मेरी नन्हीं गंगा का अवतरण – सुषमा यादव

,,, आज़ मेरी प्यारी आर्या का जन्म दिन आया,,

,,,साथ में अपार खुशियां लाया,, मेरे घर आई एक नन्ही परी,,,,

आज़, फिर वही पर्व आया है,। 

,,, गायत्री जयंती और गंगा दशहरा,,,

,,,एक आश्चर्यजनक और सत्य घटना आप सबको भी बताना चाहती हूं,,,,, आज़ के दिन ही हमारी प्यारी नातिन का जन्म हुआ था,,आपके आशीर्वाद की आकांक्षी,आपके आशीष रूपी फूलों से सिंचित होने की अभिलाषा रखते हुए,,,,हम आपको आज़ से तीन वर्ष पीछे ले चलते हैं,, अपनी नन्हीं छोटी गंगा के अवतरण दिवस पर ,,,

*****मैं 17 मई को अकेले ही पेरिस अपनी बेटी के पास गई,,19 मई को उसकी गोद भराई,,बेबी शावर की रस्म थी,,

डाक्टर ने उसे 30 जून या उसके बाद की तारीख दी थी,,9 जून को हम सब माल घूम कर आये और दस जून को एफिल टॉवर देखने गए,

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ग्यारह जून  को बेटी डाक्टर के पास गई चेकअप के लिए,, डाक्टर ने कहा,,सब ठीक है,अब आप 21जून या उसके बाद आना,, बेटी, दामाद घर आ गए,

,,,, दूसरे दिन हम योगा करके, उनके बगीचे में घूम कर बैठे थे, मोबाइल में देखा,कि सबके गुड मॉर्निंग का जवाब दे दें तो एक मैसेज पर नजर पड़ी,,जो हमारी सहेली, सुनीता का था,, हैप्पी दशहरा, हैप्पी गायत्री जयंती,,

पढ़ कर ना जाने मन में कुछ ख़्याल आया,,हम झट से नहा धोकर पूजा में बैठ गये, जहां भी हम जाते हैं, हमारे भगवान और पंचांग हमेशा हमारे साथ रहते हैं क्योंकि हमें भी तिथि वगैरह देख कर पूजा अर्चना करना रहता और बेटियां भी कुछ लेना, कहीं जाना, परीक्षा , इन्टरव्यू वगैरह में, तो बोलती, मम्मी,, चौघड़िया देखकर मुहूर्त बताइए,,या किस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है,बताओ,,


तो हमने पंचांग देखा तो सच में उस दिन दोनों पर्व थे,, गायत्री मां की हम सब परम भक्त हैं, बेटियों की बहुत श्रद्धा है, हमने तो हरिद्वार शांति कुंज में दीक्षा भी ली है,, और गंगा जी के पास के तो हम रहने वाले ही हैं, 

,,अब हमने पूजा अर्चना किया और मन ही मन में कुछ प्रार्थना किया,,

बेटी और दामाद दोनों अब तक उठ गये थे और आफिस जाने की तैयारी कर रहे थे, हमने अचानक ही कहा,, आज़ तुम दोनों आफिस नहीं जावोगे, क्यों मम्मी, दोनों ने हैरानी से देखा,, नहीं,आज अस्पताल सब तैयारी कर के जाओ,, बेटी बोली,कल ही तो गये थे, बताया था ना कि डॉक्टर ने कब आने को कहा है,, मैं कुछ नहीं जानती,कह दिया बस कह दिया,,, दामाद जी कुछ भुनभुनाये,पर बेटी ने चुप करा दिया,, और दोनों पूरी तैयारी कर के बैग लेकर अस्पताल चले गए,, उनके जाने के बाद, मैंने भी कुछ खाया और आसन लगा कर गायत्री मंत्र का जाप करने लगी,,

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,,, गायत्री मां,, गंगा मैया, मुझे बस आज़ ही चाहिए,, आज़ इस पावन पर्व पर वो इस धरती पर आ जाये,, मां, मेरी प्रार्थना और करुण पुकार सुन लीजिए,, मेरी ये हार्दिक अभिलाषा है,, और मैं बस आंसू गिराती रही और जाप करती रही,, बेटी का फोन आया, झुंझलाते हुए बोली,, डाक्टर डांट रही है,,अभी आप कल ही तो आईं थीं, कोई लक्षण नहीं है, फिर आज कैसे आ गई,, मैंने झूठ कहा कि मुझे हल्का सा दर्द हो रहा है,, डाक्टर बोली,फाल्स है,दवा खा लो,,,, मैं वापस आ जाऊं, मैं बोली,, नहीं, , बिल्कुल नहीं,, बाहर घूमों, खाना खाने जाओ पर देर रात तक वापस नहीं आना,,

,, उसे लगा, पता नहीं, क्यों, मम्मी ऐसा कह रही हैं,, वो घूमने और खाना खाने चले गए,, भारत में शाम ढलने लगी थी,,मेरा जाप निरंतर चालू था,, मैंने अपने दिल को मायूस हो कर दिलासा दिया, कोई बात नहीं,मां ने मेरी पुकार नहीं सुनी, मेरी ही पूजा में कुछ कमी रह गई होगी,, चलो,कल एकादशी है,कल भी अच्छा दिन है,,,,,,इतने में फोन आया, मम्मी, मैं थक गई हूं, थोड़ी देर सोती हूं,, फिर आती हूं, मैंने कहा, ठीक है,,अब तो भारत में रात के नौ बज रहे होंगे,,तीन घंटे में दूसरा दिन लग जायेगा, पता नहीं क्या जूनून था कि आज़ ही वो जनम ले ले,,, मेरी आंखों से आंसूओं की 


बरसात होने लगी,, मैं निढाल हो कर सोफे पर लेट गई,, कुछ समय बाद बेटी का फोन बजा,, कुछ हल्की सी किसी के रोने की आवाज आ रही थी, बेटी की खुशी भरी आवाज आई,, मम्मी, कुछ सुन रही हो, मैंने अनमने भाव से कहा,, क्या, कुछ तो नहीं, अरे, मम्मी,,,,,आपकी गंगा आ गई, आप उसका रोना नहीं सुन रहीं हैं,, क्या, मेरे हाथ पैर थरथराने लगे,,बेटा ,पर अभी तो तुमने बात किया था,कुछ देर पहले,,,, हां मां, जैसे ही मैंने फोन रखा, दर्द तेजी से होने लगा,, डाक्टर भाग कर आई, और मैंने बहुत दर्द होने पर गायत्री मंत्र पढ़ना शुरू किया, और नौ बार पढ़ते ही आपकी गंगा का अवतरण हो गया,, डाक्टर बोले,,,,,,,, बहुत ही आश्चर्यजनक है, अद्भुत, तुमने तो कमाल कर दिया,,हम सब तो तुम्हें वापस भेज रहे थे,,ये कैसे चमत्कार हो गया,, फ्रेंच में बोल रहे थे मैंने भी फ्रेंच में ही जबाव दिया,,ये मेरी मां की प्रार्थना का कमाल है,,अब मैं फोन रखतीं हूं,

आप कल आना,

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,,,मैं पर कटे पंछी की तरह धड़ाम से सोफे पर गिर पड़ी,,हे गायत्री मां,,हे गंगा मैया, आपने मेरी पुकार सुन ली, मेरी लाज रख ली,

मैं खुश भी हो रही थी, खूब रो भी रही थी, मेरी हालत का आप अंदाजा नहीं लगा सकते, और मैं बता भी नहीं सकती बस सिर्फ महसूस करिए मेरे साथ,, अकथनीय, शब्दहीन, अवर्णनीय,,।  

,, आज़ उसका जन्मदिन है,, बहुत बहुत शुभकामनाएं और आशीर्वाद,,नानी और मौसी की तरफ से,,

,,,ओ मेरी आंखों के पहले सपने, रंगीन सपने, मासूम सपने,,

,,हम सबका अरमान हो तुम,

मां गायत्री, गंगा मैया का आशिर्वाद हो तुम,,

सुषमा यादव, प्रतापगढ़ उ प्र,

स्वरचित, मौलिक,,

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