आभागी , दुर्भाग्य का अंत – रीमा महेंद्र ठाकुर
लो भकोस लो “””इस बुढिया से जाने कब छुटकारा मिलेगा, इतना कहते हुए ,रेवती ने चावल की तपेली दादी सास के सामने उँडेल दी ,कुछ चावल बर्तन मे कुछ जमीन पर कुछ दादी सास के हाथो पर चिपक गये! जलन से दादी तडप उठी , दादी उस तपेली को खमोशी से देखती रही ,जली हुई … Read more