वो लडकी – श्रीप्रकाश श्रीवास्तव

कंपनी के आफिस के नीचे एक बडा सा हाल था। लंच में ज्यादातर महिला पुरूष स्टाफ टिफिन करके यही चहलकदमी करते। एक  घंटा कम नहंी होता खुद को दुरूस्त रखने के लिए। कुछ अकेले तो कुछ अपने पुरूष सहकर्मी के साथ टहलती। कुछ झुंड में हंसते मुस्कुराते वक्त काटती। उन सबसे अलग वो लडकी थी। … Read more

प्यार की भावना – ऋतु अग्रवाल

  “देखो! मिट्ठू, यह तुम्हारा छोटा सा साथी है जो अभी मम्मा के टमी में है। बस थोड़े दिन बाद यह मम्मा के टमी से बाहर आएगा और फिर तुम इसके साथ खेल सकोगी, बातें कर सकोगी, प्यार कर सकोगी।”डॉक्टर के केबिन में अपना अल्ट्रासाउंड करा रही आस्था ने अल्ट्रासाउंड स्क्रीन पर आ रही भ्रूण की … Read more

वसुंधरा – पुष्पा जोशी

#जादुई_दुनिया   वसुंधरा नाम था उसका,सब उसे धरती की बेटी कहते थे।उसके माँ-पापा का कोई पता नहीं था। एक सुबह सुखिया मजदूरी करने के लिए खेत पर ग‌ई तो वह उसे खेत की मेड़ पर पड़ी मिली थी। छोटी सी मासूम,गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ,रूई सा सफेद रंग था उसका।भूरे रेशम से मुलायम बाल एक … Read more

सपना – पुष्पा पाण्डेय

मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी का इंतजार करना स्वाभाविक है। आज रीमा का साक्षात्कार था। निकलते समय माँ ने दही- गुड़ खिलाकर विदा किया था। बेटी को डाॅक्टर बनाने का निर्णय सुलोचना ने तभी ले लिया था जब डाॅक्टर और इलाज के अभाव में रीमा के पापा का देहान्त हो गया था। … Read more

मुमताज़ बेगम – भगवती सक्सेना गौड़

पैंसठ वर्षीय रवीना आज बच्चो की जिद के कारण, आगरा का ताजमहल घूमने निकली। बड़े उत्साह से सज धज कर अपनी बेटी और अपने श्रीमान जी के साथ कार में खाने पीने का सामान रखकर निकल पड़ी। ऑनलाइन टिकट ले लिया गया था, फिर भी लंबी लाइन थी, अब पहुँच गए, लाइन में तो मजबूर … Read more

वो फोन कॉल – श्वेत कुमार सिन्हा

अनुमंडल अधिकारी अपूर्व सक्सेना मीटिंग में थे जब उनका मोबाइल घनघनाया। कॉल किसी अनजान नंबर से था। कई बार रिंग होने एवं किसी जरूरी कॉल के अंदेशे से फोन रिसीव किया। “हैलो, हू इज़ दिस?” – सक्सेना साहब ने पूछा। “सक्सेना, मैं जिलाधिकारी मिहिर सिंह बोल रहा हूं।”– दूसरी तरफ से रौबदार आवाज आई और … Read more

जन्नत – कमलेश राणा

बचपन से ही तमन्ना थी ,,पंछी बनूँ,उड़ती फिरूं,मस्त गगन में,,,नीला खुला आसमान मुझे पुकारता प्रतीत होता,,,आखिर ईश्वर ने मेरी सुन ली,,,, एअरहोस्टेस होने के कारण मुझे अलग-अलग देशों में भ्रमण का मौका मिलता रहता है,,,हर जगह  की अपनी कोई न कोई विशेषता तो होती ही है,, हर दिन नया देश ,नये-नये लोग,,खुले आसमान में उड़ते … Read more

अश्क भिगोते रहे – अंजू निगम

“बिटिया, दामाद जी कार लाये है क्या?” पापा की आँखो में मुझे देख आशा के जो दीये जल उठते थे, उसे देख मुझे खौफ होता था| उनका अगला सवाल भी मैं जानती थी पर इधर वो सवाल केवल पापा के होठो पर आ कर ठिठक जाते थे, उन्हें आवाज नहीं पहनाते थे|    मैं पापा से … Read more

अपना घर – प्रीति आनंद

******** अजीब से दोराहे पर खड़ी थीं आज मीरा जी! खुद के लिए निर्णय लेना उन्होंने कभी सीखा  नहीं था। मायके में माता-पिता ने जो करने को कहा, उन्होंने वही किया। उन्हें गणित का विषय पसंद था पर बाबूजी ने गृह-विज्ञान में नाम लिखवा दिया तो वही पढ़ लिया! शादी के लिए बाबूजी ने जिस … Read more

सोन परी हूं मैं – डॉ. पारुल अग्रवाल

संध्या सुपर मार्केट में कुछ घर के लिए समान खरीद रही थी। अचानक से पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। उसने चौंककर पीछे मुड़कर देखा तो उसे चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा। उसने कुछ सोचते हुए बोला आरती हो ना आप? आरती ने सिर हिलाते हुए हंसते हुए कहा जी मैडम, … Read more

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