वो फोन कॉल – श्वेत कुमार सिन्हा

अनुमंडल अधिकारी अपूर्व सक्सेना मीटिंग में थे जब उनका मोबाइल घनघनाया। कॉल किसी अनजान नंबर से था। कई बार रिंग होने एवं किसी जरूरी कॉल के अंदेशे से फोन रिसीव किया। “हैलो, हू इज़ दिस?” – सक्सेना साहब ने पूछा। “सक्सेना, मैं जिलाधिकारी मिहिर सिंह बोल रहा हूं।”– दूसरी तरफ से रौबदार आवाज आई और … Read more

जन्नत – कमलेश राणा

बचपन से ही तमन्ना थी ,,पंछी बनूँ,उड़ती फिरूं,मस्त गगन में,,,नीला खुला आसमान मुझे पुकारता प्रतीत होता,,,आखिर ईश्वर ने मेरी सुन ली,,,, एअरहोस्टेस होने के कारण मुझे अलग-अलग देशों में भ्रमण का मौका मिलता रहता है,,,हर जगह  की अपनी कोई न कोई विशेषता तो होती ही है,, हर दिन नया देश ,नये-नये लोग,,खुले आसमान में उड़ते … Read more

अश्क भिगोते रहे – अंजू निगम

“बिटिया, दामाद जी कार लाये है क्या?” पापा की आँखो में मुझे देख आशा के जो दीये जल उठते थे, उसे देख मुझे खौफ होता था| उनका अगला सवाल भी मैं जानती थी पर इधर वो सवाल केवल पापा के होठो पर आ कर ठिठक जाते थे, उन्हें आवाज नहीं पहनाते थे|    मैं पापा से … Read more

अपना घर – प्रीति आनंद

******** अजीब से दोराहे पर खड़ी थीं आज मीरा जी! खुद के लिए निर्णय लेना उन्होंने कभी सीखा  नहीं था। मायके में माता-पिता ने जो करने को कहा, उन्होंने वही किया। उन्हें गणित का विषय पसंद था पर बाबूजी ने गृह-विज्ञान में नाम लिखवा दिया तो वही पढ़ लिया! शादी के लिए बाबूजी ने जिस … Read more

सोन परी हूं मैं – डॉ. पारुल अग्रवाल

संध्या सुपर मार्केट में कुछ घर के लिए समान खरीद रही थी। अचानक से पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। उसने चौंककर पीछे मुड़कर देखा तो उसे चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा। उसने कुछ सोचते हुए बोला आरती हो ना आप? आरती ने सिर हिलाते हुए हंसते हुए कहा जी मैडम, … Read more

आत्मविभोर – गीतांजलि गुप्ता

दीपेश का फ़ोन बार बार बज रहा था और वो आफिस के काम मे व्यस्त था। फ़ोन की तरफ देखे बिना कॉल काट रहा था। तभी मेज पर रखा फ़ोन बज उठा। उसने उठा लिया। दूसरी तरफ से लीना ने चिल्लाना शुरू कर दिया। “कितने फ़ोन किये उठाते क्यों नहीं” “अरे काम कर रहा था … Read more

कौन करेगा ब्याह तेरी बेटी से – रश्मि प्रकाश

सुबह से घर पर इधर से उधर चहलक़दमी करते कमल किशोर जी परेशान सी मुद्रा में दिखाई दे रहे थे …. सालों बाद आज उनके आँगन में बच्चे की किलकारी गुंजने का दिन आया था। थककर वो बाहर बरामदे में बैठ कर इंतज़ार करने लगे कब डाक्टर साहिबा आकर उनको ख़ुशख़बरी दे।उनकी पत्नी कांता देवी … Read more

पलट कर जवाब -कंचन आरज़ू

*****   नैना उठो कितनी देर तक सोती हो, सुबह हो गई कहते हुए राधिका ने कुंडी खटखटाई ही थी कि ये उठकर बैठ गई ।  पास में मेज पर रखी टेबल खड़ी में नज़र डाली तो देखा ठीक चार बजे थे। बड़बड़ाती हुई कुछ मन में बुदबुदाती सी उठी , हे! भगवान लगता है … Read more

मेरा कुलदीपक – नीरजा कृष्णा

भीषण बारिश हो रही थी। अचानक ही मौसम इतना बदल गया था…रह रह कर बिजली की गड़गड़ाहट उनके दुखी मन को बिलो देती थी। एक तूफान बाहर हलचल मचा रहा था, उस तूफ़ान से भी ज्यादा तीक्ष्ण तूफान उनके ह्रदयपटल को झंझोड़ रहा था। आज उनका जन्मदिन था। ठीक एक साल पहले आज ही के  … Read more

रिक्शा – अनुपमा

नीमा और कुबेर रिक्शे के साझेदार थे , दोनो एक ही रास्ते से ऑफिस आते जाते थे , एक बार बारिश मैं मजबूरी मैं रिक्शा साझा किया था नीमा ने , और फिर एक दो बार सयोंग से हो गया , पर अब दोस्ती मैं साझेदारी करते थे दोनो । इतनी बार सयोंग से कोई … Read more

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