प्यार , की कोई उम्र नहीं, – प्रीती सक्सेना

 करीब सात साल पहले की  बात है,, पतिदेव की पोस्टिंग अहमदाबाद में हुई,,, कंपनी ने वहां के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट दिया,,,, ग्यारहवीं मंजिल पर फ्लैट,,, नीचे देखा तो चक्कर से आने लगे,,, कुछ दिन सामान सेट करने में लगे,,, बेटी मदद को आ गईं थी,,, उसकी सहायता से,, जल्द ही,,, घर व्यवस्थित हो … Read more

जादुई दुनिया – निभा राजीव “निर्वी”

“विवेक, देखो ना मौसम कितना प्यारा हो रहा है। ठंडी ठंडी हवाएं चल रही हैं। यह काली काली घटाएं! कितना सुंदर लग रहा है सब कुछ। चलो ना कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं…”- रिया ने मचलते हुए बिस्तर पर लेट विवेक से कहा।  “अरे रिया, कितनी मुश्किल से तो एक छुट्टी का दिन मिला … Read more

एक औरत की दास्तां

एक औरत की दास्तांमैंने क्या माँगा तुमसे चंद लम्हें जो तुमने कभी दिए ही नहींवफ़ा और रिश्ते जो कभी मेरे हुए ही नहींघर की दरो दीवार भी कभी मेरी बनी नहींबस उलझी सी रही ज़िन्दगी ताने बानो मेंकभी तू ही नहीं बना मेरा आशियाने मेंअब टूट गया हर भरम अनजाने मेंवो दास्तां बन गए अपने … Read more

अविश्वसनीय किन्तु सत्य-बाबा ऑन ड्यूटी – कमलेश राणा

मेरे बेटे के मित्र का सिलेक्शन NDA में हो गया,,,बहुत कठिन ट्रेनिंग होती है इसकी,,पहली पोस्टिंग उसे सियाचिन में मिली,, वहां जाते समय मेरी बात हुई उससे ,,,तो उसने बताया कि अभी उसकी टीम बाबा के दर्शन के बाद आगे बढ़ेगी ,,,सैनिक सियाचिन जाने से पहले बाबा का आशीर्वाद जरूर लेते हैं,,और उनसे विनती करते … Read more

राधा : एक जुझारू मां – रंजीता अवस्थी

अनुरिता….. एक नामीगिरामी नाम… कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी शक्सियत… और तो और अपने अच्छे कामों के कारण सबके दिलों की रानी… बात तब की है जब अनुरिता पांच साल की थी। अनुरिता और उसकी मां राधा अकेली ही इस नए शहर में बसने आए। वो उस समय मासूम सी बच्ची थी। जब उसके … Read more

बाल गोपाल – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

“गोपी की माँ…जल्दी जल्दी काम समेटो मुझे बच्चों के स्कूल जाना है।” “लेकिन आज तो छुट्टी है भाभी जी!” “हाँ छुट्टी तो है ,पर फैंसी ड्रेस कॉमपिटीशन है…उसमें ही जाना है।” “यह क्या होता है भाभी जी?” “तू नहीं समझेगी, जाकर काम जल्दी से करो” गोपी की माँ अपने काम में लग गई। वह पोछा … Read more

ख्वाब – गरिमा

रचना बहुत खुश थी  उसे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया था। जैसा उसने चाहा उस से बढ़कर ही जीवन साथी उसे मिला था ।अच्छा कमाता था ,देखने में खूबसूरत ,अपना घर गाड़ी वह सब चीज जो रचना हमेशा से ख्वाहिश करती थी। रचना के पिता पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे उनकी तनख्वाह यही कोई … Read more

मुक्ति – सपना शिवाले सोलंकी

मैं जब भी उस सड़क से गुजरती मेरा ध्यान अनायास ही उस बूढ़ी जर्जर काया, झुर्रियों से भरा चेहरे की ओर चला जाता।देखकर लगता तौलने पर किलो भर माँस भी न होगा शरीर में। मुख्य सड़क के फुटपाथ (सर्विस रोड़ ) पर गठरी की तरह सिमट कर बैठी हुई आकाश की ओर टकटकी लगाए जीवन … Read more

युवा – विनय कुमार मिश्रा

हड़बड़ी में मोटरसाइकिल निकाल गाँव की ओर निकल गया। चाची की तबीयत का सुनकर पत्नी भी साथ आना चाहती थी पर अस्सी किलोमीटर धूप में इस खटारा साधन पर उसे ले जाना उचित नहीं समझा। सोचा थोड़ा शॉर्टकट ले लूँ।रास्ता सुनसान है थोड़ा खराब भी पर जल्दी पहुंच जाऊँगा। मुश्किल से पंद्रह किलोमीटर ही आया … Read more

ढाल – विनय कुमार मिश्रा

भैया जमीन को अब माँ कहते हैं! कहते हैं किसी भी हाल में इसे मैं नहीं बेचने दूँगा। पुरखों की जमीन है। ऐसा नहीं है कि हमारी जमीन बेची नहीं गई। माँ बाऊजी के गुजर जाने के बाद घर की माली हालत खराब थी। जमीन पथरीली है इसलिए उसपर कुछ ज्यादा फसल नहीं होती।भैया ने … Read more

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