दृष्टि – बालेश्वर गुप्ता

        ओ सरस्वती जरा पिंकी को तो दे, उसे दूध पिला दूँ.   लाई – लाई, लो संभालो अपनी बेटी को, मुझे तो ये छोड़ती ही नही.     एक बात तो बता सरस्वती, तू मेरा इतना ध्यान रखती है, मेरी बच्ची को तो एक तरह से तू ही पाल रही है, मेरा तेरा क्या रिश्ता है, भला?      पिछले … Read more

लड्डू – मीनाक्षी चौहान

बीमार बाऊजी को देखने वो बस आने ही वाला था। सारे घरवाले उसका बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। करते भी क्यूँ नहीं आखिर उन्नीस-बीस साल बाद जो अपने ननिहाल आ रहा था। याद है मुझे छोटा सा वो जिज्जी के साथ गर्मियों की छुट्टियों में यहाँ आया करता था। नाम उसका कमल है … Read more

नई पहल-वंदना चौहान

आज अनु को देखने लड़के वाले आ रहे थे। सुबह से ही घर में तैयारियाँ चल रही थीं कि लड़के वालों के सामने कोई कमी न रह जाए । अनु की माँ ने भी उसे अच्छे से कई बार समझा दिया था कि उन लोगों के सामने बहुत ही सलीके से पेश आना है व  … Read more

चाँद – गरिमा  जैन 

भाभी — कुछ तो खा लो। अब तो चांद निकल आया क्या तुमने कसम खा ली है कि भाई के हाथ से ही कुछ खाओगी? अरे कुछ नहीं तो पानी ही पी लो , तुम तो जानती हो भैया कितने लापरवाह हैं, उन्हें तो शायद याद भी नहीं होगा कि तुम पूरे दिन उनके लिए … Read more

अम्मा जी का पान – मधु मिश्रा

” अरे वाह सुधीर, तुम मज़े में हो भई! घर के खाने की तो बात ही कुछ और होती है..!” ऑफ़िस में सुधीर के टिफिन को देखकर बॉस ने कहा.. -” क्या हुआ सर, मैडम कहीं गईं हैं क्या..? ” सुधीर ने टिफिन खोलते हुए बॉस से कहा.. ” हाँ भई मैडम हमारी मायके गयी … Read more

जिस्म…। – स्मिता सिंह चौहान

मुझे सिखाएगी कि कैसे रहना है?साली …।”कहते हुए एक शरीफ से दिखने वाला आदमी जोर से चिल्लाकर  ,  एक  औरत के मुंह पर एक तमाचा कस देता है ।पास की दुकान मे खड़ी रूही उस नुक्कड की तरफ भागते हुए गई, जहा पर भीड तमाशबीन थी,और वो आदमी  जोर जोर से चिल्लाकर अपनी आवाज से … Read more

मैं शोक कैसे मनाऊँ – नीरजा कृष्णा

पिछले मास पहले उसके इकलौते भाई का सड़क दुर्घटना में देहावसान हो गया। परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था…बहुत चाह कर भी वो उस दुख की घड़ी में अपनी माँ और भाभी को ढाँढस बधाने नही जा पाई थी। उसी समय उसके चचेरे देवर की भी मृत्यु हो गई थी। चाची जी … Read more

हनीमून – नीरजा कृष्णा

ताई जी अपने प्यारे भतीजे कुणाल के विवाह में सम्मिलित नही हो पाई थीं। अब वो सबसे मिलने कुछ दिनों के लिए आई थीं…बहू सुकन्या से मिलने का विशेष चाव था। साथ ही देवरानी यशोदा भी बीमार थीं…एक पंथ दो काज…सोच कर वो चली आई थीं।   उन्हें सुकन्या का सान्निध्य बहुत अच्छा लग रहा … Read more

बड़ी बहू, बड़े भाग – नीरजा कृष्णा

आज बहुत दिनों के बाद उनको खूब खिलखिलाकर हँसते देख कर दिल बाग बाग हो गया। वो अपनी आत्मीया मित्र  से फ़ोन पर बहुत मगन होकर बात कर रही थीं।  हमारी ये  दीदी पीहर में भी सबसे बड़ी हैं और अपनी ससुराल में भी।   उम्र में तो बड़ी थी हीं, हर चीज़ में भी … Read more

श्राद्ध – डॉ आदर्श

नम्रता  पति दिवाकर के साथ आज मायके आई हुई है । श्राद्ध है माँ – बाबूजी का । पूरे सात बरस गुज़र गए । कुल 3 महीने का ही फ़र्क़ रहा ,पहले माँ पूरी हुईं और फिर बाबूजी । मन नहीं करता उसका यहाँ पैर रखने को । बचपन से लेकर कॉलेज तक के सारे … Read more

error: Content is protected !!