड़ता था,,, करीब,,, पांच किलो मीटर का फासला … Read more

सफर भोर का — गोमती सिंह

भड़ांग भिड़िग उसको पटकती उसको चिल्लाती हुई डाक्टरनी मिसेज खन्ना ने अपने बच्चे के लिए टिफ़िन बनाई और बच्चे को तैयार करके उसके जूते का लेश बांध ही रही थी तभी खड़ंग से गेट की आहट हुई, तब मिसेज खन्ना का गुस्सा और बढ़ गया। फिर वह क्रोधित लहजे में और कहने लगी ” ये … Read more

 पापा,आ जाओ ना एक बार – सुषमा यादव

#पितृ दिवस #मन के भाव  एक बेटी की आंतरिक वेदना,, ,,,, ,,,,**** कुछ दर्द आंसू बनकर बह जाते हैं,, कुछ दर्द चिता तक जातें हैं,***  पापा की मैं दूसरी बेटी थी,, पापा, ने भले ही दीदी को मारा, डांटा हो, पढ़ाई के बारे में,,पर मुझे कभी भी एक उंगली से भी नहीं छुआ,, पापा हम दोनों … Read more

बेटियां बेटी बनकर भी मान बढ़ाती हैं – संगीता अग्रवाल

” ईश्वर की लीला देखिए एक के बाद एक तीन बेटियां आ गई एक बेटा दे देता इनमे से तो जीवन तो सफल हो जाता!” मानसी छोटी बेटी को दूध पिलाते हुए पति देवेश से बोली। ” क्यों चिंता करती है तू मानसी देखना हमारी बेटियां बेटों की तरह नाम रोशन करेंगी !” देवेश ने … Read more

डिनर सेट –  पूजा मनोज अग्रवाल

अरे भई अनीता… आज इतवार है इनके कुछ मित्र रात को डिनर पर आएंगे , घर जाने से पहले वो सफेद काँच का डिनर सेट निकाल लेना और साफ कर डाइनिंग टेबल पर लगा देना । मेरे शब्द जैसे ही अनीता के कानों मे पड़े ,उसने तुरंत ही अलमारी से डिनर सेट निकाला और हर … Read more

‘ दहाड़ ‘ –  विभा गुप्ता

दोस्तों! मैंने इस चित्र को एक नये नज़रिये से देखा है और नारी के दूसरे रूप को अपनी कहानी में दिखाने का प्रयास किया है।उम्मीद है आपको पसंद आएगी। छोटा-सा शहर था साहेबगंज,जहाँ पर साक्षी का घर था।माँ, पिताजी और एक छोटे भाई के साथ वह बहुत खुश थी।उसके पिता साहेबगंज रेलवे स्टेशन में काम … Read more

 तुलना –  अनामिका मिश्रा

रोहिणी ….रोहिणी … ये क्या, तुमने हमसे बिना पूछे नौकरी ज्वाइन कर ली, ये क्या बात हुई,..अपनी मनमर्जी कर रही हो यहां…भाभी कभी इस घर के बाहर कदम नहीं रखतीं, तुम अकेले बाहर जाओगी, जॉब करने, सीखा नहीं भाभी से, एक संस्कारी बहू के गुण! “उसके पति दिनेश उसे कह रहे थे।    रोहिणी चुपचाप … Read more

गूंगी चीख – लतिका श्रीवास्तव

चित्रकथा मां… ओ मां  .. रूक जा …वो फिर चीखी… हृदय विदारक तीव्र चीख  ने  ट्रेन की पटरियों की ओर बढ़ते शालू के कदमों को त्वरित रोक  दिया!  ….ये तो उसी के अंदर से आती हुई आवाज है , वो घबरा सी गई,”कौन है “उसने थोड़ा डर और घबराहट से पूछा….”तेरी अजन्मी बच्ची हूं मां … Read more

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