खट-खट – वंदना चौहान

मेरे मायके में घर से सटा सरकारी प्राइमरी स्कूल है। घर के आस-पास नीम, पीपल व बबूल के पेड़  हैं। कभी-कभी बचपन में बाबा से भूत की कहानियां सुनते तो हम सब बच्चे वृक्षों के झुरमुटों की आकृति से एक नई कल्पना कर डर जाते थे।  मैंने कई लोगों से यह सुन रखा था कि … Read more

    ‘ मैं शादी क्यों करूँ? ‘ -विभा गुप्ता

आज फिर एक लड़के वाले ने नयना को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि उसकी हाइट कम है।पिछले सप्ताह भी सहारनपुर से एक सीए लड़का उसे देखने आया था।उसे देखने और नुमाइश के बाद यह कहकर चला गया कि रंग ज़रा साँवला है,मुझे तो गोरी लड़की चाहिए।अब तो जैसे उसे रिजेक्ट होने की आदत-सी पड़ … Read more

टमाटर के फुल:- मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

———— बहुत तीखी तो नहीं लेकिन धुप आ रही थी आँगन में। रात भर सर्दी की ठिठुरन से परेशान विजय कुर्सी डाल कर बैठ गया। सामने कुछ गमले लगे हुए हैं, फुल के पौधों के अलावा मिर्च और टमाटर के पौधे भी पिताजी ने गमलों में लगा रखा है। विजय अपना डिग्री पुरा कर के … Read more

तमन्ना – कमलेश राणा

तमन्नाओं की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है,,जहाँ न तो कोई बंदिश होती है और न ही कोई सीमा,,, कभी-कभी तो दुनियाँ को ठेंगा दिखाते हुए ये उन चीजों  के भी ख्वाब देखने लगतीं हैं,,जिसे पाना मुश्किल होता है,, जैसे कभी-कभी चट्टान के बीच में कोई पौधा मुंह चमकाता दिख जाता है,,ठीक उसी तरह … Read more

मुझे प्यार नहीं पैसा चाहिए –  मनीषा भरतीया

सरिता जी और उनके पति विमलेश जी दोनों मिलकर सुबह से ही आज फिर से अपने छोटे से आशियाने को सजाने में लगे हुए हैं क्योंकि आज उनकी बेटी को देखने फिर से लड़के वाले आने वाले हैं।  दरवाजे के धूल झाड़ते हुए सरिता जी ने अपने पति विमलेश से कहा, ” कोई फायदा नहीं … Read more

और माँ चली गई –  मंगला श्रीवास्तव

मोबाइल पर लगातार घंटी बज रही थी,पर किटी पार्टी की दीवानी मीनल गेम व तम्बोला खेलने में इतनी मशगूल थी की उसने बिना देखे ही  फोन को साइलेंट मोड़ पर कर दिया था। किटी के खत्म होने  के बाद भी वह सभी से बातें करि थोड़ी हँसी ठिठोली कर  सहेलियों को टाटा बाय- बाय कर … Read more

शादी की सालगिरह – अनुपमा 

प्रज्ञा ने जल्दी से चीनू के सारे कपड़े बदले और उसे झूले मैं लिटा कर जल्दी से रसोई मैं आ गई , बहुत देर हो गति थी आज उसे , चीनू को बुखार और दस्त हो रखे है इस वजह से उसे टिफिन बनाने मैं देर हो गई , मानव को बोला भी था उसने … Read more

मार देंगे ठोंक देगे – श्रीप्रकाश श्रीवास्तव 

कहानी उस  रोज मीटिंग में पंधारी आउट आफ कंट्रोल था। ‘‘कहिए तो साले को बाहर ठोंक देते है। सारी हेकडी निकल जाएगी।’’ उसके तेवर देखकर सारे स्टाफ मन ही मन हंसने लगे। सब जानते थे कि वह ऐसा कुछ करने वाला नही। विभागीय कार्यवाही में वह भी फंसा था लिहाजा साहब पर विश्वास जताने के … Read more

*बुलाती हैं जड़ें* – सरला मेहता

राणा विजयबहादुर यूँ तो इंग्लैंड से पढ़लिख कर साहब बन कर आए थे। किंतु सुकून उन्हें अपने गाँव में जाकर मिला। और पुश्तैनी ज़मीन पर खेती को प्राथमिकता दी।  बेटा रणवीर भी कई बार कह चुका है, ” दाता हुजूर ! आप भी शहर चलो और देखो आपके पोते पोती कितना आगे बढ़ चुके हैं। … Read more

आंखियो के कोर , “दर्द की दांस्ता ”  – रीमा ठाकुर 

आरू सुनो “ किसी की आवाज से आरु के पैर थाम गये!  वो आवाज जानी पहचानी लगी “ उसने अपना मुहं ढक लिया और जिस दिशा से आवाज आ रही थी, उधर घूम गयी!  वो जाना पहचाना चेहरा था!  मंयक वो धीरे से बोली “ अब तक मंयक उसके नजदीक आ गया था!      मयंक   … Read more

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