आभागी , दुर्भाग्य का अंत – रीमा महेंद्र ठाकुर

लो  भकोस लो “””इस  बुढिया से जाने कब छुटकारा मिलेगा, इतना कहते  हुए ,रेवती ने चावल की तपेली दादी सास के सामने उँडेल दी ,कुछ चावल बर्तन मे कुछ जमीन पर कुछ दादी सास के हाथो पर चिपक गये!   जलन से दादी तडप उठी , दादी उस तपेली को खमोशी से देखती रही ,जली हुई … Read more

एक ही बेटी – कंचन श्रीवास्तव

पराया धन कह कर पता नहीं बेटियों की उपेक्षा की जाती है या उन्हें सम्मान दिया जाता है नहीं मालूम पर आज सरल पर जो कुछ बीत रही उसका व किसी से जिक्र भी नहीं कर सकती। किससे करें ससुराल में करें तो सब ताना मारेंगे और मायके में पहले जैसा कुछ रहा नहीं। सब … Read more

कॉलेज की सुहानी यादें –   वीणा 

बात तब की है जब लोगों की जुबां पर ‘जीता था जिसके लिए ‘ गीत के बोल चढ़े हुए थे । युवक -युवतियों के बीच प्यार का आलम परवान पर था। सलमान खान ,शाहरुख खान ,अजय देवगन आदि  अभिनेता युवकों के आदर्श बने हुए थे।                      ऐसे ही समय में मेरे कॉलेज में कौशर नाम की … Read more

जिम्मेदारी – Moral Story In Hindi

   पलक अभी कुछ दस साल की ही थी पर हर समय घबराई, डरी डरी सी रहती थी। सबसे बड़ी बात कि अभी तक रात को सोते समय बिस्तर पर ही उसे लघु शंका का दबाव बनता और ना जाने कब में उसका यूरिन बिस्तर पर ही निकल जाता। गीले होने के एहसास से वह जाग … Read more

रविवार – शालिनी दीक्षित

प्रिया सुबह से ही कुछ हल्का-हल्का और खुशनुमा महसूस कर रही है क्योंकि कल संडे है दो दिन पहले से ही उंगलियों पर गिन रही थी कि शुक्रवार, शनिवार फिर आ जाएगा इतवार । बचपन में या फिर स्कूल कॉलेज के समय में भी उसको रविवार के आने से ज्यादा खुशी नहीं होती थी। उसे … Read more

धर्म और मजाक, – गोविन्द गुप्ता

रितु की नई शादी हुई थी अपने पापा की एकलौती संतान थी तो नखरीली ज्यादा थी , ससुराल में सास और ससुर धार्मिक प्रवत्ति के थे, शादी के बाद जब पहली बार घूमने की बात आई तो ससुर ने कश्मीर या हिमांचल जाने कहा, तो रितु बोल पड़ी हम तो वहाँ हर जगह घूम चुके … Read more

अवसाद से वरदान तक – ज्योति अप्रतिम

सुनीता की जिंदगी दुखों से भर गई थी, दिशाहीन हो गई थी।आखिर वह क्या करे ?कहाँ जाए अपनी छोटी बच्ची को लेकर? आखिर क्या सोच कर पति ने खुदकुशी की ? मैं तो कारण थी ही नहीं ! किसी भी हालत  में।फिर ऐसा ग़लत कदम क्यों उठाया होगा। यही सोचते हुए उसका जीवन अब अवसाद … Read more

कुछ ना कहो – डा.मधु आंधीवाल

सुगुनी का विवाह अपने से बड़ी उम्र के आदमी किशना से हो गया था । किशना अच्छा पैसे वाला शख्स था  । उसका बहुत पैसा सुगुनी के बाप राम चन्द्र  पर उधार था । राम चन्द्र कैसे भी उस पैसे को नहीं चुका पा रहा था ।  किशना की पहली बीबी चार बच्चों को छोड़ … Read more

सफरी –   अरुण कुमार अविनाश

हम व्ययाम कर ही रहें थे कि राय साहब का मोबाइल गुनगुनाया। एक बार तो उन्होंने फोन को इग्नोर किया –  आधे मिनट के बाद , जब दोबारा मोबाइल गुनगुनाने लगा तो राय साहब फोन की उपेक्षा न कर सकें। स्टेशन इंचार्ज होने के नाते उन्हें कभी भी – किसी का भी फोन आ सकता … Read more

पुनर्मिलन – प्रीती सक्सेना

      आज ऑफिस का पहला दिन ,, कॉलेज खत्म होने के बाद,,, बहुत ही रोमांचक और उत्तेजना से भरपूर ,महसूस कर रही थी जिया,, नया शहर,,, नए लोग,, नया माहौल,,, फिर भी अपने हिसाब से अपने को,,, प्रेजेंटेबल,, करके ऑफिस आई थी। जिया ।      कुछ और भी न्यू ज्वाइनिंग थी,,, परिचय हुआ,,, और सब अपनी टीम … Read more

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