ननद भाभी का अनूठा रिश्ता – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“रचना तेरे भैया भाभी अभी तक नहीं आए जब तक मायके की चौक (साड़ी सुहाग का सामना और बेटी की पीली साड़ी) की साड़ी नहीं आएगी तुम क्या पहनकर बिटिया की शादी की पूजा करोगी? मुझे तो लगता है तेरे भैया और भाभी आज आएंगे ही नहीं तेरी चहेती भाभी ने राजीव को मना कर दिया होगा कि,बहन के घर चौक ले जाने की जरूरत नहीं है

अभी पिछले महीने ही तो तेरी बड़ी बहन की बेटी की शादी थी उसमें राजीव और तेरी भाभी वंदना ने 50 हजार का सामान दिया था अब तेरी बेटी को भी  उतना ही देना होगा इसलिए वंदना बहू ने

राजीव को मना कर दिया होगा अब उनका इंतजार करना बेकार है तू मेरी लाई साड़ी पहनकर ही पूजा में बैठ जा” रचना की बुआ ने मुंह बनाकर कहा, रचना की बुआ और उसकी बड़ी बहन दो दिन पहले ही  उसके घर आ गई थी वे दोनों जबसे आईं थीं  तबसे वंदना के खिलाफ रचना के कान भर रहीं थीं।

“बुआ जी आप कैसी बातें कर रही हैं भैया भाभी आज आ जाएंगे मेरी बात हुई थी मुझे भैया भाभी से पैसे नहीं उनका प्यार और आशीर्वाद चाहिए जहां तक चौक की साड़ी की बात है उसकी चिंता आप न कीजिए भाभी मेरी चौक की साड़ी लेकर आएंगी आप और दीदी हमेशा भाभी का अपमान करती रहती हैं ये अच्छी बात नहीं है मुझे समझ नहीं आता कि आप दोनों भाभी से इतना चिढ़ती क्यों हैं जबकि भाभी तो हमेशा सबका सम्मान करतीं हैं ”  रचना ने गुस्से में जवाब दिया।

सासु मां की सोच” – मीनाक्षी राय

” पता नहीं इस लड़की को उस वंदना ने क्या घुट्टी पिला दी है जो ये लड़की उसके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती उस औरत ने आते ही घर में बंटवारा करवा दिया भाई से भाई को अलग कर दिया फिर भी ये लड़की उस वंदना को दोषी नहीं मानती मुझे तो लगता है कि,उस वंदना ने इस लड़की पर कोई जादू टोना कर दिया है”  रचना की की बात सुनकर उसकी बुआ ने गुस्से में चिढ़कर कहा

  ” बुआ जी मेरा मुंह न खुलवाओ घर में बंटवारा किसके कारण हुआ है ये आप भी जानती हैं और मैं भी यह समय इन बातों का नहीं है इसलिए अब आप बात को यहीं समाप्त कर दीजिए मैं अपनी भाभी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि,वे दोषी नहीं है दोषी कौन है ये सभी जानते हैं ” रचना ने भी गुस्से में जबाव दिया।

  ” अगर वंदना भाभी घर के बंटवारे की जिम्मेदार नहीं हैं तो कौन है तुम ही बता दो!!?” तभी रचना की बड़ी बहन ने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा

  ” दो भाईयों और भाभियों के बीच की दूरी और बंटवारे की जिम्मेदार आप और जीजाजी हैं दीदी ये बात मां, बुआ और आपको भी पता है ” रचना ने गम्भीर लहज़े में कहा

  ” तू उस औरत के लिए अपनी बहन को दोषी ठहरा रही है मैंने और मेरे पति ने क्या किया है!!?” रचना की बहन ने गुस्से में चिल्लाते हुए पूछा

  ” दीदी आप सुनना ही चाहतीं हैं तो सुनिए बड़ी भाभी का नौलखा हार आपके पति यानि कि, मेरे पूज्य जीजाजी ने चुराया था और इल्जाम आप लोगों ने वंदना भाभी की भाभी पर डाल दिया इसी बात को लेकर घर में कलह शुरू हुई और नतीजा ये हुआ की घर का बंटवारा हो गया ये बात आप अच्छी तरह से जानती थी की हार जीजाजी ने चुराया है फिर भी आपने अपने पति को निर्दोष साबित करने के लिए वंदना भाभी और उनकी भाभी को चोर बना दिया ” रचना ने कठोर शब्दों में कहा

सोने के कंगन का मोल – पूजा मनोज अग्रवाल

  ” तू मेरी बहन है या दुश्मन उस समय सभी ने देखा था कि, बड़ी भाभी का हार  वंदना की भाभी के बैग में मिला था” रचना की बड़ी बहन ने गुस्से में कहा

  ” दीदी उनके बैग में हार आपने डाला था उन्होंने चुराया नहीं था मुझे समझ नहीं आ रहा है जो बात बीत चुकी है उसे आप क्यों दोबारा उठा रही हैं!?” रचना ने झल्लाकर कहा

  ” तू मेरी बहन होकर उस चोरनी का पक्ष ले रही है इसलिए मैं ये बात उठा रही हूं ” रचना की बहन ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा

  ” दीदी चोर कौन है मैं जानती हूं इसलिए आप चुप ही रहिए इसी में आपकी भलाई है वैसे यहां आप वंदना भाभी की बुराई कर रही हैं लेकिन आपकी बेटी की शादी में जब उन्होंने पचास हजार रुपए दिए तो आपने तुरंत ले लिया तब तो वे बहुत अच्छी थीं ” रचना ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा

  ” अरे उसने पैसे देकर कोई अहसान नहीं किया है वो पैसा मेरे भाई की कमाई का था वंदना अपने मायके से नहीं लाई थी ” रचना की बहन ने चिढ़कर जबाव दिया।

  ” आप से बहस करना बेकार है ” रचना ने कहा और वहां से जाने लगी तभी उसकी नज़र अपने भैया भाभी पर पड़ी जो  घर के अंदर आ रहे थे 

रचना अपने भैया भाभी को देखकर   खुशी से झूम उठी उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । उसने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया वंदना ने रचना को अपने गले लगा लिया। रचना अपनी भाभी और भैया को  घर के आंगन में  लेकर गई रचना की बुआ और दीदी भी उनके पीछे-पीछे आंगन में पहुंच गई जहां पूजा होनी थी वहां सभी रिश्तेदारों की भीड़ इकट्ठी थी रचना के ससुराल वाले रचना के मायके से आएं सामान को देखने के लिए उत्सुक थे।

रंग का दंश – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  तभी रचना  की बुआ सास ने व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट के साथ कहा “रचना बहू पूजा का समय होने वाला है तुम अभी तक तैयार नहीं हुई क्या इसी साड़ी में पूजा करोगी हमारे यहां तो मायके से आई साड़ी में ही पूजा होती है

क्या तुम्हारे मायके से चौक नहीं आई है!!?” तभी रचना की भाभी वंदना ने मुस्कुराते हुए कहा” बुआ जी ऐसा कैसे हो सकता है की रचना के भैया भाभी उसके लिए चौक की साड़ी न लाएं!!” इतना कहकर रचना की भाभी वंदना ने रचना और उसकी बेटी के लिए लाए उपहारों को निकाला शुरू किया जिसे देखकर सभी की आंखें फटी की फटी रह गई।

रचना की भाभी ने रचना के लिए “सोने के मोटे-मोटे कंगन बनारसी साड़ी 51 हजार रुपए, बर्तन  उसकी बेटी के लिए सोने का एक सेट  बनारसी साड़ी के साथ रचना के दामाद के लिए हीरे की अंगूठी भी रचना की भाभी लेकर आई थी।

इतना सामान देखकर रचना की बड़ी बहन ने मुंह बनाते हुए कहा। "”भाभी आप मेरी बेटी की शादी में तो इतना सामान नहीं लाई थी सिर्फ 50 हजार रुपए दे दिए थे आप मेरी बेटी की भी तो मामी हैं!?”

“दीदी आप अपनी तुलना रचना दीदी के साथ न कीजिए क्योंकि हमारा और रचना का रिश्ता बहुत ही अनूठा है उसे आप लोग नहीं समझ सकते और न मैं समझाना चाहती हूं। आप बस इतना समझ लीजिए कि प्यार के बदले प्यार सम्मान के बदले सम्मान मिलता है और जो लोग दूसरों को नफ़रत और अपमान देते हैं

उन्हें वही दिया जाता है  रचना की भाभी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।आप लोगों को शायद याद न हो जब मैं शादी करके आई थी तो मैं बहुत दुखी थी क्योंकि मैंने कुछ दिन पहले ही अपनी मां को खोया था मैं अपनी मां को याद करके रोने लगती थी तब आप और बुआजी मुझे झिड़कते हुए कहतीं थी की मैं अपशकुन कर रही हूं

अनोखा सारथी – डॉ पारुल अग्रवाल

तब रचना दीदी आप लोगों को  मना करतीं थीं कि ,आप लोग मुझे अपमानित न करें। उस समय मुझसे काम करने में गलतियां हो जाती थी  दूसरे मैंने अपने घर में ज्यादा काम किया नहीं था तब भी आप और बुआजी मुझे ताने मारती थीं। उस समय रचना दीदी हर समय मेरे साथ खड़ी रहती थीं। मुझसे कोई गलती हो जाए

तो वह इल्ज़ाम अपने ऊपर ले लेती थीं जिससे मुझे मां जी से डांट न पड़े। आप और बुआ जी मेरी छोटी सी भी गलती को बढ़ा-चढ़ाकर मां जी के सामने रख देते थीं आप दोनों मेरे खिलाफ मां जी के कान भरती थीं जिससे मुझे डांट पड़े पर रचना दीदी मुझे हमेशा बचा लेती थीं। जब मेरा बेटा होने वाला था मुझे डॉक्टर ने बेड रेस्ट बता दिया था

तो आप लोगों ने मेरी कोई सहायता नहीं की थी आप दोनों कहतीं थीं ये सब काम न करने के चोचले हैं पर रचना ने पूरे नौ महीने मुझे ज्यादा काम नहीं करने दिया और मेरे बेटे के मुंडन में आप और जीजाजी ने मेरी भाभी के साथ क्या किया था वो मैं कैसे भुल सकतीं हूं उस समय सभी रिश्तेदारों के सामने रचना दीदी ने ही मेरी और मेरी भाभी की इज्ज़त बचाई थी

इनका वो अहसान मैं ताउम्र नहीं भुल सकती। यही कारण है कि मैं रचना को अपनी ननद नहीं बहन समझती हूं और यह तो आप लोग भी जानती हैं कि हर किसी को अपनी बहन बहुत प्यारी होती है। अब आप लोगों को समझ में आ गया होगा कि मैं रचना को इतना प्यार क्यों करती हूं और हम दोनों एक-दूसरे के इतने करीब क्यों हैं

अब शायद आप लोगों को इसका कारण बता चल गया होगा रचना की भाभी ने गंभीर मगर व्यंग्यात्मक लहज़े में जवाब दिया। वंदना की बात सुनकर रचना की बड़ी बहन और बुआ का चेहरा अपमान से काला पड़ गया ।

आज्ञा का पालन – रीता मिश्रा तिवारी

वहां बैठी सभी औरतें कहने लगी “यह बात तो बिल्कुल सही है कि हम जैसा व्यवहार किसी के साथ करेंगे। उसके द्वारा वैसा ही व्यवहार मिलेगा।

यह समय का चक्र है घूमता रहता है रचना बहू ने अपनी भाभी के साथ ननद जैसा नहीं बहन  जैसा व्यवहार किया हर कदम पर उसका साथ दिया तो आज उसे अपनी भाभी से मां जैसा प्यार दुलार मिल रहा है यह तो ननद भाभी का अनूठा रिश्ता है और सच पूछो तो ननद भाभी का ऐसा रिश्ता परिवार में खुशियां लेकर आता है और घर को स्वर्ग बना देता है वरना ज़्यादातर घरों में ननद भाभी हमेशा एक दूसरे की जड़ों को खोदती रहतीं हैं घर घर नहीं कुरूक्षेत्र का मैदान बन जाता है”

उन औरतों की बातें सुनकर रचना की बुआ और दीदी के चेहरों पर शर्मिंदगी के भाव ज़रूर थे लेकिन उनकी आंखों में वंदना के लिए नफ़रत और ईर्ष्या साफ़ दिखाई दे रही थी जबकि रचना अपनी भाभी से लिपटकर भावुक स्वर में बोली “मेरी भाभी सिर्फ़ मेरी भाभी ही नहीं मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी हैं ” 

रचना की बात सुनकर वंदना ने उसे अपनी बाहों में भर लिया वहां बैठे सभी के चेहरों पर मुस्कान थी दूसरी तरफ रचना की बहन और उसकी बुआ के चेहरों पर ईर्ष्या साफ़ दिखाई दे रही थी 

 

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

18/3/2025

 

अगर मेरी कहानी आप लोगों को पसंद आए तो कमेंट कीजिएगा धन्यवाद

 

#स्नेह का बंधन

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