जब मैंने कोई गलती नहीं की है तो बर्दाश्त क्यों करूँ – कामिनी मिश्रा कनक: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अरे जीजी ये तस्वीर किसकी है , और ये यहाँ पर क्यू  है , ये कोई तस्वीर रखने कि जगह है , मोनिका किचन में शेल्फ को खोलते हुए …….

क्या ये आप है ………??

उस तस्वीर को छुटकि उसी शेल्फ में रख दो ….. वो किसी काम का नहीं है …. सारिका अपने दर्द को अपने अंदर दबाकर . …… हाँ छुटकि मैं ही हूँ….. बहुत पुरानी तस्वीर है ये इसलिए यहाँ किचन में है …….

मोनिका- पर जीजी इसे आप अपने कमरे में भी तो लगा सकती है ……

सारिका- छुटकि छोड़ ना क्यू पूरानी बातें याद दिला रही है …. मैं इस तस्वीर को भूल चूकी हूँ ……

मोनिका- जीजी आप ऐसा क्यू बोल रही है…..इस तस्वीर में तो आपको अवॉर्ड मिल रहा है …. क्या आपको इसे मिलने से ख़ुशी नहीं है ……? मुझे तो इसे देख कर ही बहुत ख़ुशी मिल रही है कि आप कितना टैलेंटेड हो………….. अरे जीजी ये क्या मैंने कुछ ग़लत कह दिया क्या……..? आप  रो… क्यू रही है…

सारिका – नहीं नहीं छुटकि बस कुछ याद आ गयी …छोड़ ना  इन बातों में अब कुछ नहीं रहा …..

मोनिका- क्यू जीजी आप ऐसा क्यू बोल रही हों ये तो अच्छी बात है कि आपको डान्स के लिए अवॉर्ड मिल चूका है , क्या इस घर में मालूम है आपके बारे में ….

सारिका- हाँ मालूम है …. परंतु अम्मा जी और तुम्हारे भैया को नहीं पसंद है ये सब …. मैं जब इस घर में आयी तो बहुत सारे सपने ले कर कि आगे अपना एक डान्स क्लास खोलूँगी ……?

मोनिका- तो खोला क्यू नहीं …..?

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 मोनिका कि बाते सुनकर सारिका को ऐसा लग रहा था जैसे मोनिका ने उसके दुखती रग  पर हाथ रख दिया हो …….

सारिका- छुटकि जब मैं इस घर में आयी थी , पुरानी बाज़ार में जो स्कूल है वहा डान्स टीचर थी …..

मोनिका – अच्छा जीजी उस स्कूल में वो तो बहुत फ़ेमस स्कूल है …. आपने नौकरी क्यू छोड़ दी …..

सारिका- वो छुटकि ………अम्मा जी और तुम्हारे भैया को पसंद नहीं  था कि मैं नौकरी करूँ…. बोलते बोलते सरिका की आँखें नम हो जाती है …..

मोनिका- जीजी ये तो ग़लत है ना, आप भैया से बात करती … भैया ऐसा कैसे कर सकते है , भैया कि गलती पर भी आप उन्हें कुछ नहीं बोलती है , तभी उन्हें इतना बढ़ावा मिला हुआ है ,,,

“ छोटी मुँह, बड़ी बात जीजी “ कल रात भी मैं पानी लेने उठी थी तो भैया आपके ऊपर चिल्ला रहे थे ,,  वो मर्द है इसलिए वो कुछ भी कर सकते है ….. आप जवाब क्यू नहीं देती है ।

तभी वहा पर अम्मा जी आ जाती है और मोनिक को बोलती है …………

देख छुटकि बहूरिया, ये तमाशा बंद कर दे , ये सब करके तुझे क्या मिलेगा ,

कब  से देख रही हूँ ,तू बरकी बहूरिया को कैसे पति के ख़िलाफ़ भरकाने में लगी है ……

मोनिका- अम्मा जी  इसे भड़काना नहीं कहते है …. सच के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना बोलते है ….यही काम अगर आप पहले ही कर चुकी होती भैया को समझाती तो आज मुझे बोलने कि ज़रूरत ही क्या है……..

सारिका- छुटकि तुम चुप हो जाओ…….

अम्मा जी – रहने दे बड़की बहूरिया तुझे तो आज मज़ा आ रहा होगा ……मैं और पंकज ( तेरा पति ) तो बस तुझ पर अत्याचार ही करते आए है …. लगता है तूने ही छुटकि बहुरिया को भड़काया होगा……..

मोनिका- वाह अम्मा जी वाह … अभी तो आप मुझे कह रही थी कि मैं भड़का रही हूँ  जीजी को ……. और अब जीजी मुझे भड़का रही है

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सारिका- छुटकि तू चुप हो जा ….अम्मा जी मुझे और छुटकि को माफ़ कर दे ……..आप बैठिए मैं नाश्ता ले कर आती हूँ……

मोनिका- जब आकी कोई गलती नहीं तो आप क्यू  माफ़ी मांग रही है ……अम्मा जी आप एक बात बताइए मैं भी नौकरी करती हूँ , मुझे तो आपने नहीं रोका , फिर जीजी को क्यू ……

अम्मा जी – छुटकि बहुरिया तू मुझसे सवाल पूछेगी ….. तू कहा ‘ 90 हज़ार’ कमाती है और ये  20 हज़ार कमाती थी , इसका मुक़ाबला अपने साथ मत कर ……

मोनिका- वाह अम्मा जी वाह एक ही घर में दोहरा व्यवहार क्यू …… भैया भी जीजी को इतनाकुछ बोलते रहते है , जीजी कि गलती भी नहीं होती है तब भी वो बोलते रहते है ..,.. ताने मरते रहते है , आप भैया को क्यू नहीं समझाती है …. और आप भी जब देखो तब जीजी को दो दो बेटी का ताना देती रहती है ……. क्या दे दोनो बेटी सिर्फ़ जीजी ने पैदा किए है भैया का कुछ नहीं है …….. आप कभी भैया से तो कुछ नहीं कहती है …… जीजी आप इतना मत बर्दाश्त करो ………

सारिका- छुटकि तू बस कर  , ये मेरी किशमत है ,, तू अम्मा जी से माफ़ी मंग ले ….

मोनिका- जीजी  “जब मैंने कोई गलती नहीं की , तो क्यू बर्दाश्त करूँ “ …. और हा जीजी अम्मा जी दिन को रात कहती है तो आपके लिए रात ही है पर मेरे लिए वो दिन ही है …… आप अम्मा जी कि हाँ में हाँ मिला सकती है पर मैं नहीं ….. जो ग़लत है सो ग़लत है ………

बाहर से पंकज सब कुछ सुन रहा होता है ……. आँखों में पश्चाताप कि आशु  लिए मोनिका आई ऐम सॉरी तुम ठीक बोल रही हो मैंने सारिका के साथ बहुत ग़लत किया ….

मोनिका- भैया सॉरी तो आप जीजी से बोलिए जो आज भी आपके और अम्मा जी के लिए एक शब्द नहीं बोली है ….. मैं दो तीन दिन आपका व्यवहार जीजी के लिए कठोर देखी तब मुझसे रहा नहीं गया ……

पंकज सारिका का हाथ पकड़ कर सारिका मुझे माफ़ कर दो …….. फिर सीने से लगा कर मैं भूल गया था कि ये दोनो बेटी मेरी भी है , और तुम मेरी अर्धांगिनी हो , जिसे मैं वियाह कर इस घर में लाया था ….

मोनिका ने  सारिका कि आँखों में अलग ही चमक देखी  …..

तो वो अम्मा जी को वहा से ले कर चली गयी  .,….

कामिनी मिश्रा कनक

फ़रीदाबाद

 

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