सपने – रेखा जैन

“कुसुम चाय बन गई क्या?” सुबह सुबह में सासु मां की तीखी आवाज आई। “लाई मां, बस जरा अनु का टिफिन पैक कर लूं फिर मैं आपको आपकी चाय देती हूं!”  “लो सुबह सुबह में इस लड़की के पढ़ाई के नाटक शुरू हो गए। जाने कौनसी कलेक्टर बनाएगी इसे! इतना ज्यादा लड़कियों को नहीं पढ़ाना … Read more

माता-पिता की आर्थिक स्थिति तय करती है ससुराल में सम्मान – आराधना श्रीवास्तव

आंखों में सपना सजाये मखमली एहसास लिए सलोनी डोली में विदा हो ससुराल आई ।  नाम के अनुरूप उसकी छवि उतनी ही निराली और आकर्षक, जो एक नजर देख ले तो देखता ही रह जाए । विवाह के तीन-चार दिन तक तो दुल्हन की मुंह दिखाई की रस्म चलती रही जो ही देखता बलाइया लेते … Read more

संतुलन – एम. पी. सिंह 

अशोक और आशा कि शादी को ज्यादा दिन भी नहीं हुए थे कि ननद भाभी मैं शीत युद्ध शुरू हो गया. ननद कोमल वैसे तो भाभी कि हमउम्र और पड़ी लिखी थी, पर माँ और भाई का आशा कि प्रति प्यार सहन नहीं हो रहा था. कोमल रोज़ शाम को भाई से भाभी कि शिकायत … Read more

अधिकार कैसा… – रश्मि झा मिश्रा –

…सीमा चहकते हुए मां के कमरे से निकली… निकलते ही उसका सामना भाभी से हो गया… भाभी ने उसके चेहरे की तरफ गौर से देखा… एक पल को रुकी… लेकिन कुछ बोली नहीं… सीमा के कानों में मां के झुमके झूल रहे थे…  भाभी रोशनी सीधे मां के पास जाकर, शिकायत भरे लहजे में बोली…” … Read more

इज्जतदार – नीलम शर्मा

सुहानी अपनी सहेली के यहांँआई थी। उसे बैठे हुए कुछ ही समय हुआ था कि मीना बोली सुहानी बाहर मौसम खराब सा हो रहा है, शायद बहुत तेज बारिश आएगी। सुहानी बोली मैं चलती हूं कभी घर जाना ही मुश्किल हो जाए। देख ले कहीं रास्ते में ही बारिश न आ जाए। अरे नहीं यह … Read more

सब समय समय की बात है – मंजू ओमर 

समय समय की बात  है सरोज बहन , हमारे समय में तो ऐसा नहीं होता था। हमारे समय में तो बेटा बाप के सामने ऊंची आवाज में बात नहीं करता था।और पिता ने कोई बात कह दी तो उसे काट तो सकता नहीं था। इतनी हिम्मत ही नहीं होती थी बच्चों की। ऐसे संस्कार दिए … Read more

 कैसे कैसे इज्जतदार – गीता वाधवानी

आज घनश्याम दास और उनकी पत्नी आशा देवी बहुत खुश थे क्योंकि उनकी बेटी सुरभि का विवाह सुखपूर्वक संपन्न हो गया था और अब उसकीविदाई होने वाली थी।   विदाई से ठीक पहले सुरभि की सास ललिता,आशा देवी को बुलाकर कहने लगी कि आपकी बेटी की विदाई बिना कार के कैसे होगी? कार तो आपने दी … Read more

ओहदे का मान – पुष्पा जोशी

        आज बैशुमार दौलत के मालिक रविन्द्र बाबू अपने घर के बराण्डे में अकेले बैठे थे, कहने को बहुत इज्जतदार थे, हर तबके के लोग उनकी इज्जत करते थे, इज्जत से बात करते थे, वे नजर घुमाकर जिसे भी कोई कार्य कहते वह अपने को खुशकिस्मत समझता था। यह इज्जत उनकी थी या उनके आसपास … Read more

इज्जतदार ( इंसान या वहशी जानवर ) – संगीता अग्रवाल

” पापा आ गये ..पापा आ गये !!” जैसे ही ऑटो रिक्शा चलाने वाले जीवन ने घर मे कदम रखा उसके दोनो बच्चे मचलते हुए बोले । ” अरे मेरे बच्चो !” बोल जीवन दोनो बच्चो को गोद मे उठा लेता है । अपने बच्चो का हँसता चेहरा देख उसकी सारी थकान उतर जाती है। … Read more

बड़ी बहू – गरिमा चौधरी 

सुबह के आठ ही बजे थे, पर शर्मा हाउस की रसोई में पूरा युद्ध–सा माहौल था। गैस पर चाय चढ़ी थी, दूसरे बर्नर पर दूध उबलने को था, तवे पर पराठा सिक रहा था और बीच में घिरी खड़ी थी काव्या – घर की बड़ी बहू। तभी पीछे से तीखी आवाज़ आई –“भाभी! कितनी बार … Read more

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