वजन ! – निरंजन धुलेकर

बेटे ने एम टेक किया और उसकी सर्विस दूर शहर में लग गयी , छै सात साल से वो अपने घर साल में दो तीन बार ही आ पाता था गाडियाँ भी बदलनी पड़तीं । पहले होस्टल और अब रूम पर उसके लौटते समय घर का वारावरण बोझिल हो जाता ।  ये एक दो दिन … Read more

“इन्द्रधनुष के रँग ” – सीमा वर्मा

नमिता आज थोड़ी खुश है। शाम में सैर के लिए निकलते वक्त उसने सुधीरजी के लिए टिफिन में दो कटलेट्स बना कर   बैग में रख लिए हैं। सोचा आज उन्हें अपने हाँथ के बने कट्लेट्स टेस्ट कराऊंगी। उन्हें दूर से ही आते देख कुछ सोच अनायस ही मुस्कुरा दी। सुधीर ने कटलेट्स के टुकड़े … Read more

ग़लती – नीलम सौरभ

अपनी बड़ी-सी गाड़ी में लम्बे सफ़र से ऊब कर वे दोनों पति-पत्नी, बेटी के साथ रोड साइड की उस चाय की टपरी को देख रुक गये थे, चलो, चाय ही पी ली जाये। बेहद शरारती दोनों नाती भी साथ थे, अपनी गेंद लेकर वे भी उतर पड़े थे। छनाकsss! गेंद आकर लगी और तेज आवाज़ … Read more

जन्म जन्म का साथ है तुम्हारा हमारा – सुधा जैन

कबीर दास जी की शादी हुई, लाली नाम की लड़की से ,कबीर दास जी गरीब थे, लाली दुल्हन के रूप में उनके घर आई, लेकिन बहुत उदास, गुस्से में ,कबीर दास जी ने प्यार से पूछा कि तुम इतनी उदास क्यों हो ? उसने बोला तुम से मेरी शादी मेरे पिताजी ने जबरदस्ती कर दी, … Read more

छाती पर जमा दुख – सरिता गर्ग ‘सरि’

    मैं समझती थी प्रेम में स्त्रियाँ ही दुख भोगती है, व्याकुल होती हैं, रोती या तड़पती हैं ,पर सच तब जाना जब उसे देखा।         न जाने क्या था उसमें , मेरी सखी राखी उससे लिपटी रहती थी। वो अचानक दुनिया से चली गई । उससे बिछड़ कर वह पात विहीन ठूँठ -सा दरख्त बन कर … Read more

कर्मो का फल – रीटा मक्कड़

अपनी ज़िंदगी में बहुत से लोगों को बजुर्गों की सेवा करते और उनका आशीर्वाद लेते और फिर बजुर्गों के दिल से निकली दुआओं को फलते फूलते तो बहुत देखा लेकिन जो लोग बजुर्गों की सेवा तो क्या करनी उनको तंग करते हैं उनका क्या हाल होता है इस को घटित होते हुए भी बहुत करीब … Read more

इजा  – अनुपमा

एक गांव मैं एक बहुत ही प्यारी सी लड़की जिसका नाम इजा था रहा करती थी , उसकी सुंदरता इतनी की जो देखे वो उसे देखता ही रह जाए , बहुत ही चमकदार त्वचा , सुनहले बाल और नीली आंखों वाली , सब उसे कहते की तुम जलपरी हो क्या जो इतनी सुंदर हो और … Read more

नाश्ता नहीं सुकून – कंचन श्रीवास्तव

**””””””********** कहते हैं समय बहुत बलवान होता है , ये कब कहां कैसे रंग दिखलाए पता ही नहीं चलता, इसलिए बहुत बोलना अच्छा नहीं होता । जहां रोज की सुबह तनाव भरा रहता है वहीं आज थोड़ा रिलेक्स मुड़ में उठी और सोचने लगी, क्या सचमुच रिश्तों में दरार आ जाए तो जीना मुश्किल हो … Read more

 बरसात की एक रात –    मुकुन्द लाल

#जादुई_दुनिया    अंधेरी रात थी। घंटे-आधघंटे के अंतराल पर हल्की बारिश हो रही थी। रह-रहकर बादल के गरजने और बिजली के चमकने का क्रम जारी था। हवाएँ तेज गति से चल रही थी। वृक्षों की डालियाँ इस तरह से हिल रही थी, मानों टूटकर गिर जाएगी। मेढ़कों की टर्र-टर्र की आवाजें वातावरण में कंपन पैदा कर … Read more

निर्भर – अनुज सारस्वत

******* “मैं नहीं जाऊंगी अकेले कचहरी आप आजाओगे तभी जाऊंगी मुझे कुछ समझ नही आता कोई भी पागल बना देगा मुझे “ सुरभि ने आकाश से फोन पर कहा आकाश समझाते हुए बोला “अरे पागल हो क्या एक एफिडेविट ही तो बनवाना है पासपोर्ट के लिए, देखो मैं अगर इन छोटे मोटे कामों के लिए … Read more

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