निस्वार्थ प्रेम… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

कोमल मृदुल के सीने से लग लगातार रोए जा रही थी..उसके आँखों के आँसूँ रूकने का नाम नहीं ले रहें थे..गोद में लिए नन्हे बच्चे को देख आँसूँ बहाए जा रही थी.. उसकी नर्म कोमल त्वचा का स्पर्श महसूस कर रोमांचित हो रही थी, बच्चे की मातृत्व सुख पाकर निढाल हो रही थी… यही कोमल … Read more

प्यार की पहली पाती – डा. मधु आंधीवाल

———————- अरे नन्दिनी कहां गयी मां समीक्षा बहुत देर से आवाज दे रही थी । जब से इस लड़की का रिश्ता तय हुआ है पत ना कमरे में ही घुसी रहती है। समीक्षा बड़बड़ाये जा रही थी । दादी की लाडली नन्दिनी तो चिपकी हुई थी वीडियो कालिंग पर अपने होने वाले सपनों के राज … Read more

‘अनूठा होमवर्क’ – -पूनम वर्मा

गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं । राहुल बहुत दिनों के बाद अपने मम्मी-पापा के साथ गाँव आया था । गाँव आकर वह बहुत खुश था । दादा-दादी को तो राहुल के रूप में खज़ाना मिल गया था । दिन भर मस्ती में बीतता । सुबह उठते ही दादाजी के साथ खेतों में चला जाता … Read more

*रेजगारी* –     मुकुन्द लाल

बसंती ने भुट्टों से भरी टोकरी को मुश्किल से अपने सिर पर से उतरकर जमीन पर रखा। उसने आंँचल से पसीना पोंछा। उसकी सांँस तेज गति से चल रही थी। पाँच किलोमीटर की दूरी तय करके वह सब्ज़ी मार्केट सुबह तड़के पहुंँच गई थी। कोरोना के भय से। उस समय तक इक्के-दुक्के लोग ही सब्जी … Read more

आपबीती – कुसुम पाण्डेय

आज मैं जो कुछ भी आप सभी से कहने जा रही हूं इसके लिए शायद मुझे फिर उन्हीं सब से गुजरना होगा जो मेरे ऊपर बीती है,, मेरा डेली का रूटीन है मैं सुबह 4:00 बजे उठती हूं और फिर 8 किलोमीटर रनिंग करने के बाद योगा क्लास लेती हूं, रोजाना की तरह मैं सुबह … Read more

दहेज एक व्यवसाय – गोविन्द गुप्ता

सेठ धन्नी सिंह शहर के नामी गिरामी सेठ थे, चार लड़के थे सभी धीरे धीरे विवाह योग्य होते जा रहे थे एक एक वर्ष का अंतर था तो अभी वरावर के लगते थे,दो व्यवसाय में हाँथ बंटाते थे,छोटे बाले दोनो कॉलेज में पढ़ रहे थे तो वाहर ही रहते थे परिवार सुखी था, एक दिन … Read more

ग्रहों की शांति – डॉ पारुल अग्रवाल

ग्रहों की शांति अरे आज फिर ऑफिस के लिए देर हो गई।फिर से बॉस से सुनना पड़ेगा, कितनी बार बोला है मां को कि घर से निकलते समय पीछे से ना टोका करें,पर इनको समझ में कहां आता है। अमर अपने आप से ही बड़बड़ाए जा रहा था। ये अब आपको देर नहीं हो रही … Read more

स्नेहिल बन्धन – पूजा मनोज अग्रवाल

जय एक मल्टीनेशनल कंपनी में जूनियर मैनेजर के पद पर काम करता था, और उसकी पत्नी सुमन भी एक बैंक में मैनेजर थी । दोनों के विवाह को 4 साल हो गए थे , उनका एक 2 साल का बेटा था ध्रुव  । सुमन और जय जब ऑफिस के लिए निकलते तो अपने  बेटे ध्रुव … Read more

 “संगम” – गोमती सिंह

अप्रैल का महीना था यानि भीषण गर्मी उस पर दोपहर का समय था । खाना खाने के बाद वह आराम कर रही थी ।कमरा पूरा एयरटाइट था ।क्योंकि अंदर ए सी चल रहा था ।और वह उस भीषण गर्मी से अंजान बङे ही मजे से व्हाट्सप में मैसेज का आदान प्रदान कर रही थी।               तभी  … Read more

 अनोखा रिश्ता – गीता वाधवानी

पूनम सड़क पर बेतहाशा भागती हुई आ रही थी। पीछे पीछे उसकी 5 वर्षीय बेला बेटी भाग रही थी। बेला, मम्मी रुको, मम्मी रुको चिल्लाती जा रही थी। पूनम को इतना भी होश नहीं था कि वह सड़क पर भाग रही है और उसके पीछे उसकी बेटी भाग रही है ऐसा ना हो कि उसकी … Read more

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