मुखोटे – डा.मधु आंधीवाल

बानी आज सोच रही थी कि इन्सान इतने मुखोटे कैसे अपना लेता है । क्या उसका जमीर उसे कभी जगाता नहीं । अभी चार दिन ही तो हुये उस घर में जवान मौत हुये । सीमा और रमन उसके पड़ोसी कम  हितैषी अधिक थे । बानी ने जब अपना मकान बनवाना शुरू किया

बराबर सीमा और रमन का मकान था । जब वह अपने मकान में आई तब सीमा के घर में पति रमन ,सीमा और पांच बच्चे थे । सबसे बड़ा राहुल 15 साल का, उससे छोटा पवन 14 साल का ,उससे छोटी रानू 12 साल की फिर बहुत छोटे छोटे एक अमन 4 साल का और तोषी 2साल की ।

शुरू में बानी सोचती कि सीमा और रमन भैया की इतनी उम्र तो नहीं कि उनका बड़ा बेटा 15 साल का हो । एक दिन बात ही बातों में बानी ने पूछा सीमा दीदी आपकी उम्र कितनी है। सीमा उसका मतलब समझ गयी बहुत हंस कर बोली जितनी तुम समझो ।

बानी को कुछ समझ नहीं आ रहा था । तब सीमा ने कहा बानी जब रमन जी 14 साल के थे तब इनकी मां का देहान्त हो गया । परिवार में केवल रमन जी के पिताजी यानि मेरे ससुर और बूढे दादा ससुर और दादी सास रह गयी । सबने बहुत जोर डाल कर मेरे ससुर साहब की दूसरी शादी करा दी । हालांकि दूसरी सास बहुत अच्छे स्वभाव की थी कभी रमन जी को मां की कमी महसूस नहीं होने दी । राहुल पवन और रानू  दूसरी मां से हैं । 

          जब पवन 10 साल का था ससुर साहब को भी ईश्वर ने बुला लिया । अब सारी जिम्मेदारी रमन जी पर आगयी वह तो अच्छा था कि ससुर जी का व्यापार था। सब जिम्मेदारी निपटती गयी । रमन की भी शादी हो गयी । सीमा बहुत सुलझी लड़की थी

उसने सास को हमेशा मां से अधिक माना और सब बच्चे भी सीमा से बहुत प्यार करते थे । बानी की भी गृहस्थी के दायित्व बढ़ गये थे । अमन और उसका बेटा कुश बराबर के थे दोनों बहुत अच्छे दोस्त । राहुल की शादी उसकी पसंद से हुई राहुल ने व्यापार ना करके एम .काम किया और एक बैंक में सर्विस कर ली ।

पवन ने अपना एक अलग व्यापार कर लिया जिसको रमन जी पूरी तरह व्यवस्थित करवाया और उसकी शादी भी कर दी । रानू की भी शादी कर दी । अब वह अपने पिता की जिम्मेदारी से निवृत्त हो गये । सब सही चल रहा था । अमन भी अब शादी लायक हो गया वह रमन जी के साथ ही व्यापार करता था । रमन जी की दूसरी मां अभी जिन्दा 

थी । अमन देखने में बहुत प्यारा था बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते आ रहे थे । रिदिमा देखने में सुन्दर व शिक्षित लड़की थी जब उसका सम्बन्ध आया तब सबने हां कर दी । बानी को वह दिन भी याद था जब रिदिमा विदा होकर आई एक नाजुक गुड़िया सी । पहले उसे बानी के घर पर उतारा गया फिर अपने घर में पूजा करने के बाद उसे गृह प्रवेश



 कराया । 

            बानी को रिदिमा बहुत प्यार करती थी । अमन कुश का दोस्त था और वह अमन को बेटे की तरह ही प्यार करती थी । सब बहुत खुश थे पर कुछ दिन से वह देख रही थी कि रमन भाई और सीमा दी कुछ सुस्त रहती हैं । बहुत पूछा पर वह यही कहती

बानी तुम बहुत प्यार करती हो हमसे इसलिये चिन्तित रहती हो हमारे लिये । अभी एक हफ्ता पहले ही तो सीमा दी ने खुश खबरी सुनाई कि तुम बहुत जल्दी दादी बनोगी । रिदिमा जल्दी ही खुश खबरी सुनाएगी पर हे ईश्वर ये कैसी लीला है तेरी कि दो दिन पहले ही अमन को अचानक ब्रेन हेमरेज हुआ

और उसे कोई मैडीकल सहायता मिल पाती वह सबको बिलखता छोड़ कर चला गया । रिदिमा और सीमा को तो होश ही नहीं था । बानी दोनों को संभाल रही थी इधर कुश तोषी को संभाले हुए था बिलकुल अमन की तरह 

आज बानी ऊपर छत पर आगयी रात का अंधेरा था । बराबर वाली छत पर धीमे धीमे स्वर में कोई बात कर रहा था । बानी ने चुप होकर सुनने की कोशिश की अरे ये आवाज तो रमन जी की मां  राहुल और उसकी पत्नी की

 थी ।राहुल अपनी माँ से कह रहा था मां अब अधिक इन्तजार नहीं अब आप सबका बंटवारा कर दो । अब रमन भैया अपनी गृहस्थी देंखे अब इस विधवा से हमें क्या मतलब रमन भैया देखे इसको और इसकॆ आने वाले बच्चे को । राहुल की बहू भी बोली मकान में भी हिस्सा कराओ आप अपना भी हिस्सा लेना राहुल की मां शान्त थी पर राहुल ने पवन को भी बुला लिया वह भी राहुल की तरह बोल रहा था ।

       बानी इससे अधिक नहीं सुन पाई बस रोती हुई नीचे आगयी और सोचने लगी यह सब वही हैं जब परसों अमन की डैड बाडी पर पछाड़ खा रहे थे । यह रमन भैया और सीमा दी का संघर्ष और त्याग सब भूल गये जिन्होने इन्हें बच्चों से अधिक प्यार किया तथा मां को कभी दूसरी मां नहीं समझा । कितने स्वार्थी लोग हैं । कैसे इतने बनावटी मुखौटे पहन लेते हैं लोग ।

स्व रचित

डा.मधु आंधीवाल

अलीगढ़

 

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