Moral stories in hindi : अस्पताल के बेड पर लेटी जानकी दर्द से कराह रही थी। उनके पेट में अल्सर होने के कारण दर्द हो रहा धा। बेटे अभय ने उनको एक रात पहले अस्पताल में एडमिट कराया था। दवाइयां चल रही थी । डॉक्टर ने कहा 5 दिन देखते हैं, यदि ठीक नहीं होता तो ऑपरेशन करना पड़ेगा।
जानकी को अपनी बेटी मिनी की बहुत याद आ रही थी। बार-बार दरवाजे की तरफ देखते लगती। उन्हे लगता अभी बेटी की आवाज आएगी। लेकिन वह हैदराबाद में है। और वो आएगी भी कैसे, उन्होंने अपने बेटे को मना जो कर दिया है । कि मेरी तबीयत के बारे में दीदी को मत बताना । वो परेशान हो जाएगी। एक साल हुआ है मिनी की शादी का।
धीरे धीरे जानकी देवी उन दिनों में खोती चली गईं। जब मिनी की शादी नहीं हुई थी । पूरे घर में चहकती रहती थी कोई भी काम हो मिनटों में कर लेती । उसका हंसना- बोलना घर में संगीत की तरह बजता था। कहीं भी किसी भी जगह किसी को मदद की जरूरत हो तुरंत तैयार हो जाती।
चाहे कितना भी समझाओ बेटा आज का समय ऐसा नहीं है, कौन इंसान कैसा है, नहीं मालूम । मगर वो उल्टे उनको समझा देती थी – “अरे मम्मी अगर ऐसा सभी सोचने लगेंगे तो कोई किसी की मदद नहीं करेगा , और फिर मैं उन्हीं की मदद करती हूं जिनको असहाय समझती हूं इसलिये आप ज्यादा इस बारे में सोच कर परेशान न होइए।
एकबार कड़ाके की ठंड में जानकी की तबीयत रात ग्यारह बजे बहुत खराब हो गयी,और तब बिना किसी का इंतजार किए मिनी उनको लेकर अस्पताल चली गई थी। कोई भी समस्या हो मिनटों में उसका हल निकाल लेती और हमेशा मुस्कुराते हुए कहती , मैं हूं ना । उसके ये शब्द मानो मुर्दा में भी प्राण डाल देते थे । अपने पापा के व्यवहार से वह हमेशा दुखी रहती थी क्योंकि उनमें बहुत सारी खराब आदतें थी।
घर की जिम्मेदारी उठाना ही नहीं चाहते थे। हमेशा अपने दोस्तो के साथ रहना उनको पसंद था इसलिए वह गांव चले गए थे और जब भी घर आते कोहराम मचा देते थे। मिनी ने बहुत बार समझाया पापा यह जो आप ड्रिंक करते हैं यह बहुत बुरा नशा है इसमें तमामों घर बर्बाद हो गए हैं।
आप सोचिए पापा इससे अभय पर बहुत गलत असर पड़ेगा। समाज में हमारा कोई मान सम्मान नहीं रहेगा। लेकिन उसके पापा पर कोई इस बात का असर नहीं हुआ,और वह जानकी से लड़ झगड़ कर गांव चले गए साथ ही यह भी कहा कि अब हमारा तुम लोगों से कोई वास्ता नहीं, और ना मुझसे पैसे मांगना।
जानकी ने बहुत इंतजार किया उसके बाद उसने एक कंपनी में छोटी सी नौकरी कर ली। मिनी भी पढ़ाई के साथ -साथ ट्यूशन पढ़ाने लगी। जानकी को हमेशा लगता मिनी उसकी रक्षा कवच की तरह है। मगर बेटी तो बेटी ही होती है उसको कहा ही पराया धन गया है कब तक उसको अपने घर में रख पाते हैं।
एक अच्छा रिश्ता मिलने पर मिनी के ना चाहते हुए भी मिनी की शादी कर दी । मिनी को लगता था कि उसके जाने के बाद उसकी मम्मी और भाई का क्या होगा, कैसे वो रहेंगे ? मगर जानकी ने उसकी एक ना सुनी और उसका विवाह कर दिया।
विदाई के समय जानकी फूट-फूटकर रोने लगी तब मिनी ने उनसे लिपट कर रोते हुए कहा -“आप चिंता ना करो मां। मैं हूं ना।” जानकी को लग रहा था उनके शरीर से निकालकर उनका दिल कोई ले जा रहा है।
मिनी के ससुराल वाले बहुत अच्छे थे उसके पति ने उसकी हर सोच हर विचार को महत्व दिया। मिनी वहां भी सबको खुश करने में लगी रहती है,रात अगर नहीं बनी होती तो शायद मिनी उस टाइम पर भी काम करती रहती।
अभी जानकी उसी सोच की दुनिया में थी कि अभय ने आकर कहा- मम्मी दवा का टाइम हो गया है। जानकी अपने अतीत से बाहर आ गई ।
क्या हुआ? आप कुछ सोच रही थी। क्या दीदी की याद आ रही है ? अभय ने जानकी के चेहरे को ध्यान से देखते हुए पूछा। वह समझ गया था इस समय मम्मी को दीदी की जरूरत है। तीन दिन बीत गए इसी तरह अस्पताल में।
तीसरे दिन अचानक जानकी के पेट का दर्द बढ़ गया वो दर्द से तड़पने लगी । नर्स ने तुरंत डॉक्टर को बुलाया ,डॉक्टर ने देखा फिर एक इंजेक्शन देने को कहा ।
नर्स इंजेक्शन तैयार करने लगी तभी जानकी देवी के कानों में आवाज आई- “मम्मी” उन्होंने आंखें खोली सामने मिनी को देखकर चौंक गई। उन्होंने अभय की तरफ देखा । अभय के होठों पर एक दबी सी मुस्कान थी, क्योंकि उसने 2 दिन पहले ही मिनी को फोन करके बता दिया था।
” मां आपकी इतनी तबीयत खराब थी फिर भी आपने मुझे नहीं बताया। आप जब भी परेशान होती हैं,मैं हमेशा आपके पास रहती हूं चाहे यहां हूं या कहीं भी। फिर आपने कैसे सोच लिया कि आप मुझे नहीं बताएंगी।
अभी मिनी इतना ही बोल ही पाई थी कि उसके पति अंकित ने कहा -“जी हां,मम्मी, बेटी का विवाह करने का मतलब यह नहीं है कि अब आप उसको अपनी तकलीफ नहीं बताएंगी । जैसे पहले थी वैसे ही वह आज भी आपकी बेटी है।
और अभी तक मिनी कहती थी मैं हूं ना , आज हम दोनो कहते हैं-हम हैं ना।” ये सुनकर जानकी को लगा उनको संजीवनी बूटी मिल गयी, उनके होंठों पर एक मुस्कान खिल गयी। और मिनी अपने पति को प्यार भरी नजरों से देखने लगी।
उषा भारद्वाज