निस्वार्थ प्रेम… – विनोद सिन्हा “सुदामा”
कोमल मृदुल के सीने से लग लगातार रोए जा रही थी..उसके आँखों के आँसूँ रूकने का नाम नहीं ले रहें थे..गोद में लिए नन्हे बच्चे को देख आँसूँ बहाए जा रही थी.. उसकी नर्म कोमल त्वचा का स्पर्श महसूस कर रोमांचित हो रही थी, बच्चे की मातृत्व सुख पाकर निढाल हो रही थी… यही कोमल … Read more