दहलीज – गौतम जैन
कई वर्षों पश्चात घर की ” दहलीज ” पर कदम रखते ही राजू सर से पांव तक कांप गया…. आंसुओ का समंदर जो अब तक ठहरा हुआ था… हिलोरें मारने लगा… तट बांध तोड़ने को आतूर हो गया।जैसे ही अंदर निगाहें गई… बांध टूट ही गया । सामने ही रिश्तेदारों से घिरी “मां” । व … Read more