हमें अपने बुढ़ापे के लिए भी कुछ बचत करनी चाहिए!! – मनीषा भरतीया

अरे भागवान सुनती हो क्या अरे ओ निलेश की मां कहां हो तुम??? हां हां सुन रही हूं ,बहरी नहीं हूं…. इतना क्यों चिल्ला रहे हैं ऐसी क्या बात हो गई है???

अरे सुनीता बात ही कुछ ऐसी है शर्मा जी को तो जानती हो जिनकी बेटी अवनी लाखों में एक है…. उन्हें हमारा नीलेश पसंद आ गया है और वह हमारे घर रिश्ता करने के लिए तैयार है….और सबसे अच्छी बात ये है.. कि नीलेश भी उसे पसंद करता है…. बात बात में मैंने पता किया है….

हां तो अच्छी बात है . … आपने क्या कहा?? अरे  कहना क्या था… मैंने तो हां कर दी…

बस उनकी एक ही शर्त है ….पार्टी बहुत ही शानदार होनी चाहिए…क्योंकि हमारे भी कुछ खास रिश्तेदार पार्टी में आएगें….इसलिए ध्यान रखिएगा कोई कमी ना हो….इसमें इतनी सोचने वाली क्या बात है अभी भी हमारे पास ₹300000 की एक एफडी पड़ी है उसे तोड़ देंगे तो फिर पार्टी का खर्चा तो आराम से निकल जाएगा….. पर भागवान बहू के लिए गहने, कपड़े भी तो खरीदने है…. इसलिए मैं सोच रहा था…कि 5 साल बाद मेरा रिटायरमेंट होने वाला है क्यों न मैं प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी के पैसे अभी उठा लूं…. तो शादी अच्छे से हो जाएगी…. तुम क्या कहती हो इस बारे में???

तब सुनीता ने कहा नीलेश के बापू यह समय भावनाओं में बहने का नहीं है…. हमने पहले ही अपनी सारी सेविंग नीलेश की पढ़ाई में खर्च कर दी… जो बची है वह उसकी शादी में खर्च हो जाएगी….

अब तो हमारे पास प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी का ही एकमात्र सहारा है…. वो भी अगर हम खर्च कर देंगे तो पूरी तरह से खाली हो जाएंगे….



हमें अपने बुढ़ापे के लिए भी कुछ  बचत करनी चाहिए!!

तब सुरज ने कहा….सुनीता तुम इतनी चिंता क्यों करती हो…. हमारे पास तो हमारा बेटा नीलेश है ना हमारा सहारा… बुढ़ापे में वो हमें देखेगा क्या तुम्हें नीलेश पर भरोसा नहीं???

तब सुनीता ने कहा जी ऐसी बात नहीं है लेकिन वक्त का कोई भरोसा नहीं है कब अपना रंग बदल ले…. आज हमारा बेटा बहुत अच्छा है , लायक है…लेकिन कल उसकी पत्नी आ जाएगी..  तब भी वो ऐसा ही रहेगा इसकी क्या गारंटी है….

फिर आपको शीला आंटी याद नहीं जिन्होंने अपने पति के मरने के बाद अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे के नाम कर दी… और बेटे ने संपत्ति मिलते ही मां को घर से बेघर कर दिया….. वो तो भला हो वृद्धाश्रम वालों का जिन्होंने उन्हें आश्रय दिया….. मैं नहीं चाहती कि हमारी भी यह नौबत आए. …

तब सूरज ने कहा बात तो तुम ठीक ही कह रही हो लेकिन फिर गहनों और कपड़ों का इंतजाम कहां से होगा???

सुनीता ने कहा की आप इतनी चिंता क्यों करते है…. मेरे पास दो सोने के सेट है…. मैं आपको एक दे दूंगी….. जिसे तुड़वा कर बहू के लिए नई डिजाइन का सेट बनवा लेना…. और रही बात कपडों की तो उसका इंतजाम नीलेश कर लेगा…. 25000 रू महीना तो वो भी लाता है….. घर में तो 15000 हजार ही देता है…. तो सूरज ने कहा… ये बात तुमने ठीक कही…

चलो तो फिर देर किस बात की कल ही चलकर नीलेश को ले जाकर रिश्ता पक्का कर आते है ..  …

दोस्तों अक्सर ज्यादातर घरों में देखा गया है….. कि माता- पिता भावनाओं में बहकर अपना सबकूछ अपनी औलाद पर खर्च कर देते है…. और बुढ़ापे में वही औलाद धक्के मारकर घर से बाहर निकाल देते है…. मै ये नही कहती की सारी औलाद खराब ही होती है…. पर फिर भी सुरक्षा के हिसाब से कुछ सेव करके रखना जरूरी है…. ताकि ऐसा कुछ हो जाए तो दो वक्त का खाना और दवाईयों के लिए किसी पर आश्रित न होना पड़े… ये तो मेरे विचार…. आपके क्या विचार है.?? मुझे कमेंट करके जरूर बताए…. मेरी स्वरचित कहानी अगर आपको अच्छी लगी हो तो प्लीज लाईक और शेयर जरूर कीजिये…. और मुझे फालो करना मत भूलिए मेरी अन्य रचना पढने के लिए…

#सहारा

धन्यवाद🙏🙏

आपकी ब्लॉगर दोस्त

©®मनीषा भरतीया

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